राजनीति वंदे मातरम्: राष्ट्रवाद की आध्यात्मिक प्रेरणा November 10, 2025 / November 10, 2025 | Leave a Comment “वंदे मातरम्” भारत के स्वतंत्रता संग्राम का आध्यात्मिक आधार था। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत मातृभूमि को देवी के रूप में पूजने की भावना से ओतप्रोत था। Read more » वंदे मातरम्
खेल जगत मनोरंजन खेल: राष्ट्र निर्माण की नई धुरी November 7, 2025 / November 7, 2025 | Leave a Comment भारत में खेलों को लंबे समय तक एक ‘विवेकाधीन क्षेत्र’ के रूप में देखा गया है — यानी एक ऐसी गतिविधि जिसे चाहें तो करें, चाहें तो छोड़ दें। परंतु बदलते वैश्विक परिदृश्य में खेल अब सिर्फ मैदान की बात नहीं रहे। यह स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, सामाजिक एकता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा — सभी से सीधे […] Read more » खेल
कविता लालच और रिश्तों की त्रासदी November 6, 2025 / November 6, 2025 | Leave a Comment लालच आँखें मूँद दे, भेद न देखे प्रीत।भाई भाई शत्रु बने, टूटे अपने मीत।। धन के पीछे दौड़कर, भूले यूँ सम्मान।घर आँगन में छा गया, कलह और अपमान।। ममता होकर लालची, रिश्ते करे उदास।स्वार्थ की इस आँच में, जले सगे विश्वास।। लोभ अंधेरा बन गया, बुझा स्नेह का दीप।अपने ही अब भूलते, प्रेम सुधा की […] Read more » लालच और रिश्तों की त्रासदी
राजनीति लेख डंकी रूट से लूट: युवाओं के सपनों की तस्करी November 4, 2025 / November 4, 2025 | Leave a Comment विदेश में सुनहरे भविष्य के लालच में, भारतीय युवा अवैध रास्तों के शिकार बन रहे हैं। एजेंटों का यह नेटवर्क न केवल कानून तोड़ रहा है, बल्कि परिवारों की उम्मीदों और देश के भविष्य को भी चुरा रहा है। ‘डंकी रूट’ एक अवैध प्रवासन मार्ग है, जिसके ज़रिए भारतीय युवा बिना वीज़ा या वैध दस्तावेजों […] Read more » Looting the Donkey Route Trafficking डंकी रूट
मनोरंजन शख्सियत समाज सिनेमा अलविदा “अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर” — असरानी को भावभीनी श्रद्धांजलि October 21, 2025 / October 21, 2025 | Leave a Comment गोवर्धन असरानी, जिन्हें हम सब प्यार से असरानी कहते थे, भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय हास्य अभिनेता थे। उनके अभिनय में विनम्रता, सादगी और अद्भुत हास्य का संगम था। शोले के “अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर” से लेकर गोलमाल, बावर्ची और चुपके चुपके तक, उन्होंने हर किरदार में जीवन की सच्चाई दिखायी। युवा हों या […] Read more » असरानी गोवर्धन असरानी
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार धनतेरस: समृद्धि का नहीं, संवेदना का उत्सव October 17, 2025 / October 17, 2025 | Leave a Comment (आभूषणों से ज़्यादा मन का सौंदर्य जरूरी, मन की गरीबी है सबसे बड़ी दरिद्रता।) धनतेरस का अर्थ केवल ‘धन’ नहीं बल्कि ‘ध्यान’ भी है — ध्यान उस पर जो हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। यह त्योहार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समृद्धि का असली अर्थ क्या है। अगर घर में प्रेम […] Read more » Dhanteras: A celebration of compassion धनतेरस
राजनीति शहीद कौन है — आईपीएस पूरन कुमार या एएसआई संदीप लाठर? October 16, 2025 / October 16, 2025 | Leave a Comment हरियाणा पुलिस एक गहरे संकट से गुजर रही है। पहले आईपीएस पूरन कुमार और अब एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या ने विभाग की कार्यसंस्कृति, मनोबल और आंतरिक तनाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लगातार आत्महत्याओं से यह स्पष्ट है कि वर्दी के पीछे इंसान टूट रहा है। राजनीतिक दबाव, जातिगत खींचतान और मानसिक अवसाद Read more » आईपीएस पूरन कुमार एएसआई संदीप लाठर
प्रवक्ता न्यूज़ अहोई अष्टमी October 13, 2025 / October 13, 2025 | Leave a Comment व्रत नहीं यह, ममता की मौन साधना है, संतान के जीवन में उजास की प्रार्थना है। नयनों में दीपक, हृदय में विश्वास की लौ, माँ अहोई के चरणों में समर्पण की आराधना है। Read more »
कविता मन ने तेरा व्रत लिया October 9, 2025 / October 9, 2025 | Leave a Comment जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ । उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ ।। Read more » My mind has taken your vow मन ने तेरा व्रत लिया
राजनीति संघ का शताब्दी वर्ष : आपातकाल की ज्वाला से सेवा की ज्योति तक October 6, 2025 / October 6, 2025 | Leave a Comment भारत का आधुनिक इतिहास अनेक उतार-चढ़ावों और संघर्षों से भरा हुआ है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद लोकतंत्र की रक्षा तक, कई संगठन और व्यक्तित्व देश की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक ऐसा संगठन है जिसने न केवल राष्ट्र निर्माण के सांस्कृतिक Read more » आपातकाल के अंधकार से शताब्दी के प्रकाश तक लोकतंत्र की रक्षा के प्रहरी : संघ के शताब्दी वर्ष का संदेश संघ का शताब्दी वर्ष संघ की यात्रा
धर्म-अध्यात्म जलते पुतले, बढ़ते रावण: दशहरे का बदलता अर्थ September 30, 2025 / September 30, 2025 | Leave a Comment रामायण की कथा में रावण केवल एक पात्र नहीं था, बल्कि वह उन बुराइयों का प्रतीक था जो इंसान को पतन की ओर ले जाती हैं—अहंकार, वासना, छल, क्रोध और अधर्म। रावण जैसा महाज्ञानी, शिवभक्त और शूरवीर भी अपनी एक गलती—वासना और अहंकार—के कारण विनाश को प्राप्त हुआ। दशहरा हमें यही याद दिलाने आता है कि यदि बुराई चाहे कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसका नाश निश्चित है। Read more » दशहरे का बदलता अर्थ
प्रवक्ता न्यूज़ भारत वर्ष का हर्ष September 29, 2025 / September 29, 2025 | Leave a Comment तुम नमक नहीं, चंदन हो, वीर, हर चौके, छक्के में दिखा दिया धीर। देशभर में फैल गया अद्भुत हर्ष Read more »