एडवोकेट मनीराम शर्मा

एडवोकेट मनीराम शर्मा

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शैक्षणिक योग्यता : बी कोम , सी ए आई आई बी , एल एल बी
एडवोकेट
वर्तमान में, 22 वर्ष से अधिक स्टेट बैंक समूह में अधिकारी संवर्ग
में सेवा करने के पश्चात स्वेच्छिक सेवा निवृति प्राप्त, एवं समाज
सेवा में विशेषतः न्यायिक सुधारों हेतु प्रयासरत

लेखक - एडवोकेट मनीराम शर्मा - के पोस्ट :

विधि-कानून समाज

जजों की नियुक्ति एक भ्रमजाल …!!

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मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति किरुबकरन ने एक अवमान मामले की सुनवाई में कहा है कि देश की जनता पहले ही न्यायपालिका से कुण्ठित है अत: पीड़ित लोग में से मात्र 10% अर्थात अतिपीडित ही न्यायालय तक पहुंचते हैं| सुप्रीम कोर्ट के जानमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि भारत में न्याय मात्र 1% ही होता है| समय समय पर लोक अदालतें लगाकर समझौतों के माध्यम से मामले निपटाकर वाही वाही लूटी जाती है जबकि समझौते न्यायपालिका की सफलता न होकर विफलता है क्योंकि समझौते कमजोर पक्ष के हित की बलि देने पर ही संपन्न होते हैं

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