समाज एक दिन में सिमट आए हैं सारे रिश्ते August 1, 2012 / August 2, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य एक दिन में सिमट आए हैं सारे रिश्ते फिर साल भर पा लो संबंधों से मुक्ति युगों-युगों से ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृति के लिए यह समय कितना दुर्दिनों भरा आ गया है जहाँ आदमी के मन से लेकर पूरे परिवेश तक संवेदनाआंे के लिहाज से शून्य का माहौल […] Read more »
धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार शिवत्व बगैर निरर्थक है शिव-उपासना July 26, 2012 / July 26, 2012 | Leave a Comment शिवभक्ति का ढोंग न करें, खुद शिवमय बनें डॉ. दीपक आचार्य इन दिनों हर कहीं सावन की धूम जारी है। अपने क्षेत्र भर के शिवालयों में शिवभक्ति की इतनी धूम मची हुई है कि दिन-रात शिव उपासना के स्वर गूंजने लगे हैं और अपना पूरा इलाका शिवभक्ति के रंग में रंगा हुआ है। भक्तों की […] Read more » shiv worship in shawn शिव-उपासना
धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार जहाँ कावड़, वहाँ सावन July 23, 2012 / July 23, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर कहीं है कावरियों की भरमार इन दिनों देश भर में सावन की मदमस्ती और भोले बाबा की आराधना का दौर पूरे परवान पर है। हर कहीं कावड़ यात्रा का धरम सिर चढ़कर बोलने लगा है। ज्योतिर्लिंगों से लेकर गांव-शहरों के शिवालयों तक कावरियों की भरमार यही बता रही है। कावड़ और […] Read more »
व्यंग्य एलियंस से भरा है अपना आकाश July 20, 2012 / July 20, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हाजिर हैं हर किस्म के नायाब एलियंस पूरी दुनिया एलियंस आने अन्तरिक्ष, दूर ग्रहों से आने वाले यात्रियों की खोज-पड़ताल में लगी हुई है। विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों से धरती के किसी भी कोने में सायास, अनायास या दुर्घटनास्वरूप आ धमकने वाले एलियंस वैज्ञानिकों के साथ ही आम धरतीवासियों के लिए जिज्ञासाओं के महानतम […] Read more »
समाज आदमी जीने लगा है कई-कई किरदारों में July 17, 2012 | 1 Comment on आदमी जीने लगा है कई-कई किरदारों में डॉ. दीपक आचार्य सब उल्लू बना रहे हैं एक-दूसरे को मानवीय सभ्यता में जब तक पूर्ण अनुशासन के भाव विद्यमान थे तब तक हर व्यक्ति अपने-अपने काम में लगा रहता था। किसी को भी फालतू चर्चाएं करने और बेकार बैठे रहने की फुरसत नहीं थी और न ही उस जमाने में लोगों को निरर्थक चर्चाओं […] Read more »
आलोचना होने लगी है आशीर्वादों की बारिश July 14, 2012 / July 13, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य होने लगी है आशीर्वादों की बारिश हर कोई पा लेता है आशीर्वाद आजकल आशीर्वाद देना और पाना सबसे सस्ता और सहज काम हो गया है। आशीर्वाद पाने के लिए उतावले लोगों की जितनी भीड़ है उससे कहीं ज्यादा भीड़ आशीर्वाद देने को व्यग्र बैठे लोगों की है। आशीर्वाद देने और पाने वाले […] Read more » आशीर्वादों की बारिश
चिंतन आत्म-अनुशासन बरतें July 13, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मरीज से मिलने जाएं तब आत्म-अनुशासन बरतें जीवन के हर कर्म में अनुशासन का महत्त्व है और यह बाहर से नहीं आता बल्कि अपने अनुभवों और ज्ञान से आता है। अनुशासन स्वयं को गढ़ना पड़ता है और इसे ही आत्म-अनुशासन कहा गया है जो कि स्वयंस्फूर्त्त अर्थात स्वतःप्रेरित होता है। लेकिन यह […] Read more » how to behave when visiting patients
व्यंग्य करामाती होते हैं कुत्ते July 12, 2012 / July 12, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुमहिलाऊ हों, चाहें भौंकने वाले पूरी दुनिया में कुत्तों का अपना अलग ही संसार है। जात-जात के कुत्ते संसार भर में हर कहीं पाए जाते हैं। ये कुत्ते ही हैं जो महाभारत काल से युधिष्ठिर के साथ जाने का दम-खम पा गए हैं और आज भी हर कहीं बड़े-बड़े लोगों के साथ […] Read more » dogs are wonderful करामाती होते हैं कुत्ते
चिंतन संतोषहीनता ही लाती है दरिद्रता July 10, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य संतोषहीनता ही लाती है दरिद्रता चादर जितने ही पाँव पसारें संसार में पैदा हुए मनुष्य को थोड़ी-बहुत समझ आते ही वह चाहता है कि पूरा संसार उसका हो जाए और वह खुद भी सारे संसार को पा ले। लेकिन यह संसार और सांसारिकताएं न कभी किसी की हुई हैं न होंगी। […] Read more »
कला-संस्कृति प्राचीन है संगीत से बारिश की परंपरा July 9, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य संगीत की स्वर लहरियों पर रीझते हैं इन्द्रदेव थार संगीत में छिपा है मेघों के आकर्षण का सामथ्र्य बरसात के देवता इन्द्र को प्रसन्न कर बारिश का आवाहन करने में विभिन्न रागों की माधुर्यपूर्ण प्रस्तुति जबर्दस्त सामथ्र्य रखती हैं। प्राचीन काल में बारिश नहीं होने अथवा विलम्ब से होने की स्थिति में […] Read more » monsoon arrival in India Rain
व्यंग्य अब सब हो चुके हैं चार्जेबल July 8, 2012 / July 8, 2012 | Leave a Comment जितनी भरी चाभी, उतना चले खिलौना डॉ. दीपक आचार्य अब जमाना सेल्फ चार्ज या सेल्फ लर्निंग का नहीं है बल्कि अब जो कुछ होता है सब चार्जेबल है। चार्ज नहीं तो कुछ नहीं। चार्ज हुआ तो चलेगा और नहीं हुआ तो मरा या अधमरा बेदम पड़ा रहेगा। जमाने की हवाओं को देख लगता है […] Read more » psycophant
विविधा नए खून को आगे आने दें July 4, 2012 | Leave a Comment बुजुर्ग संरक्षक और मार्गदर्शक बनें – डॉ. दीपक आचार्य लगता है जैसे सब कुछ ठहर सा गया है। पुराने लोगों का जमघट इस कदर हावी है कि नई पौध को आगे आने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है और इस वजह से पुरानी पीढ़ी कहीं स्पीड़ ब्रेकर तो कहीं दूसरी-तीसरी भूमिकाओं में धुँध […] Read more » युवा