व्यंग्य व्यंग्य/टारगेट ! August 3, 2010 / December 22, 2011 | 1 Comment on व्यंग्य/टारगेट ! -जवाहर चौधरी भारत में दो तरह के लोग रहते हैं, एक- जिन्हें बैंकें लोन देतीं हैं ओर दूसरे जिन्हें किसी भी हालत में नहीं देतीं। लोन लेने की पात्रता जिन्हें होती है वे प्राय: सुविधा संम्पन्न होते हैं। उनके पास पहले से ही गाड़ी-बंगला, जमीन-जायजाद, बैंक बेलेन्स वगैरह होता है। निश्विंत हो कर खाते हैं […] Read more » vyangya