लेख ‘सनातन धर्म’ के बदलते अर्थ November 23, 2023 / November 23, 2023 | Leave a Comment “सनातन धर्म” शब्द को कैसे हेरफेर और हथियार बनाया गया है और हिंदू धर्म के ढांचे के भीतर जाति-विशेषाधिकार प्राप्त हिंदुओं की जाति भेदभाव को संबोधित करने में क्या जिम्मेदारियां हैं? ये सोचने का विषय है। सनातन धर्म शाश्वत, कालातीत और अपरिवर्तनीय परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है जो भारत-खंड (भारतीय उपमहाद्वीप) के भूभाग में विकसित हुए हैं। […] Read more »
खेल जगत मनोरंजन आज दिल जीते हैं, कल फिर कप जीतेंगे। November 20, 2023 / November 20, 2023 | Leave a Comment जन्म मरण के चक्र-सी है, हार जीत लग रही। लड़े-भिड़े शौर्य से, आज नही तो कल सही।। कप जितने से बड़ी बात दिल जीतना होता है। क्रिकेट खत्म नही हो गया। 46 दिन में 45 दिन आप जीते हो। हमारी भारतीय टीम ने 2023 वर्ल्ड कप के अंदर 10 मैच जीते और आज फाइनल हारने पर 140 करोड़ हिंदुस्तानियों का दिल टूटा है। ऐसे हम दो […] Read more » Today we win hearts tomorrow we will win the cup again.
मीडिया लेख चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति November 15, 2023 / November 15, 2023 | Leave a Comment समाचार पत्र और यहां तक कि लेखकों को भी अस्तित्व बचाने के लिए गूगल व फे़सबुक को मात देना होगा। बदहाल होती स्थिति पर सवाल यह है- वे ऐसा कैसे करेंगे? सबसे महत्वपूर्ण कारक है न्यूज़ कैरियर की बढ़ोत्तरी- गूगल, फे़सबुक और बाकी दूसरे। एक तरफ वे किसी अन्य द्वारा उत्पादित समाचार ले लेते हैं और दूसरी […] Read more » The situation of newspapers and writers is worrying
कला-संस्कृति लेख वर्त-त्यौहार रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार। November 6, 2023 / November 6, 2023 | Leave a Comment बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं रहे। शायद इसीलिए प्रमुख त्योहार अपनी रंगत खोते जा रहे हैं और लगता है कि त्योहार सिर्फ औपचारिकताएं निभाने के लिए मनाये जाते हैं। किसी के पास फुरसत ही नहीं है कि इन प्रमुख त्योहारों के दिन लोगों के दुख […] Read more » Our social festivals are losing their colour.
लेख बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का October 25, 2023 / October 25, 2023 | Leave a Comment जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न सिर्फ उपहास का कारण बन जाती है बल्कि बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र समाज को प्रेम, उदारता, सम्मान व सद्भाव का संदेश देता है। पर अफसोस, राम के चरित्र व आदर्शों को प्रस्तुत करने […] Read more » Changing Ramlila: A touch of obscenity in faith आस्था में अश्लीलता का तड़का बदलती रामलीला
लेख शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन October 12, 2023 / October 12, 2023 | Leave a Comment भौतिकता की पराकाष्ठा के समय में जिसमें प्रत्येक कार्य व रिश्तों को धन की बुनियाद पर खड़ा किया जाने लगा है और वो सम्पूर्ण मानव जाति के लिये घातक कदम साबित हो रहा हैं सम्प्रति विवाहों में धन का प्रदर्शन किन-किन तरीकों से होने लगा है सब कल्पनातीत है, आज इंसान को अपने धन की बाहुलता […] Read more » शादी-ब्याह
राजनीति वोट बटोरने का शॉर्टकट ‘रेवड़ी की राजनीति’ October 9, 2023 / October 9, 2023 | Leave a Comment मुफ्तखोरी की संस्कृति इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है कि कुछ राजनीतिक दलों का अधिकांश चुनावी एजेंडा, एक सोची-समझी रणनीति के तहत केवल मुफ्त की पेशकशों पर आधारित है, जो मतदाताओं को स्पष्ट रूप से एक संदेश भेज रहा है कि यदि राजनीतिक दल जीतता है तो उन्हें ढेर सारी मुफ्त चीजें मिलेंगी। इससे […] Read more » Shortcut to gather votes is 'Rewari politics'
लेख जाति जनगणना की जरूरत का समय October 6, 2023 / October 6, 2023 | Leave a Comment 21वीं सदी भारत के जाति प्रश्न को हल करने का सही समय है, अन्यथा हमें न केवल सामाजिक रूप से, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक रूप से भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और हम विकास में पिछड़ जायेंगे। जाति जनगणना का अर्थ है भारत की सभी जातियों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित […] Read more » जाति जनगणना की जरूरत का समय
लेख वाहनों पर जातिगत-धार्मिक स्टिकर, अशांति के स्पीकर-तनाव के ट्रीगर September 20, 2023 / September 20, 2023 | Leave a Comment वाहनों पर ‘जाति और धार्मिक स्टिकर’ की कानूनी जांच व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों, सांस्कृतिक प्रथाओं और कानूनी नियमों के बीच तनाव को रेखांकित करती है। जातिगत पहचान को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति दूसरों के बीच ईर्ष्या और कड़वी प्रतिक्रिया पैदा कर सकती है और हमारे समाज में बढ़ते जातिगत तनाव को प्रतिबिंबित कर सकती […] Read more » Caste-religious stickers on vehicles
लेख समाज घर की दहलीज से दूर होते बुजुर्ग August 21, 2023 / August 21, 2023 | Leave a Comment (बदलते परिवेश में एकल परिवार बुजुर्गों को घर की दहलीज से दूर कर रहें है। बच्चों को दादी- नानी की कहानी की बजाय पबजी अच्छा लगने लगा है, बुजुर्ग अपने बच्चों से बातों को तरस गए है। वो घर के किसी कोने में अकेलेपन का शिकार हो रहें है। ऐसे में इनकी मानसिक-आर्थिक-सामाजिक समस्याएं बढ़ती जा रही है। महँगाई के आगे पेंशन […] Read more »
राजनीति विधि-कानून बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून August 14, 2023 / August 14, 2023 | Leave a Comment आपराधिक न्याय प्रणाली ब्रिटिश औपनिवेशिक न्यायशास्त्र की प्रतिकृति है, जिसे राष्ट्र पर शासन करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था, न कि नागरिकों की सेवा करने के लिए। आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य निर्दोषों के अधिकारों की रक्षा करना और दोषियों को दंडित करना था, लेकिन आजकल यह प्रणाली आम लोगों के उत्पीड़न का […] Read more » The laws of the British era will change
राजनीति समाज छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा August 3, 2023 / August 3, 2023 | Leave a Comment हिंसा के शिकार लोगों को समझाना जरुरी है। बदला लेने की मानसिकता नुक़सान करवाती है, ताकि वो फिर उसी हिंसक दुष्चक्र में न फंस जाएं। कोई शराबी है या ड्रग का आदी है, तो उसकी इलाज करने में मदद की जाती है। फिर उसे रोज़गार दिलाने की कोशिश होती है। तभी कोई भी शख़्स एकदम से बदला […] Read more » Violence spreads like untouchability