कला-संस्कृति कैकई का राष्ट्रहित May 3, 2011 / December 13, 2011 | 1 Comment on कैकई का राष्ट्रहित “कोशलोनाम मुदित, स्फीतो जनपदो महान। निविश्टः सरयू तीरे, प्रभूत धनधान्यवान ॥” प्राचीन काल में कोशल जनपद की महत्ता का वर्णन वाल्मीकि रामायण के उक्त श्लोक से स्वतः सिद्ध हो जाती है। ऐसे महान जनपद में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने वाली महान समरांगणी एवं अद्वितीय बुद्धिमती माता कैकेयी ने आसन्न महासंकट का अनुभव करते हुए जो […] Read more » National interest
कविता प्रिय अपनी बाहों में भर लो। May 1, 2011 / December 13, 2011 | 1 Comment on प्रिय अपनी बाहों में भर लो। विप्रलम्ब तन शीतल मन शीतल कर दो, प्रिय अपनी बाहों में भर लो। ————————————— मंद हवाओं का ये झौंका, आंचल को सहलाता हैं। ————————————— पुष्पों की सुरभित मादकता, तन में आग लगाता है। ————————————— मिलने की उत्कंठा दिल में, धड़कन और ब़ाता है। ————————————— तेरे आने की हर आहट, मन में आस जगाता है। […] Read more »