राजनीति किसकी सुने किस पर ऐतबार करें August 26, 2012 / August 26, 2012 | 2 Comments on किसकी सुने किस पर ऐतबार करें जावेद उस्मानी राजनैतिक दुनिया में ज्यादातर लोगो की नजर में, अपने अलावा कोर्इ शाह नही है। सियासी दुनिया में ऐसी तकदीर वाले बिरले है जिन्हे बिगड़़ा हुआ नही माना जाता है। यहां, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसक आस्था के आलोचक उतने ही है, जितने हिंसा के विरोधी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे अन्ना […] Read more »
राजनीति हारी जीत या जीती हार August 10, 2012 / August 10, 2012 | 1 Comment on हारी जीत या जीती हार जावेद उस्मानी अन्ना हजारे का हालिया फैसला जेरे बहस है। अब उनकी तैयारी सियासी मैदान में भ्रष्टाचार विरोधी जंग लड़ने की हैं। इसकी रणनीति पर्दे के पीछे है फिलहाल तो केवल अटकले हैं। लेकिन टीम अन्ना का चोला बदलने का निर्णय समान्यतौर पर हैरत अंगेज माना जा रहा है। अचानक ऐसा क्या हुआ जो उन्होने […] Read more » Anna Andolan
आलोचना जो लूट सके तो लूट ! July 16, 2012 / July 16, 2012 | 1 Comment on जो लूट सके तो लूट ! जावेद उस्मानी भला हो सूचना के अधिकार कार्यकर्ता एस सी अ्रग्रवाल का जिन्होने एक बहुत अहम मुकाम पर ऐसी जानकारी निकाली जिसकी इस समय बहुत जरुरत थी। यह सूचना, इसका संकेत है कि, देश बड़ी तेज़ी से दो वर्गों में बंटता जा रहा है जिसका एक छोर स्वर्ग है तो दूसरा छोर नरक है। जाहिर […] Read more »
राजनीति शिखंडी की ओट कैसी खोट June 18, 2012 / June 18, 2012 | 1 Comment on शिखंडी की ओट कैसी खोट 3 जून को दिल्ली में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के संयुक्त अनशन के ऐन पहले सियासी गरमाहट टीम अन्ना के एक प्रमुख सदस्य व अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के लिए शिखंडी शब्द का प्रयोग करने के बाद बढ़़ गयी। हाल में ही,तकरार के तूफान का रुख मोड़ने के लिए इसी टीम की […] Read more » statement by kiran bedi statement by prashant bhushan
राजनीति विश्वास का संकट July 18, 2011 / December 8, 2011 | 1 Comment on विश्वास का संकट जावेद उस्मानी भारतीय लोकतंत्र गंभीर दौर से गुजर रहा है। सत्ता अपने मतदाताओ को और प्रजा अपने निर्वाचितशासक को लेकर असमंजस में है। समूचा जन मानस राजनैतिक और गैरराजनैतिक विचारधारा के भॅवर मे फसा हुआ है। एक दूसरे को काटती दोनो धाराए अपनी अपनी जंग जीतने के लिये ऐसी राह पर है जिसकी कोई मंजिल […] Read more » Faith विश्वास का संकट
समाज न गांधी का देश न अन्ना हजारे का गांव July 12, 2011 / December 9, 2011 | 3 Comments on न गांधी का देश न अन्ना हजारे का गांव जावेद उस्मानी पूरे देश मे भ्रष्टाचार की गूंज है । अरब देशो मे हुए आन्दोलन के बाद देश मे भ्रष्टाचार की चर्चा चरम पर हैं । आम आदमी से लेकर देश के मुखिया तक सभी या तो की दुहाई दे रहे है या अपनी सफाई दे रहे हैं । रिश्वत खाने वाले की अपनी डफली […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
समाज भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा May 1, 2011 / December 13, 2011 | 7 Comments on भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा कोषपूर्वा: सर्वारम्भाः। तस्मात पूर्वं कोषमवेक्षेत। कौटिल्य अर्थशास्त्रमःअघ्याय 8 प्रकरण 24 श्लोक 1 (सभी कार्य कोष पर निर्भर है। इसलिये राजा को चाहिये कि सबसे पहले कोष पर ध्यान दे।) सभ्यता के प्रारंभ से ही मानवों ने पहले समाज एंव फिर एक सामाजिक सत्ता की आवश्यकता महसूस कर ली थी। शक्ति आधारित राजतंत्रीय ब्यवस्था मे प्रारंभिक […] Read more » Indian अफसरशाही दशा दिशा भारतीय