लेख जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी April 10, 2025 / April 10, 2025 | Leave a Comment आस्था पेशाब तक पिला देती है, जाति पानी तक नहीं पीने देती। कैसे लोग अंधभक्ति में बाबा की पेशाब को “प्रसाद” मानकर पी सकते हैं, लेकिन जाति के नाम पर दलित व्यक्ति के छूने मात्र से पानी अपवित्र मान लिया जाता है। इन समस्याओं की जड़ें धर्म, राजनीति, शिक्षा और मीडिया की भूमिका में छिपी […] Read more » आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी
लेख मोबाइल की कैद April 9, 2025 / April 9, 2025 | Leave a Comment मोबाइल ने छीन ली, हँसी-खुशी की बात।घर के भीतर भी नहीं, दिल से कोई साथ।। पिता लगे संदेश में, माँ का व्यस्त है फोन।बच्चा बोला ध्यान दो, मैं भी हूँ अब कौन? भाई-बहना पास हैं, फिर भी दूरी आज।मोबाइल की कैद में, रिश्तों का है राज।। बचपन भूला आँगना, खेल न छूता पाँव,बच्चे उलझे गेम […] Read more » मोबाइल की कैद
लेख जंगलों पर छाया इंसानों का आतंक: एक अनदेखा संकट April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment सवाल यह नहीं है कि जानवर शहरों में क्यों आ गए, बल्कि यह है कि वे जंगलों से क्यों चले आए? हम जिस “आतंक” की बात कर रहे हैं, वह वास्तव में प्रकृति का प्रतिवाद है—उस दोहरी मार का नतीजा जो हमने जंगलों और वन्यजीवों पर एक लंबे अरसे से चलाया है। विकास के नाम […] Read more » जंगलों पर छाया इंसानों का आतंक
कविता रिश्तों की चिता.. April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment कभी एक आँगन था…जहाँ माँ की साड़ी की ओट मेंदुनिया छुप जाया करती थी।अब उसी आँगन में,“सीमा रेखा” खींची गई है…जमीनी नक्शे से रिश्तों का नापा जा रहा है! कभी जो थाली में एक साथ खाते थे—अब “हिस्से” गिने जाते हैं…और थाली से ज़्यादा “बयान”महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।भाई नहीं बोलते अब— वो वकील से बात […] Read more » रिश्तों की चिता..
मनोरंजन सिनेमा भारत कुमार को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि: मनोज कुमार – एक युग, एक विचार, एक भावना April 6, 2025 / April 6, 2025 | Leave a Comment “है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ” -प्रियंका सौरभ जब भी भारतभूमि से जुड़ी फिल्मों और कलाकारों की बात होती है, तो एक नाम स्वाभाविक रूप से मन में आता है – मनोज कुमार। यह नाम सिर्फ एक अभिनेता का […] Read more » मनोज कुमार
राजनीति वक्फ संशोधन बिल 2024: पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर एक क्रांतिकारी कदम April 3, 2025 / April 3, 2025 | Leave a Comment भ्रष्टाचार पर लगाम और पारदर्शिता की नई पहल” वक्फ संशोधन बिल 2024 लोकसभा में पारित हुआ, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। भारत में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत लाखों एकड़ भूमि आती है, लेकिन वर्षों से इसके दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप लगते रहे हैं। यह बिल वक्फ […] Read more » : A revolutionary step towards transparency and accountability wakf amendmend bill Wakf Amendment Bill 2024 वक्फ संशोधन बिल 2024
कार्टून मनोरंजन राजनीति घिब्ली की दुनिया बनाम हकीकत: कला, रोजगार और मौलिकता का संघर्ष April 1, 2025 / April 1, 2025 | Leave a Comment रोजगार हमारी ज़रूरतों के लिए आवश्यक है, लेकिन कला और मनोरंजन मानसिक शांति और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। घिब्ली स्टाइल इमेजरी और एआई टूल्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे मौलिकता पर सवाल उठ रहे हैं। पहले जहां कलाकारों को महीनों मेहनत करनी पड़ती थी, अब एआई कुछ सेकंड में वैसा […] Read more » घिब्ली की दुनिया
लेख 1930 की चेतावनी और पकते कान: साइबर सतर्कता या शोरगुल? April 1, 2025 / April 1, 2025 | Leave a Comment एक ज़रूरी बचाव, लेकिन क्या लोग ऊब गए हैं? साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 और ऑनलाइन ठगी से बचाव की चेतावनियाँ इतनी बार सुनाई देने लगी हैं कि लोग अब इनसे ऊबने लगे हैं। बैंक, फोन कंपनियाँ, न्यूज़ चैनल्स, और सोशल मीडिया हर जगह साइबर फ्रॉड के अलर्ट्स छाए हुए हैं, जिससे लोग ठगी से कम […] Read more » साइबर सतर्कता
कविता जीवन का आधार March 31, 2025 / March 31, 2025 | Leave a Comment भाई अगर निभा रहा, फर्ज सभी हर बार।समझो उसकी संगिनी, पूजन की हकदार॥ जो नारी ससुराल को, देती मान अपार।उसका गौरव गूँजता, फैले सुख संसार॥ संबल पति का जो बने, दे सबको अधिकार।ऐसी नारी पूज्य है, सदा करे उद्धार॥ बाँधे जो परिवार को, स्नेह सुधा से लीप।सौरभ ऐसी नारियाँ, कुल को रखे समीप॥ जो ना […] Read more » जीवन का आधार
कला-संस्कृति लेख क्या सचमुच सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा? March 28, 2025 / March 28, 2025 | Leave a Comment समय के साथ परिधान और समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले “दामन” केवल वस्त्र का टुकड़ा नहीं, बल्कि मर्यादा और संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। पारंपरिक वस्त्रों—साड़ी, घाघरा, अनारकली—को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा जाता था। “दामन की प्रतिष्ठा” अब भी बनी हुई है, परंतु उसकी परिभाषा बदल चुकी है। परंपरा और […] Read more » Is Daman's reputation really shrinking? सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा
बच्चों का पन्ना राजनीति विधि-कानून बार-बार समाज को झकझोरते संवेदनहीन फैसले March 27, 2025 / March 27, 2025 | Leave a Comment अमानवीय फैसले,संवेदनहीन न्याय? क्या हमारी न्याय प्रणाली यौन अपराधों के मामलों में और अधिक संवेदनशील हो सकती है? या फिर ऐसे सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले बार-बार समाज को झकझोरते रहेंगे? यह मामला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फैसले का […] Read more » Kerala HC narrows the scope of ‘rubbing-touching-ejaculation’ in POCSO cases POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) POCSO Act संवेदनहीन न्याय
लेख समाज डिजिटल भारत में विचारों की बेड़ियां March 26, 2025 / March 26, 2025 | Leave a Comment सरकार द्वारा ओटीटी प्लेटफार्मों की निगरानी, सोशल मीडिया पर टेकडाउन आदेश और आईटी नियम 2021 ने डिजिटल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित किया है। सेंसरशिप और आत्म-नियमन से प्लेटफार्म अधिक सामग्री हटाने लगे हैं, जिससे विचारों की विविधता प्रभावित होती है। झूठी सूचनाओं और साइबर अपराधों को रोकने के लिए कुछ हद तक नियमन आवश्यक […] Read more »