विविधा पराई बुद्धि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते- कुसुमलता केडिया July 3, 2011 / December 9, 2011 | 12 Comments on पराई बुद्धि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते- कुसुमलता केडिया कोई भी समाज तब तक स्वस्थ, सबल, स्वाधीन एवं प्रतिष्ठा संपन्न नहीं हो सकता जब तक उसकी सामूहिक बुध्दि जाग्रत एवं प्रदीप्त न हो। उधार की तलवार से लड़ाई तो हो सकती है, परंतु उधारकी बुध्दि से ऐश्वर्य एवं श्री की प्राप्ति असंभव है। पराई बुध्दि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते, पराई सेवा तो खूब […] Read more »
महिला-जगत ईसाई धर्म और नारी मुक्ति / प्रो. कुसुमलता केडिया July 2, 2011 / June 6, 2012 | 26 Comments on ईसाई धर्म और नारी मुक्ति / प्रो. कुसुमलता केडिया प्रो. कुसुमलता केडिया क्रिश्चिएनिटी की जिन मान्यताओं के विरोध में यूरोपीय नारी मुक्ति आंदोलन वीरतापूर्वक खड़ा हुआ, वे मान्यताएं हिन्दू धर्म, बौध्द धर्म तथा विश्व के सभी धर्मों में कभी थी ही नहीं। यहां तक कि यहूदी धर्म और इस्लाम में भी ये मान्यताएं कभी भी नहीं थीं। भले ही स्त्रियों पर अनेक प्रतिबंध इस्लाम […] Read more » Christian क्रिश्चियन नारी महिला