विविधा शहरी गरीबी का उपेक्षित चेहरा June 16, 2010 / December 23, 2011 | 1 Comment on शहरी गरीबी का उपेक्षित चेहरा -राखी रघुवंशी हाल ही में केन्द्र सरकार ने मलिन बस्तियों के लोगों को गंदगी, बीमारी, असुरक्षा और अपराध के जीवन से बचाने के लिए अगले पांच सालों में शहरों को पूरी तरह से झुग्गी-झोपड़ियों से मुक्त कराने का लक्ष्य घोषित किया है। वर्ष 2009-10 के बजट में भी कहा गया है कि शहरों में विशेष […] Read more » Poor शहरी गरीबी
महिला-जगत कानून का छलावा और छलती स्त्री June 11, 2010 / December 23, 2011 | 5 Comments on कानून का छलावा और छलती स्त्री -राखी रघुवंशी मेरे पड़ोस में एक संभ्रात महाराष्ट्री ब्राहण परिवार रहता है। एक रात करीब दो बजे बहुत शोर से मेरी आंख खुल गई। थोड़ा ध्यान से सुना तो मालूम हुआ कि पति पत्नी को पीट रहा है। कारण सिर्फ इतना ही कि पत्नी ने पति को शराब न पीने के लिए बोला। ये लोग […] Read more » torture on woman स्त्रियों पर अत्याचार
समाज हिंदुस्तानी से बढ़कर कुछ और भी हैं हम June 8, 2010 / December 23, 2011 | 2 Comments on हिंदुस्तानी से बढ़कर कुछ और भी हैं हम -राखी रघुवंशी जनगणना का मामला गंभीर होता जा रहा है। सबसे पहले यह मुद्दा उठा कि जातिवार जनगणना की जाए, ताकि मालूम पड़े कि भारत में किस जाति के कितने लोग रहते हैं तथा किसकी क्या हैसियत है? यह सवाल मुख्यत: पिछड़ावादी नेताओं ने उठाया, जिनमें विपक्ष और सत्ता दोनों दलों के सांसद थे। अब […] Read more » Ethnic census जातीय जनगणना