सैर-सपाटा सफर का मजा किरकिरा न करें June 29, 2012 | Leave a Comment अतृप्त और अशांत होते हैं शोरगुल करने वाले डॉ. दीपक आचार्य सफर चाहे कैसा भी हो, हर कोई इसे शांति और सुकून के साथ पूरा करना चाहता है। पर आजकल हर प्रकार का सफर अशांति भरा और दुःखदायी हो गया है। जहाँ देखो वहाँ शोरगुल, कानफोडू आवाजें और तरह-तरह के गीतों की भरमार। घर से […] Read more » सफर
विविधा क्रोध का करें खात्मा June 25, 2012 | 1 Comment on क्रोध का करें खात्मा डॉ. दीपक आचार्य गुस्सा हमेशा उन लोगों को ही आता है जो विवश, असहाय या कमजोर होते हैं। माना जाता है कि अनचाहे का होना और मनचाहे का न होना, यही क्रोध की वजह है। हर व्यक्ति को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति को पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुसार निश्चित परिलाभ में […] Read more » क्रोध
धर्म-अध्यात्म धर्म-कर्म में दिखावे से बचें June 24, 2012 / June 24, 2012 | 1 Comment on धर्म-कर्म में दिखावे से बचें पब्लिसिटी से क्षीण होता है पुण्य डॉ. दीपक आचार्य धर्म धारण करने का विषय है, प्रचार-प्रसार का नहीं। धर्म का मूल मर्म लोकोपकारी जीवनयापन और ऊर्ध्वगामी यात्रा से पूर्व अधिकाधिक पुण्य संचय का है। आजकल धर्म और पुण्य के नाम पर कई प्रकार के आडम्बरों और धूर्त्तताओं का जमाना है। पहले धर्म का नाम सुनते […] Read more » धर्म
विविधा आनंद और मस्ती चाहें तो पाखण्डियों व शिखण्डियों से दूर रहें June 22, 2012 | 2 Comments on आनंद और मस्ती चाहें तो पाखण्डियों व शिखण्डियों से दूर रहें डॉ. दीपक आचार्य आदमी की पूरी जिन्दगी में उन लोगों का खूब प्रभाव पड़ता है जो किसी न किसी बहाने हमारे आस-पास रहा करते हैं अथवा सम्पर्क में आते रहते हैं। इनमें विभिन्न किस्मों के लोग हुआ करते हैं। जब से आदमी में स्वार्थ और ऐषणाओं की पूर्त्ति जीवन का सर्वोपरि लक्ष्य हो गई है […] Read more »
चिंतन गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में June 21, 2012 / June 20, 2012 | 2 Comments on गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में डॉ. दीपक आचार्य गौघृत जरूरी है यज्ञ-अनुष्ठानों में वरना पसरता है अनिष्ट का साया आजकल सभी जगह होने वाले धार्मिक समारोहों और यज्ञ-अनुष्ठानों की धूम को देखकर लगता है जैसे पूरा परिवेश और हमारा क्षेत्र धार्मिक होने लगा है और अब सतयुग आ रहा है। धर्म के नाम पर आयोजनों का दौर निरन्तर रहने लगा […] Read more » cow gheein hawan
चिंतन गौवंश के बगैर व्यर्थ है जीवन June 18, 2012 / June 18, 2012 | 1 Comment on गौवंश के बगैर व्यर्थ है जीवन डॉ. दीपक आचार्य न धर्म संभव है, न पुण्यार्जन पृथ्वी के अस्तित्व का सीधा संबंध गौवंश से है। इस दैवीय पशु के बिना न जीवन की कल्पना की जा सकती है न और कुछ। व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त होने वाले सभी संस्कारों में गायों की किसी न किसी रूप में भूमिका को […] Read more » life without cow is useless
चिंतन मानवता का होना जरूरी June 11, 2012 / June 11, 2012 | 1 Comment on मानवता का होना जरूरी डॉ. दीपक आचार्य मनुष्य शरीर ही काफी नहीं मानवता का होना जरूरी है दुनिया भर में जनसंख्या विस्फोट का दौर निरन्तर जारी है। हजारों-लाखों रोज पैदा हो रहे हैं। हमारे यहाँ भी खूब पैदा होते रहे हैं, हो रहे हैं और होंगे। लेकिन हाल के वर्षों में समाज की जो स्थिति सामने दिख रही है […] Read more » मनुष्य शरीर
चिंतन जीते जी सराहना की आदत डालें June 10, 2012 / June 10, 2012 | 2 Comments on जीते जी सराहना की आदत डालें डॉ. दीपक आचार्य मरने के बाद कीर्तिगान की बजाय जीते जी सराहना की आदत डालें मानव समुदाय में अच्छे कार्यों और हुनर की बदौलत प्रतिष्ठा पाने और अच्छा मुकाम बनाने के लिए हर कोई व्यक्ति अनथक प्रयास करता है और इनमें से कई अपनी मंजिल पाते भी हैं। कोई देर से तो कोई धीरे। कई […] Read more » admiring people सराहना की आदत
चिंतन मजा तो तब है जब अच्छे काम करें June 9, 2012 / June 9, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य मजा तो तब है जब अच्छे काम करें बुरे काम करने वाले तो खूब हैं दुनिया में अपने स्वार्थ और ऎषणाओं की पूत्रि्त के लिए लोग इतने जतन करते रहते हैं जितने वे सच्चे इंसान बनने के लिए ये पूरी जिन्दगी भर भी नहीं कर पाते। आज हालात यह हो गए हैं कि […] Read more » do good work अच्छे काम करें
चिंतन टिप्पणी करें तब ध्यान रखें June 8, 2012 / June 8, 2012 | 3 Comments on टिप्पणी करें तब ध्यान रखें डॉ. दीपक आचार्य टिप्पणी करें तब ध्यान रखें अपने और सामने वाले के कद का प्रतिक्रिया करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसके पहले हमें स्वयं और दूसरे पक्षों के कद का ध्यान रखना चाहिए तभी प्रतिक्रिया को गरिमामय तथा शालीन कहा जा सकता है और ऎसी प्रतिक्रिया अपना अच्छा तथा दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ […] Read more » टिप्पणी करें तब ध्यान रखें
चिंतन नीयत साफ हो तभी नियति साथ June 6, 2012 / June 6, 2012 | 2 Comments on नीयत साफ हो तभी नियति साथ सारी उपासनाओं, साधनाओं और कर्मयोग का यही सार है कि जिसकी नीयत साफ है, भगवान उसी के साथ है। फिर जिसके साथ भगवान है उसे नियति भी हरसंभव सहयोग देती है। मनुष्य के जीवन में सफलता पाने के लिए मन का साफ होना पहली और अनिवार्य शर्त है। जो भी भजन-पूजन और आराधना की जाती […] Read more »
चिंतन लावारिश पशुओं से ज्यादा घातक हैं स्वच्छन्द विचरते आवारा आदमी June 4, 2012 / June 4, 2012 | 1 Comment on लावारिश पशुओं से ज्यादा घातक हैं स्वच्छन्द विचरते आवारा आदमी डॉ. दीपक आचार्य आजकल हर कहीं आवारा या लावारिश मवेशियों की चर्चा होती है और इन पर प्रतिबंध की बातें अक्सर छायी रहने लगी हैं। एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि इस देश में कोई लावारिश नहीं है। जिस ईश्वर ने उसे धरा पर भेजा है वह उन सबका वारिस है। वही परमपिता […] Read more » useless men more fatal than uselessanimals पशुओं से ज्यादा घातक हैं