टेक्नोलॉजी मनोरंजन एआई और रोबोटिक्स: एक सपना, चेतावनी और उनके बीच खड़ा भविष्य November 21, 2025 / November 24, 2025 | Leave a Comment हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और रोबोटिक्स के क्षेत्र में हुए तेज़ विकास से दुनिया में कुछ लोग उत्साहित हैं तो कुछ आशंकित। कुछ को लगता है कि जल्द इंसान Read more » AI and robotics एआई और रोबोटिक्स
लेख शिक्षा भविष्य की बुनियाद लेकिन हिल रही नींव November 10, 2025 / November 10, 2025 | Leave a Comment हमारे बच्चे और युवा देश का भविष्य हैं और शिक्षा उन्हें दिशा देती है। दूसरी ओर स्कूल और कॉलेज में सीखने-सीखने का उद्देश्य कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। Read more » राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
Tech लेख इंजीनियरिंग शिक्षा: अब कम होगी कंप्यूटर साइंस की सीटें September 19, 2025 / September 19, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन पिछले दशक में इंजीनियरिंग की कंप्यूटर साइंस, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसी टेक्नोलॉजी उन्मुख शाखाएं छात्रों और कॉलेजों, दोनों की पहली पसंद बन गयी थीं। कारण स्पष्ट हैं — उच्च सैलरी, नौकरी के ग्लोबल अवसर, इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी उद्योग की होड़ और डिजिटल इंडिया की महत्वाकांक्षाएं। इस सफलता की चमक ने यह सोच दी कि जितना हो सके सीएसई […] Read more » Engineering Education: Computer Science seats will now be reduced इंजीनियरिंग शिक्षा
राजनीति विश्ववार्ता सरकार की नाकामी का नतीजा है नेपाल में जेन-ज़ी की बग़ावत September 11, 2025 / September 27, 2025 | Leave a Comment नेपाल ने 4 सितंबर को जब सोशल मीडिया पर बैन लगाया तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह फैसला सत्ता बदलने की वजह बनेगा लेकिन यही हुआ। Read more » नेपाल में जेन-ज़ी नेपाल में जेन-ज़ी की बग़ावत
पर्यावरण लेख प्रकृति ने हमें चेताया है, उसे सुनें और अपनी दिशा बदलें September 10, 2025 / September 10, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन उत्तर भारत इन दिनों एक गहरी त्रासदी से गुजर रहा है। यहां हो रही भीषण बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है। मौसम विभाग के अनुसार 22 अगस्त से 4 सितंबर के बीच क्षेत्र में सामान्य से तीन गुना अधिक बारिश दर्ज हुई है। यह पिछले 14 वर्षों में सबसे अधिक और 1988 के बाद सबसे बरसात वाला मानसून है। भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने कई राज्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे हैं। अब तक सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। अकेले पंजाब में इस दशक की सबसे भीषण बाढ़ ने 50 से अधिक लोगों की जान ले ली है और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। गांव डूब गए, सड़कें और पुल बह गए, खेत बर्बाद हो गए और शहरों का जीवन ठप हो गया है। त्रासदी का गहरा असर जब बाढ़ का पानी उतर जाएगा तो कैमरे और प्रशासन वहां से लौट आएंगे लेकिन प्रभावित लोगों की पीड़ा बरसों तक बनी रहेगी। गिरे हुए मकान, डूबे खेत, कर्ज में दबे किसान और पढ़ाई से वंचित बच्चे हमें लगातार याद दिलाएंगे कि यह महज मौसम की सामान्य घटना नहीं बल्कि एक चेतावनी है। जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की चिंता नहीं बल्कि वर्तमान की कठोर सच्चाई है। सवाल यह है कि क्या हम इसे गंभीरता से लेकर रोकथाम की राह पकड़ेंगे या हर साल राहत और मुआवजे की रस्म अदायगी दोहराते रहेंगे। क्यों बदल रहा है मानसून का पैटर्न दरअसल, मानसून अब पहले जैसा नहीं रहा। कहीं बेहद कम बारिश होती है तो कहीं अचानक बादल फट जाते हैं और कुछ घंटों में महीनों का पानी बरस जाता है। हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों में जलप्रवाह अचानक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे चुके हैं कि हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा शिकार बनेगा और वर्तमान घटनाएं आने वाले भयावह समय की झलक मात्र हैं। मानवीय त्रासदी और प्रशासनिक विफलता इस आपदा का असर केवल भूगोल तक सीमित नहीं है बल्कि लाखों लोगों के जीवन पर पड़ा है। अपनों को खो चुके परिवारों के लिए यह आंकड़े नहीं बल्कि अधूरी कहानियां हैं। लाखों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के किसानों की खड़ी फसलें डूब गईं। स्कूल बंद हैं, अस्पतालों में दवाओं की कमी है और महामारी का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन यह त्रासदी जितनी भीषण है, उससे भी बड़ा सवाल है कि हमारी नीति और तैयारी बार-बार क्यों विफल हो जाती है। हर साल बाढ़ आती है और हर साल वही दृश्य दोहराए जाते हैं। दिल्ली में यमुना बार-बार खतरे के निशान से ऊपर चली जाती है क्योंकि नालों और जलनिकासी तंत्र पर अतिक्रमण हो चुका है। हिमालयी राज्यों में अंधाधुंध सड़कें, होटल और बांध बनने से पहाड़ और असुरक्षित हो गए हैं। सरकारें राहत और मुआवजे पर तो जोर देती हैं लेकिन दीर्घकालिक रोकथाम और जल प्रबंधन पर कम ध्यान देती हैं। सही है कि यह समस्या केवल भारत की नहीं है। जलवायु संकट वैश्विक है लेकिन भारत जैसे देशों पर इसका असर कहीं ज्यादा है। हम वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तीसरे स्थान पर हैं। उद्योग और शहरी उपभोग मॉडल प्रदूषण और उत्सर्जन को बढ़ा रहे हैं लेकिन सबसे अधिक पीड़ा गरीब और कमजोर वर्ग झेल रहा है। पहाड़ी इलाकों के छोटे किसान, मजदूर और आदिवासी इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। समाधान की राह समाधान असंभव नहीं है पर इसके लिए दृष्टिकोण बदलना होगा। हिमालयी राज्यों में संवेदनशील इलाकों की पहचान कर निर्माण पर रोक लगानी होगी। नदियों के किनारे फ्लड ज़ोन मैपिंग जरूरी है ताकि वहां नई आबादी बसाने से बचा जा सके। शहरी क्षेत्रों में ड्रेनेज और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य करना होगा। मौसम पूर्वानुमान को और सटीक बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग जरूरी है। आपदा प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी ताकि राहत और बचाव केवल सरकारी मशीनरी पर निर्भर न रहे। साथ ही विकसित देशों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण वही हैं। अब समय है कि वे कार्बन उत्सर्जन में कटौती करें और विकासशील देशों को जलवायु फंडिंग उपलब्ध कराएं। भारत को भी नवीकरणीय ऊर्जा की ओर और तेजी से बढ़ना होगा और विकास मॉडल को प्रकृति के अनुकूल बनाना होगा। उत्तर भारत की यह बाढ़ हमें आईना दिखाती है कि यदि हमने अब भी सबक नहीं सीखा तो आने वाले वर्षों में आपदाओं का यह सिलसिला और विकराल रूप लेगा। जब तक नीतियों और विकास की दिशा को बदलकर प्रकृति के साथ संतुलन नहीं साधा जाएगा, तब तक त्रासदियां हमारे जीवन का हिस्सा बनी रहेंगी। प्रकृति ने हमें चेताया है, अब जिम्मेदारी हमारी है कि हम उसे सुनें और अपनी दिशा बदलें। राजेश जैन Read more » listen to it and change your direction Nature has warned us भीषण बारिश
राजनीति आज़ादी के 78 साल का हासिल: थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है August 12, 2025 / August 12, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन 15 अगस्त 1947 को जब देश ने आज़ादी की सांस ली तो करोड़ों लोगों की आंखों में ऐसे देश का सपना था जो अपने पैरों पर खड़ा हो, जहां वैज्ञानिक सोच और सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिले, हर इंसान को बराबरी का दर्जा और हर गांव-गली को शिक्षा की रौशनी हासिल हो । […] Read more » आज़ादी के 78 साल
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार एक भाव है राखी, हर भाई-बहन को बांधती है स्नेह की डोर से August 8, 2025 / August 8, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन रक्षाबंधन हर साल आता है पर हर साल कुछ नया दे जाता है- नई यादें, वादे और भरोसे। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की असली मिठास महंगे उपहार में नहीं बल्कि उस धागे में होती है जो प्रेम, विश्वास और अपनेपन से बुना होता है। इसलिए भले ही राखी का धागा है बहुत हल्का […] Read more » रक्षाबंधन
राजनीति अमेरिकी सेना की वापसी से सीरिया फिर अराजकता की ओर June 24, 2025 / June 24, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन जिस देश ने बीते दशक में क्रूरता का सबसे भयावह चेहरा देखा, वहां एक बार फिर अशांति की परछाइयां गहराने की आशंका हैं। अमेरिकी सेना की वापसी से सीरिया में अराजकता फिर से बढ़ने के आसार है। सेना के सीरिया से हटने के बाद इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों के फिर से मजबूत […] Read more » Syria is back to chaos as US forces withdraw सीरिया फिर अराजकता की ओर
राजनीति विश्ववार्ता एक बार फिर से भड़कता दिख रहा रूस-यूक्रेन युद्ध June 6, 2025 / June 6, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध चौथे साल में चल रहा है। लाखों लोगों की जान जा चुकी है, शहर उजड़ चुके हैं और अब दुनिया की नजरें इस सवाल पर टिकी हैं — आखिर कौन जीत रहा है यह युद्ध? क्या यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की रूस के ताकतवर राष्ट्रपति व्लादिमीर […] Read more » The Russia-Ukraine war seems to be flaring up once again रूस-यूक्रेन युद्ध
राजनीति बौखलाहट में खुद का नुकसान कर रहा पाकिस्तान April 28, 2025 / April 28, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित करने सहित पांच बड़े कदम उठाए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी बौखलाहट में कई तात्कालिक फैसले कर डाले। इनमें शिमला समझौते को रद्द करना, भारतीय उड़ानों के लिए अपने एयरस्पेस को बंद करना और वाघा सीमा चौकी को बंद करने जैसे कदम शामिल हैं लेकिन विशेषज्ञों की राय में पाकिस्तान के ये कदम उसे खुद ही अधिक नुकसान पहुंचाएंगे, जबकि भारत को इससे रणनीतिक और कूटनीतिक फायदे मिल सकते हैं। शिमला समझौते को स्थगित करना पाकिस्तान का एक बड़ा निर्णय रहा। 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते ने कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय दायरे में सीमित रखा था लेकिन पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रूप से इस समझौते का कई बार उल्लंघन किया है। अब जब पाकिस्तान खुद इसे रद्द कर रहा है तो भारत पर किसी समझौता-उल्लंघन का आरोप लगने की संभावना खत्म हो जाती है। भारत अब एलओसी पर अपनी रणनीति के तहत बदलाव कर सकता है और आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब वैश्विक शक्तियां, जो पहले ‘द्विपक्षीयता’ के कारण सीमित थीं, भारत के कदमों का खुलकर समर्थन कर सकती हैं।वहीं, पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद करना एक और भावनात्मक प्रतिक्रिया रही। यह सही है कि इससे भारतीय एयरलाइनों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा, रूट लंबा होगा और टिकटें महंगी हो सकती हैं लेकिन दीर्घकालिक नजरिए से देखें तो भारत अपनी एविएशन रणनीति को और मजबूत कर सकता है और वैकल्पिक मार्ग विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। पाकिस्तान को भी इस निर्णय का नुकसान झेलना होगा। पहले भी 2019 में एयरस्पेस बंदी के दौरान पाकिस्तान की एविएशन इंडस्ट्री को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ था। पाकिस्तान द्वारा वाघा-अटारी बॉर्डर को बंद करने का फैसला और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) वीजा छूट रद्द करना भी उसी आत्मघाती प्रतिक्रिया का हिस्सा है। वाघा बॉर्डर से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होती थीं, जिससे पाकिस्तान को भी फायदा होता था। इस मार्ग के बंद होने से पाकिस्तान की पहले से जर्जर अर्थव्यवस्था पर और भार पड़ेगा। खासकर अफगानिस्तान के लिए ट्रांजिट ट्रेड प्रभावित होगा, जिससे पाकिस्तान की भूराजनैतिक स्थिति और भी कमजोर हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों से सैन्य सलाहकारों को हटाना तथा कर्मचारियों की संख्या घटाना भी दोनों देशों के बीच संवाद के न्यूनतम चैनल को खत्म करने जैसा है। इससे गलतफहमियां बढ़ने का खतरा है। हालांकि, भारत के लिए यह भी एक अवसर है कि वह पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और गतिविधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए, बिना यह चिंता किए कि इसका कोई राजनयिक संवाद बाधित होगा। भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का असर पाकिस्तान पर सबसे गहरा होगा। पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र काफी हद तक सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। इस पानी की आपूर्ति में कमी आने से कृषि उत्पादन घटेगा, बिजली संकट बढ़ेगा और आर्थिक संकट गहरा सकता है। सिंधु जल समझौता पाकिस्तान के लिए जीवनरेखा की तरह था, और इसका स्थगन पाकिस्तान की जनता पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालेगा। भारत ने यह कदम उठाकर एक स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद को प्रश्रय देने की कीमत चुकानी पड़ेगी। स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने बौखलाहट में ऐसे फैसले लिए हैं जो तात्कालिक रूप से उसके लोगों के आक्रोश को संतुष्ट कर सकते हैं, लेकिन दीर्घकाल में उसके खुद के लिए विनाशकारी साबित होंगे। भारत ने अपने फैसलों से पाकिस्तान पर कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तान का हर कदम उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अलग-थलग करेगा, जबकि भारत वैश्विक समर्थन के साथ अपने हितों की रक्षा करने की मजबूत स्थिति में आ जाएगा। इसलिए अब भारत को संयमित तरीके से आगे बढ़ते हुए इस परिस्थिति का लाभ उठाना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक मजबूत संदेश जाए कि आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। राजेश जैन Read more » Pakistan is harming itself in its frustration खुद का नुकसान कर रहा पाकिस्तान
राजनीति विश्ववार्ता नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, जोर पकड़ रही राजशाही की मांग April 16, 2025 / April 16, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन साल 2008 में राजशाही ख़त्म कर पड़ोसी देश नेपाल में गणतांत्रिक राज्य की स्थापना को 17 साल ही हुए हैं। संविधान को 10 साल भी पूरे नहीं हुए लेकिन 14 सरकारें बदल गई हैं। इस दौरान कोई भी चुनी हुई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। जनता को लगने लगा है कि विचारधारा गौण हो चुकी है। राजनीतिक दल सिर्फ […] Read more » दुर्गा प्रसाई नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता
राजनीति विश्ववार्ता ट्रम्प के रवैए से लोकतंत्र को झटका, मजबूत होंगी विस्तारवादी ताकतें March 3, 2025 / March 3, 2025 | Leave a Comment राजेश जैन अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन या तो अपनी आधी खनिज संपदा उसे देने का सौदा करे या अपनी जमीन का करीब पांचवां भाग छोड़ दे, वहीं ‘नाटो’ का सदस्य बनने या किसी दूसरी तरह की सुरक्षा गारंटी हासिल करने की बात तो भूल ही जाए। फरवरी के अंतिम दिन अमेरिका दौरे के दौरान इससे इंकार […] Read more » expansionist forces will become stronger Trump's attitude is a blow to democracy ट्रम्प के रवैए से लोकतंत्र को झटका