राजनीति विश्ववार्ता नेपाल में क्या और क्यों हो रहा है September 11, 2025 / September 29, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी पहले श्रीलंका, फिर बांग्लादेश और अब नेपाल ने एक क्रांति हो रही है । कहने को यह क्रांति है लेकिन यह जनता का गुस्सा है जो छात्रों के माध्यम से सड़कों पर उतर आया है । Read more » What is happening in Nepal and why नेपाल नेपाल में क्या और क्यों हो रहा है
लेख सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है पंजाब की बाढ़ September 9, 2025 / September 9, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी इस समय हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान और पंजाब-हरियाणा विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहे हैं । देखा जाए तो भारी बारिश ने पूरे उत्तर-भारत में तबाही मचाई हुई है । टीवी मीडिया और सोशल मीडिया में आने वाले भयानक दृश्य देखकर पूरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है । हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कई बार बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं जिसके कारण सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है । इसके अलावा इन पहाड़ी प्रदेशों में सड़कों और पुलों की जबरदस्त तबाही हुई है । इन प्रदेशों में जो बुनियादी ढांचा बर्बाद हुआ है, उसे दोबारा बनाने में काफी समय लगने वाला है । हरियाणा में भी बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई है लेकिन पंजाब की बर्बादी परेशान करने वाली है । पंजाब की लगभग तीन लाख एकड़ भूमि बाढ़ के पानी में डूब चुकी है जिसके कारण फसलों की पूरी बर्बादी हो गई है । इसके अलावा कृषि भूमि में नदियों की रेत इस तरह से भर गई है कि दोबारा खेती करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी । पंजाब के लगभग 2000 गांव बाढ़ में डूबने से भारी तबाही हुई है. मरे हुए मवेशियों की लाशें तैरती नजर आ रही हैं । इसके अलावा सैकड़ों मवेशी बाढ़ के पानी में बहकर पाकिस्तान जा चुके हैं । बाढ़ के कारण हजारों लोगों की अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है । हिमालय से निकलने वाली जीवनदायिनी नदियों ने अपनी ताकत का अहसास करवाया है । पंजाब को बाढ़ से बचाने के लिए जो बांध बनाए गए थे, वो अपना काम करने में नाकाम रहे हैं । इसके विपरीत इन बांधो ने भी इस समस्या को बढ़ाया है । इस पर विचार करने की जरूरत है कि जिन बांधों को बाढ़ से बचाव के लिए बनाया गया था, क्यों वो अपना काम नहीं कर पाए । पंजाब को पांच नदियों का प्रदेश कहा जाता है. इन नदियों के विकराल रूप ने न केवल भारतीय पंजाब बल्कि पाकिस्तान पंजाब को सहमा दिया है । पंजाब में हुए विनाश को देखते हुए केंद्र सरकार से जनता दखल देने की मांग कर रही है । इस समय पंजाब के बाढ़ पीड़ितों को भोजन, दवाइयों और वित्तीय मदद की जरूरत है । पंजाब में क्रिकेटर, सिंगर, खिलाड़ी, अभिनेता और अन्य सेलिब्रिटी मदद के लिए आगे आए हैं जिससे राहत कार्य चल रहे हैं । 9 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी भी पंजाब का दौरा कर रहे हैं जबकि केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह पहले ही पंजाब का दौरा कर चुके हैं । उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के दौरे के बाद पंजाब के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कोई राहत पैकेज घोषित किया जाए । केन्द्र सरकार की समस्या यह है कि भारत के बड़े हिस्से में बाढ़ से तबाही हुई है और सभी उससे राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं । वैसे देखा जाए तो पंजाब की समस्या ज्यादा गंभीर दिखाई दे रही है इसलिए केन्द्र सरकार को इस पर ध्यान देना होगा । वैसे हमारे देश में हर मुद्दे पर राजनीति होती है, इसलिए ऐसे मामले सुलझाने में समस्या आती है । पंजाब में विपक्ष की सरकार है इसलिए केन्द्र सरकार से राहत पैकेज के नाम पर इतनी राशि मांगी जा रही है, जिससे राहत पैकेज के बाद राजनीति की जा सके । देखा जाए तो ऐसी विभीषिका से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना चाहिए लेकिन भारत में राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि देशहित से ऊपर दलहित हो गया है । इस विभीषिका के लिए केन्द्र और राज्य की सरकारों को दलगत हितों से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है । हमारे देश की विडम्बना है कि नौकरशाही और नेता बाढ़ जैसी आपदा को अपने लिए एक मौका मानते हैं । कौन नहीं जानता है कि भारत में ऐसी आपदाओं के राहत कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार होता है । राहत कार्यों का प्रचार तो जबरदस्त होता है लेकिन जनता का फायदा बहुत कम होता है । बाढ़ के समय जनता की शिकायत सामने आ रही है कि राज्य सरकार की मशीनरी दिखाई नहीं दे रही है । यही कारण है कि पंजाब की मदद के लिए सेलिब्रिटी सामने आए हैं । केन्द्र सरकार की आपदा एजेंसी एनडीआरएफ ने बहुत काम किया है और इसके अलावा सेना ने भी भारी मदद की है । वास्तविक समस्या बाढ़ का पानी उतरने के बाद सामने आने वाली है । पानी के जमाव के कारण बीमारियां फैलने का खतरा है । बाढ़ के कारण पंजाब के बुनियादी ढांचे को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना आसान होने वाला नहीं है । वास्तव में पंजाब की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब चल रही है, ऐसे में बाढ़ के कारण किसानों और पशुपालकों को हुए नुकसान की भरपाई करना राज्य सरकार के लिए बहुत मुश्किल होने वाला है । पहले ही पंजाब भारी कर्ज से दबा हुआ है, इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को और कर्ज लेना पड़ सकता है । पंजाब में जो तबाही हुई है, उसे प्राकृतिक आपदा कहा जा सकता है लेकिन यह पूरा सच नहीं है । इस आपदा के लिए नौकरशाही, प्रशासन और जनता जिम्मेदार हैं । पिछले कई वर्षों से जीवन पर जलवायु परिवर्तन का असर दिखाई दे रहा है । अत्याधिक गर्मी, वर्षा और ठंड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं । ग्लोबल तापमान बढ़ता जा रहा है । कई दिनों तक होने वाली बारिश कुछ ही घंटो में हो जाती है जिसके कारण पानी निकलना मुश्किल हो जाता है । पहाड़ो में बादल फटना आम बात हो गई है । बेशक पंजाब को पांच नदियों का प्रदेश कहा जाता है लेकिन ऐसी बाढ़ का इतिहास बहुत कम है । पंजाब को बाढ़ से बचाने के लिए बांधों का निर्माण किया गया था लेकिन उनके प्रबंधन में हुई गलती का परिणाम भी पंजाब को भुगतना पड़ रहा है । इसके लिए पंजाब की राजनीति भी जिम्मेदार है । मानसून से पहले बांधों को खाली किया जाता है ताकि बारिश के अतिरिक्त पानी को रोककर उन्हें दोबारा भरा जा सके । इसके लिए बांध प्रबंधन भारतीय मौसम विभाग, यूरोपीय मौसम विभाग और ग्लोबल वेदर एजेंसी से डाटा लेता है जिसके अनुसार वो यह तय करता है कि कितना पानी बांध से निकालना है । इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना जताई गई थी लेकिन बांध इतने खाली नहीं किए गए कि पंजाब को बाढ़ से बचाया जा सके । बांध से पानी छोड़ने के मामले में राजनीति भी देखने को मिली थी । यह जांच विषय है कि समय पर बांध से ज्यादा पानी नहीं छोड़ा गया जिसके कारण उसमें पानी धारण करने की क्षमता कम हो गई । बाढ़ के प्राकृतिक कारणों पर हम कुछ नहीं कर सकते लेकिन मानवीय कारणों से निपटने की कोशिश होनी चाहिए । नदियों, नालों, और तालाबों पर अतिक्रमण आम बात हो गई है । नदियों के किनारे बड़ी-बड़ी कलोनियां बन गई हैं और नालों को पाटकर उनपर मकान बना दिए गए हैं । गुड़गांव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां नालों को पाटकर पूरा शहर बसा दिया गया है । यही कारण है कि हर बार गुड़गांव पानी में डूब जाता है क्योंकि पानी के रास्ते में भवन, सड़के और फ्लाईओवर खड़े हुए हैं । पंजाब में भी रियल स्टेट सेक्टर ने नालों और तालाबों को पाटकर पानी निकलने के रास्ते बंद कर दिए हैं । इसके अलावा तालाबों को पाटकर खेती शुरू कर दी गई है जिसके कारण जल संग्रहण की क्षमता खत्म हो गई है और कृषि भूमि पानी से डूब रही है । थोड़ी सी बरसात के बाद ही जलजमाव बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसके कारण सड़कों पर जाम लग जाता है । सीवरेज की गंदगी नालों के जरिये नदियों में जा रही है, जिसके कारण नदियों में गाद जमा हो रही है । गाद के कारण नदियों की जल संग्रहण क्षमता बहुत कम होती जा रही है । सतलुज नदी की जल ग्रहण क्षमता तीन लाख क्यूसेक की है लेकिन गाद के कारण यह क्षमता घटकर सत्तर हजार रह गई है । अब यह तय होना चाहिए कि नदियों से गाद निकालना किसकी जिम्मेदारी थी । अगर यह जिम्मेदारी सही तरह से निभाई गई होती तो नदियां इस तरह नहीं उफनती और पंजाब इस तरह नहीं डूबता । क्या देश की जनता नहीं जानती कि गाद हटाने का काम सिर्फ एक खानापूरी बन गया है । कुछ दिनों बाद जनता फिर अपनी जिंदगी में मस्त हो जाएगी और व्यवस्था अपनी चाल से चलती रहेगी । बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र और राज्य की सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है । बाढ़ आने पर अल्पकालिक उपायों से कुछ होने वाला नहीं है बल्कि भविष्य को देखकर दीर्घकालिक योजनाएं बनाने की जरूरत है । बांधो के प्रबंधन में राजनीति का दखल नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे इंजीनियर अच्छी तरह जानते हैं कि उन्हें क्या करना है । वास्तव में राजनीति के कारण ही बांधों को इतना खाली नहीं किया गया कि वो सही तरीके से अपना काम नहीं कर सके । नदियों से गाद निकालना प्रशासन का काम है और इसके लिए उचित धनराशि उपलब्ध करवाई जानी चाहिए । सरकार और समाज को तालाबों को जीवित करने की जरूरत है ताकि वो अतिरिक्त पानी को जमा करके ऐसी समस्या से बचा सके । नालों की सफाई का ध्यान रखने की जरूरत है ताकि वो समय पर शहरों से पानी को बाहर निकाल सके । जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है और हमें इसकी कीमत चुकानी है । जनता को अपनी जिम्मेदारी समझने की भी जरूरत है । राजेश कुमार पासी Read more » पंजाब की बाढ़
राजनीति अभी रिटायर नहीं होंगे मोदी September 6, 2025 / September 6, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलने से विपक्ष में हताशा बढ़ती जा रही है । दूसरी तरफ जो पूरा इको सिस्टम मोदी को सत्ता से हटाना चाहता है, वो भी असहाय महसूस कर रहा है । 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों और उनके इको सिस्टम को लग रहा था कि इस बार वो मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे लेकिन उनकी उम्मीद टूट गई। अल्पमत की सरकार होने पर उनकी उम्मीद फिर जाग गई कि नीतीश और नायडू की बैसाखियों पर टिकी यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी क्योंकि मोदी को गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। एक साल बाद विपक्ष को समझ आ गया है कि निकट भविष्य में इस सरकार को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान ने विपक्ष को उम्मीदों से भर दिया । मोदी जब सत्ता में आये थे तो उन्होंने भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर कर दिया था । इससे ये संदेश गया कि भाजपा अब बूढ़े नेताओं को पार्टी में रखने वाली नहीं है। विशेष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कहा जाने लगा कि पार्टी अब 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा रही है। इस बात की अनदेखी कर दी गई कि जब आडवाणी जी को भाजपा ने चुनावी राजनीति से बाहर किया तो उनकी उम्र 75 वर्ष से कहीं ज्यादा 92 वर्ष थी । इसी तरह मुरली मनोहर जोशी को भी भाजपा ने 85 वर्ष की आयु में टिकट नहीं दिया था और उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था । विपक्ष ये विमर्श कहां से ले आया कि भाजपा अब 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा रही है। जब आडवाणी जी पार्टी में एक सांसद के रूप में 92 वर्ष तक रह सकते हैं तो 75 साल वाला फार्मूला कहां से आ गया भाजपा विरोधी जान चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाना उनके वश की बात नहीं है। उन्होंने पूरी कोशिश करके देख लिया है कि मोदी की लोकप्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही है। उनके लगाए आरोपों का जनता पर कोई असर नहीं होता है। विपक्ष नए-नए मुद्दे लेकर आता है लेकिन उसके मुद्दे जनता के मुद्दे नहीं बन पाते हैं। यही कारण है कि हताशा में विपक्ष देश विरोध तक चला जाता है। जब मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायर होने के मोरोपंत पिंगले के कथन का जिक्र किया था तो विपक्ष में बहुत बड़ी उम्मीद पैदा हो गई थी । उन्हें लगा कि मोदी को सत्ता से हटाना बेशक मुश्किल हो लेकिन जब संघ प्रमुख कह रहे हैं कि 75 साल वाले नेता को रिटायर हो जाना चाहिए तो मोदी भी रिटायर हो जाएंगे । उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए भागवत ने बयान दिया है कि मैंने किसी के लिए नहीं कहा कि उसे 75 साल में पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने दूसरी बात यह कही कि मैं भी 75 साल का होने जा रहा हूँ और मैं भी पद नहीं छोड़ने जा रहा हूँ। विपक्ष को लग रहा था कि अगर भागवत पद छोड़ देंगे तो मोदी पर नैतिक दबाव आ जायेगा और उन्हें भी पद छोड़ना पड़ेगा। भागवत के इस बयान से कि वो भी पद छोड़ने वाले नहीं है, विपक्ष की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कितने ही लोग अपने-अपने प्रधानमंत्री मन में बना चुके थे, उनके सपने टूट गए। विपक्ष ही नहीं, भाजपा के भी कुछ लोग अपनी गोटियां बिठा रहे थे. उनकी भी उम्मीद खत्म हो गई है। संघ प्रमुख के बयान से यह सोचना कि मोदी भी रिटायर हो जाएंगे, विपक्ष की राजनीतिक नासमझी है । मेरा मानना है कि 2029 का चुनाव तो भाजपा मोदी के नेतृत्व में लड़ने वाली है और संभावना इस बात की भी है कि 2034 का चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा । अंत में उनका स्वास्थ्य निर्णय लेगा कि वो कब तक पद पर बने रहते हैं। राजनीति में भविष्यवाणी नहीं की जाती लेकिन मेरा मानना है कि मोदी खुद सत्ता छोड़कर जाएंगे. उन्हें न तो विपक्ष सत्ता से हटा सकता है और न ही भाजपा में कोई नेता ऐसा कर सकता है । राजनीति में वही पार्टी का नेतृत्व करता है जिसके नाम पर वोट मिल सकते हैं। इस समय मोदी ही वो नेता हैं जिनके नाम पर भाजपा वोट मांग सकती है। जब तक मोदी राष्ट्रीय राजनीति में हैं, भाजपा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती और न ही संघ कुछ कर सकता है। भाजपा पर संघ का प्रभाव है, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन भाजपा के काम में एक हद तक ही संघ दखल दे सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को बदलना संघ के लिए भी मुश्किल काम है क्योंकि इसी नेतृत्व के कारण संघ के सारे काम पूरे हो रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और इस समय कैडर पूरी तरह से मोदी के पीछे खड़ा है। कैडर के खिलाफ जाकर भाजपा के नेतृत्व को बदलने के बारे में सोचना संघ के लिए भी मुश्किल है। बेशक संघ भाजपा का मातृ संगठन है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा व्यक्तित्व आज कोई दूसरा नहीं है, संघ प्रमुख भी नहीं । भाजपा और संघ में कहा जाता है कि व्यक्ति से बड़ा संगठन होता है लेकिन मोदी आज संगठन से बड़े हो गए हैं। क्या यह सच्चाई संघ को नजर नहीं आ रही है। मेरा मानना है कि संघ भी इस सच की अनदेखी नहीं कर सकता । अगर कहीं भी संघ के मन में ऐसा विचार आया होगा कि भाजपा की कमान एक उम्र के बाद मोदी की जगह किसी दूसरे नेता को देनी चाहिए तो सच्चाई को देखते हुए वो पीछे हट गया है। मोदी जी की जगह किसी और को नेतृत्व सौंपने के परिणाम की कल्पना संघ ने की होगी तो उसे पता चल गया होगा कि मोदी को हटाने का भाजपा और संघ को कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है । क्या संघ को अहसास नहीं है कि मोदी सरकार आने के बाद उसका सामाजिक और भौगोलिक विस्तार लगातार हो रहा है। वो इससे अंजान नहीं है कि अगर भाजपा सत्ता से बाहर गयी तो उसकी सबसे बड़ी कीमत संघ को ही चुकानी होगी । अगर मोदी के कारण संघ का भाजपा पर नियंत्रण कम हो गया है तो उसका राष्ट्रीय महत्व भी बहुत बढ़ गया है। अगर मोदी के जाने के बाद भाजपा के हाथ से सत्ता चली जाती है तो संघ को भाजपा पर ज्यादा नियंत्रण मिलने का कोई फायदा होने वाला नहीं है। देखा जाए तो संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, राजनीतिक संगठन नहीं है। राजनीतिक उद्देश्य के लिए उसने भाजपा का निर्माण किया था जो पूरी तरह से फलीभूत हो रहा है। अगर भाजपा के जरिये संघ के न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्य भी पूरे हो रहे हैं तो संघ को भाजपा से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा लगता है कि संघ ने बहुत सोच समझ कर पीछे हटने का फैसला कर लिया है। संघ को सत्ता की ताकत का अहसास अच्छी तरह से हो गया है और वो यह भी जान गया है कि भाजपा का लगातार सत्ता में रहना कितना जरूरी है। भाजपा के लगातार तीन कार्यकाल तक सत्ता में रहने की अहमियत का अंदाजा संघ को है इसलिए वो नहीं चाहेगा कि उसकी दखलंदाजी से भाजपा को अगला कार्यकाल मिलने में बाधा उत्पन्न हो जाए। भागवत ने कहा है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा, ये भाजपा को तय करना है. संघ का इससे कोई लेना देना नहीं है । उनके इस बयान से साबित हो गया है कि संघ ने भाजपा में दखलंदाजी से दूरी बना ली है। इसका यह मतलब नहीं है कि भाजपा और संघ में दूरी पैदा हो गई है बल्कि संघ ने अपनी भूमिका को पहचान लिया है। उसको यह बात समझ आ गई है कि उसका काम भाजपा को सत्ता पाने में मदद करना है लेकिन सत्ता कैसे चलानी है, ये उसे तय नहीं करना है। संघ को पता चल गया है कि सत्ता पाने के बाद देश चलाना भाजपा का काम है और संघ का काम सत्ता के सहयोग से अपने संगठन को आगे बढ़ाने का है । वैसे भी जिन लोगों के हाथ में भाजपा की बागडोर है, वो संघ से निकले हुए उसके स्वयंसेवक ही हैं । संघ को अहसास हो गया है कि वो किसी को पार्टी का नेता बना सकता है लेकिन जनता का नेता बनाना उसके हाथ में नहीं है। 2014 के बाद मोदी अब भाजपा के नेता या संघ के कार्यकर्ता नहीं रह गए हैं बल्कि वो देश के नेता बन गए हैं। संघ जानता है कि मोदी की इस समय क्या ताकत है, इसलिए वो मोदी को कोई निर्देश देने की स्थिति में नहीं है। विपक्ष को मोदी के रिटायर होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी लेकिन अब उसे समझ आ जाना चाहिए कि उसे जल्दी मोदी से छुटकारा मिलने वाला नहीं है । जब तक मोदी का स्वास्थ्य अनुमति देगा, वो भाजपा का नेतृत्व करते रहेंगे । राजेश कुमार पासी Read more » Modi will not retire now अभी रिटायर नहीं होंगे मोदी
राजनीति भागवत ने विपक्ष की बड़ी उम्मीद तोड़ दी September 4, 2025 / September 4, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलने से विपक्ष में हताशा बढ़ती जा रही है । दूसरी तरफ जो पूरा इको सिस्टम मोदी को सत्ता से हटाना चाहता है, वो भी असहाय महसूस कर रहा है । 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों और उनके इको सिस्टम को लग रहा था कि इस बार वो मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे लेकिन उनकी उम्मीद टूट गई। अल्पमत की सरकार होने पर उनकी उम्मीद फिर जाग गई कि नीतीश और नायडू की बैसाखियों पर टिकी यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी क्योंकि मोदी को गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। एक साल बाद विपक्ष को समझ आ गया है कि निकट भविष्य में इस सरकार को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान ने विपक्ष को उम्मीदों से भर दिया । मोदी जब सत्ता में आये थे तो उन्होंने भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर कर दिया था । इससे ये संदेश गया कि भाजपा अब बूढ़े नेताओं को पार्टी में रखने वाली नहीं है। विशेष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कहा जाने लगा कि पार्टी अब 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा रही है। इस बात की अनदेखी कर दी गई कि जब आडवाणी जी को भाजपा ने चुनावी राजनीति से बाहर किया तो उनकी उम्र 75 वर्ष से कहीं ज्यादा 92 वर्ष थी । इसी तरह मुरली मनोहर जोशी को भी भाजपा ने 85 वर्ष की आयु में टिकट नहीं दिया था और उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था । विपक्ष ये विमर्श कहां से ले आया कि भाजपा अब 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा रही है। जब आडवाणी जी पार्टी में एक सांसद के रूप में 92 वर्ष तक रह सकते हैं तो 75 साल वाला फार्मूला कहां से आ गया भाजपा विरोधी जान चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाना उनके वश की बात नहीं है। उन्होंने पूरी कोशिश करके देख लिया है कि मोदी की लोकप्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही है। उनके लगाए आरोपों का जनता पर कोई असर नहीं होता है। विपक्ष नए-नए मुद्दे लेकर आता है लेकिन उसके मुद्दे जनता के मुद्दे नहीं बन पाते हैं। यही कारण है कि हताशा में विपक्ष देश विरोध तक चला जाता है। जब मोहन भागवत ने 75 साल में रिटायर होने के मोरोपंत पिंगले के कथन का जिक्र किया था तो विपक्ष में बहुत बड़ी उम्मीद पैदा हो गई थी । उन्हें लगा कि मोदी को सत्ता से हटाना बेशक मुश्किल हो लेकिन जब संघ प्रमुख कह रहे हैं कि 75 साल वाले नेता को रिटायर हो जाना चाहिए तो मोदी भी रिटायर हो जाएंगे । उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए भागवत ने बयान दिया है कि मैंने किसी के लिए नहीं कहा कि उसे 75 साल में पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने दूसरी बात यह कही कि मैं भी 75 साल का होने जा रहा हूँ और मैं भी पद नहीं छोड़ने जा रहा हूँ। विपक्ष को लग रहा था कि अगर भागवत पद छोड़ देंगे तो मोदी पर नैतिक दबाव आ जायेगा और उन्हें भी पद छोड़ना पड़ेगा। भागवत के इस बयान से कि वो भी पद छोड़ने वाले नहीं है, विपक्ष की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कितने ही लोग अपने-अपने प्रधानमंत्री मन में बना चुके थे, उनके सपने टूट गए। विपक्ष ही नहीं, भाजपा के भी कुछ लोग अपनी गोटियां बिठा रहे थे. उनकी भी उम्मीद खत्म हो गई है। संघ प्रमुख के बयान से यह सोचना कि मोदी भी रिटायर हो जाएंगे, विपक्ष की राजनीतिक नासमझी है । मेरा मानना है कि 2029 का चुनाव तो भाजपा मोदी के नेतृत्व में लड़ने वाली है और संभावना इस बात की भी है कि 2034 का चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा । अंत में उनका स्वास्थ्य निर्णय लेगा कि वो कब तक पद पर बने रहते हैं। राजनीति में भविष्यवाणी नहीं की जाती लेकिन मेरा मानना है कि मोदी खुद सत्ता छोड़कर जाएंगे. उन्हें न तो विपक्ष सत्ता से हटा सकता है और न ही भाजपा में कोई नेता ऐसा कर सकता है । राजनीति में वही पार्टी का नेतृत्व करता है जिसके नाम पर वोट मिल सकते हैं। इस समय मोदी ही वो नेता हैं जिनके नाम पर भाजपा वोट मांग सकती है। जब तक मोदी राष्ट्रीय राजनीति में हैं, भाजपा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती और न ही संघ कुछ कर सकता है। भाजपा पर संघ का प्रभाव है, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन भाजपा के काम में एक हद तक ही संघ दखल दे सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को बदलना संघ के लिए भी मुश्किल काम है क्योंकि इसी नेतृत्व के कारण संघ के सारे काम पूरे हो रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और इस समय कैडर पूरी तरह से मोदी के पीछे खड़ा है। कैडर के खिलाफ जाकर भाजपा के नेतृत्व को बदलने के बारे में सोचना संघ के लिए भी मुश्किल है। बेशक संघ भाजपा का मातृ संगठन है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा व्यक्तित्व आज कोई दूसरा नहीं है, संघ प्रमुख भी नहीं । भाजपा और संघ में कहा जाता है कि व्यक्ति से बड़ा संगठन होता है लेकिन मोदी आज संगठन से बड़े हो गए हैं। क्या यह सच्चाई संघ को नजर नहीं आ रही है। मेरा मानना है कि संघ भी इस सच की अनदेखी नहीं कर सकता । अगर कहीं भी संघ के मन में ऐसा विचार आया होगा कि भाजपा की कमान एक उम्र के बाद मोदी की जगह किसी दूसरे नेता को देनी चाहिए तो सच्चाई को देखते हुए वो पीछे हट गया है। मोदी जी की जगह किसी और को नेतृत्व सौंपने के परिणाम की कल्पना संघ ने की होगी तो उसे पता चल गया होगा कि मोदी को हटाने का भाजपा और संघ को कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है । क्या संघ को अहसास नहीं है कि मोदी सरकार आने के बाद उसका सामाजिक और भौगोलिक विस्तार लगातार हो रहा है। वो इससे अंजान नहीं है कि अगर भाजपा सत्ता से बाहर गयी तो उसकी सबसे बड़ी कीमत संघ को ही चुकानी होगी । अगर मोदी के कारण संघ का भाजपा पर नियंत्रण कम हो गया है तो उसका राष्ट्रीय महत्व भी बहुत बढ़ गया है। अगर मोदी के जाने के बाद भाजपा के हाथ से सत्ता चली जाती है तो संघ को भाजपा पर ज्यादा नियंत्रण मिलने का कोई फायदा होने वाला नहीं है। देखा जाए तो संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, राजनीतिक संगठन नहीं है। राजनीतिक उद्देश्य के लिए उसने भाजपा का निर्माण किया था जो पूरी तरह से फलीभूत हो रहा है। अगर भाजपा के जरिये संघ के न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्य भी पूरे हो रहे हैं तो संघ को भाजपा से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा लगता है कि संघ ने बहुत सोच समझ कर पीछे हटने का फैसला कर लिया है। संघ को सत्ता की ताकत का अहसास अच्छी तरह से हो गया है और वो यह भी जान गया है कि भाजपा का लगातार सत्ता में रहना कितना जरूरी है। भाजपा के लगातार तीन कार्यकाल तक सत्ता में रहने की अहमियत का अंदाजा संघ को है इसलिए वो नहीं चाहेगा कि उसकी दखलंदाजी से भाजपा को अगला कार्यकाल मिलने में बाधा उत्पन्न हो जाए। भागवत ने कहा है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा, ये भाजपा को तय करना है. संघ का इससे कोई लेना देना नहीं है । उनके इस बयान से साबित हो गया है कि संघ ने भाजपा में दखलंदाजी से दूरी बना ली है। इसका यह मतलब नहीं है कि भाजपा और संघ में दूरी पैदा हो गई है बल्कि संघ ने अपनी भूमिका को पहचान लिया है। उसको यह बात समझ आ गई है कि उसका काम भाजपा को सत्ता पाने में मदद करना है लेकिन सत्ता कैसे चलानी है, ये उसे तय नहीं करना है। संघ को पता चल गया है कि सत्ता पाने के बाद देश चलाना भाजपा का काम है और संघ का काम सत्ता के सहयोग से अपने संगठन को आगे बढ़ाने का है । वैसे भी जिन लोगों के हाथ में भाजपा की बागडोर है, वो संघ से निकले हुए उसके स्वयंसेवक ही हैं । संघ को अहसास हो गया है कि वो किसी को पार्टी का नेता बना सकता है लेकिन जनता का नेता बनाना उसके हाथ में नहीं है। 2014 के बाद मोदी अब भाजपा के नेता या संघ के कार्यकर्ता नहीं रह गए हैं बल्कि वो देश के नेता बन गए हैं। संघ जानता है कि मोदी की इस समय क्या ताकत है, इसलिए वो मोदी को कोई निर्देश देने की स्थिति में नहीं है। विपक्ष को मोदी के रिटायर होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी लेकिन अब उसे समझ आ जाना चाहिए कि उसे जल्दी मोदी से छुटकारा मिलने वाला नहीं है । जब तक मोदी का स्वास्थ्य अनुमति देगा, वो भाजपा का नेतृत्व करते रहेंगे । राजेश कुमार पासी Read more » भागवत ने विपक्ष की बड़ी उम्मीद तोड़ दी
राजनीति अपने ही घर में घिरते जा रहे डोनाल्ड ट्रंप September 3, 2025 / September 3, 2025 | Leave a Comment डोनाल्ड ट्रं राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप एक व्यापारी हैं और अपनी इस मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं । सिर्फ सात महीनों के कार्यकाल में ही अपने फैसलों से वो न केवल विदेशों में बल्कि अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं । बेशक वो एक व्यापारी हैं लेकिन वहां भी कोई […] Read more » Donald Trump is getting trapped in his own house डोनाल्ड ट्रंप
राजनीति चुनाव आयोग नहीं, जनादेश का अपमान हो रहा है August 23, 2025 / August 23, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने 11 अगस्त को संसद से लेकर चुनाव आयोग मुख्यालय तक विरोध मार्च निकालकर हंगामा किया जबकि चुनाव आयोग ने 30 नेताओं को अपनी बात रखने के लिए बुलाया था । वास्तव में विपक्ष यह दिखाना चाहता था कि उसके विरोध को दबाया जा रहा है, इसलिए ऐसा […] Read more » चुनाव आयोग
राजनीति विश्ववार्ता भारत और अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा रहे ट्रंप August 8, 2025 / September 29, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को फिर से महान देश बनाने का नारा दिया था और आते ही उन्होंने अपने एजेंडे पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने सरकारी खर्च कम करने की कोशिश की और अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने का काम शुरू किया। Read more » Trump is increasing the problems between India and America ट्रंप
राजनीति चुनाव आयोग पर हमला गंभीर रूप ले चुका है August 5, 2025 / August 5, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी राहुल गांधी और विपक्ष के दूसरे नेताओं का चुनाव आयोग पर हमला अब बहुत गंभीर हो चुका है क्योंकि अब ये लोकतंत्र और संविधान पर सवाल खड़े करने तक पहुँच गया है। कुछ लोग कह सकते हैं कि विपक्ष तो संविधान और लोकतंत्र बचाने की जंग लड़ रहा है तो फिर चुनाव […] Read more » The attack on the Election Commission has taken a serious turn चुनाव आयोग पर हमला
राजनीति देश में हीन भावना पैदा कर रहा विपक्ष August 4, 2025 / August 4, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी हीनभावना एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी शक्ति पर भरोसा खो देता है। वो जो काम आसानी से कर सकता है वो भी उसे असम्भव नजर आने लगता है । हीनभावना से ग्रस्त व्यक्ति अपने आपको बहुत कमजोर मानने लगता है । हमारे विपक्षी नेता विशेष तौर पर राहुल गांधी […] Read more » देश में हीन भावना पैदा कर रहा विपक्ष
राजनीति ट्रम्प भारत और मोदी से नाराज क्यों है August 4, 2025 / August 4, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव लड़ रहे थे तो भारत का एक बड़ा वर्ग उनकी जीत की कामना कर रहा था । डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के कारण उन्हें भारत समर्थक माना जा रहा था इसलिए उनकी जीत पर भारत में जश्न मनाया गया । डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद […] Read more » Why is Trump angry with India and Modi ट्रम्प भारत और मोदी से नाराज
राजनीति मोदी में दम नहीं लेकिन विपक्ष बेदम क्यों July 31, 2025 / July 31, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी इस लेख का शीर्षक एक सवाल है और यह सवाल इसलिए पूछना पड़ रहा है क्योंकि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के एक बड़े समारोह में बोलते हुए कहा है कि मैं मोदी जी से कई बार मिला हूं, उनमें कोई दम नहीं है । उनकी बात को न काटते हुए […] Read more » Modi has no strength but why is the opposition breathless विपक्ष बेदम क्यों
आलोचना क्या देश की व्यवस्था जनता के लिए है ? July 30, 2025 / July 30, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी किसी भी देश को चलाने के लिए एक व्यवस्था की जरूरत होती है ताकि वो देश सुचारू रूप से चलता रहे । यह व्यवस्था उस देश की जनता की सेवा के लिए होती है लेकिन हमारे देश की व्यवस्था कुछ अलग है । हमारे देश की व्यवस्था जनता के लिए नहीं है […] Read more » Is the system of the country for the people? देश की व्यवस्था जनता के लिए