समाज गरीब भारत रिच इण्डिया August 11, 2015 / August 11, 2015 | Leave a Comment संजय चाणक्य ——————– ‘‘ वक्त लिख रहा कहानी इक नए मजमून की ! जिसकी सुर्खियों को जरूरत है हमारे खून की !! अगर हम आपसे कहे कि आजाद हिन्दुस्तान के दो नाम है पहला गरीब भारत और दुसरा रिच इण्डिया तो शायद आप मुझे सिरफिरा कहेगें। या फिर अवसाद ग्रसित। हो सकता है आप अपनी […] Read more » गरीब भारत रिच इण्डिया
विविधा चिता की आग से बुझती है पेट की आग August 10, 2015 / August 11, 2015 | Leave a Comment संजय चाणक्य ‘‘बच्चे भूखें सो गए होकर बहुत अधीर।। चूल्हे पर पकती रही आश्वासन की खीर।।’’ जब भी मै फटे पुराने कपडे औरअर्धनग्न अवस्था में देश के भविष्यों को कूड़ों की ढेर पर देखता हू तो बरबस मेर मुंह से वर्षो पुरानी वह गीत फूट पड़ती है ‘‘बचपन हर गम से बेगाना होता है।’’ सोचता […] Read more » चिता की आग पेट की आग
आर्थिकी विविधा भारत गुलामी की ओर…….. August 7, 2015 / August 11, 2015 | Leave a Comment ‘‘ जिनके दिल में दर्द है दुनिया का, वही दुनिया मे जिन्दा रहते है! जो मिटाते है खुद को जीते जी, वही मरकर जिन्दा रहते है!!’’ अगर हम आपसे कहे कि भारत एक बार फिर गुलामी की ओर बढ़ रहा है, तो शायद आपकों कुछ अटपटा सा लगेगा। हो भी क्यों नही। क्योकि जहां से […] Read more » भारत गुलामी