राजनीति गद्दारी का जाल: देश की सुरक्षा पर मंडराता खतरा May 18, 2025 / May 22, 2025 | Leave a Comment भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद NIA ने देशभर में 25 ISI एजेंटों को गिरफ्तार किया है, जो देश की सुरक्षा पर मंडराते खतरे की गंभीरता को उजागर करता है। कैथल से देवेंद्र सिंह, हिसार से ज्योति मल्होत्रा, दिल्ली से जमशेद और कैराना से नोमान इलाही जैसे लोगों ने गद्दारी की सीमाएं लांघते […] Read more » गद्दारी का जाल
बच्चों का पन्ना सपनों के पर May 17, 2025 / May 17, 2025 | Leave a Comment चिड़िया सी उड़े, सपनों की डोर,आसमान छूने का हो हर ओर शोर।नन्हे पंखों में हो इतनी ताक़त,हर मुश्किल से लड़ने का हो हिम्मत। तारों की चमक, चाँद की चांदनी,बचपन की हँसी, प्यारी सी नादानी।धरती पे पाँव, आँखों में आसमान,छोटे कदमों से रचें नये आयाम। हाथों में कंचे, दिल में उमंग,मिट्टी की खुशबू, सपनों की तरंग।आगे […] Read more » सपनों के पर
राजनीति प्रशासन से पॉपुलैरिटी तक: आईएएस अधिकारियों का डिजिटल सफर May 15, 2025 / May 15, 2025 | Leave a Comment “आईएएस अधिकारी: सोशल मीडिया स्टार या सच्चे सेवक?” आईएएस अधिकारियों का सोशल मीडिया पर बढ़ता रुझान एक नई चुनौती बनता जा रहा है। वे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर पर नीतियों से जुड़ी जानकारियाँ और प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कर रहे हैं, जो जागरूकता बढ़ा सकती हैं। लेकिन क्या यह डिजिटल स्टारडम उनकी वास्तविक प्रशासनिक जिम्मेदारियों से […] Read more » From administration to popularity The digital journey of IAS officers
कविता युद्ध से युद्धविराम तक May 11, 2025 / May 11, 2025 | Leave a Comment रक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले, बिखरते सपने,दिल्ली से कराची तक,हर घर में गूँजती कराहें। मटमैली लहरों में घुला लाल,सिंधु का मौन, झेलम की पुकार,दूर कहीं बंकरों में सुलगते हैं रिश्ते,धरती माँ की बिंधी मांग की तरह। लेकिन फिर भी,आसमान में […] Read more » From war to ceasefire युद्ध से युद्धविराम तक
कविता दम है तो तो फिर कहना—”मोदी को बता देना।” May 9, 2025 / May 11, 2025 | Leave a Comment आता हमें हर शत्रु को जड़ से मिटा देना,दम है तो तो फिर कहना—”मोदी को बता देना।”कलमा पढ़कर बना मुल्क, बलमा बना मुनीर,घर में घुसकर हुआ हलाला, चाहते है कश्मीर। बाल न बांका कर सके, रच कितने दुष्चक्र,हिंद के रक्षक जब बने, हरी-सुदर्शनचक्र।शांति लगे जब दाव पर, हम भी करते युद्ध,कृष्ण बने अब सारथी, नहीं […] Read more » “Tell this to Modi.” If you have the courage then say मोदी को बता देना
कविता सिंदूर तो सिर्फ झांकी है, मेहंदी और हल्दी बाकी है May 8, 2025 / May 8, 2025 | Leave a Comment ** सिर्फ सिंदूर से क्या होगा,आग अभी सीने में बाकी है।खून में जो लावा बहता है,उसमें हल्दी की तासीर बाकी है। फिर से हवाओं को रुख देना है,इंकलाब की आंधी बाकी है।धधकते शोलों में रंग भरना है,अभी मेहंदी की सरगर्मी बाकी है। रास्तों पर बिछी हैं दीवारें,पर हमारे इरादों की ऊँचाई बाकी है।सिर्फ झांकी दिखी […] Read more » mehndi and turmeric are still left of operation sindoor operation sindoor Sindoor is just a glimpse सिंदूर तो सिर्फ झांकी है
राजनीति ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई May 8, 2025 / May 11, 2025 | Leave a Comment भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के 9 ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठनों के हेडक्वार्टर भी शामिल थे। भारतीय सेना ने 100 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादी अड्डों पर सटीक एयरस्ट्राइक की। साथ ही, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान […] Read more » Operation Sindoor: India's decisive action against terrorism ऑपरेशन सिंदूर
राजनीति पहलगाम में आतंकी हमला: राष्ट्र के साथ खड़े होने का समय April 30, 2025 / April 30, 2025 | Leave a Comment प्रश्न पूछने के अवसर भी आएँगे, अभी राष्ट्र के साथ खड़े होने का समय है। राष्ट्र सर्वोपरि। हाल की पहलगाम घटना में एक हिंदू पर्यटक को आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया। यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है। आतंकवादियों का उद्देश्य कश्मीर को अस्थिर करना […] Read more » पहलगाम में आतंकी हमला
लेख घाटी के आँसू April 30, 2025 / April 30, 2025 | Leave a Comment घाटी जहाँ फूल खिलते थे, अब वहाँ सिसकती शाम,वेदना की राख पर टिकी, इंसानियत की थाम।कहाँ गया वह शांति-सूर्य, जो पूरब से उठता था?आज वहाँ बस मौन है, जहाँ कल गीत बहता था। पहलगाम की घाटियाँ, रोईं बहाये नीर।धर्म पे वार जो हुआ, मानवता अधीर।संगिनी का चीखना, गूँजा व्याकुल शोर।छिन गया पल एक में, उसका […] Read more » घाटी के आँसू
कविता अक्षय तृतीया 🌼 April 29, 2025 / April 29, 2025 | Leave a Comment वैशाख की उजली बेला आई,धूप सुनहरी देहरी पर छाई।अक्षय तृतीया का मधुर निमंत्रण,पुण्य-सुधा में डूबा आचमन। न मिटने वाला पुण्य का सूरज,हर मन में भर दे स्वर्णिम किरण।सच की थाली, धर्म का दीपक,दान की बूंदें, जीवन समर्पण। परशुराम की वीरगाथा बोले,गंगा की लहरें चरणों में डोले।युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला,सत्य का दीप फिर से खिला। […] Read more » अक्षय तृतीया
कहानी मेहमान April 28, 2025 / April 28, 2025 | Leave a Comment पाँच की मैगी साठ में खरीदी,सौदा भी कोई सौदा था?खच्चर की पीठ पे दो हज़ार फेंके,इंसानियत भी कोई इरादा था? बीस के पराठे पर दो सौ हँस कर,पचास टिप फोटो वाले को,हाउस बोट के पानी में बहा दिएहज़ारों अपने भूखे प्याले को। नकली केसर की खुशबू मेंअपनी सच्चाई गँवा बैठे,सिन्थेटिक शाल के झूठे रेशों मेंअपने […] Read more » मेहमान
लेख पशु सेवा, जनसेवा से कम नहीं April 26, 2025 / April 26, 2025 | Leave a Comment “विश्व पशु चिकित्सा दिवस पर एक विमर्श” विश्व पशु चिकित्सा दिवस हर साल अप्रैल के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पशु चिकित्सकों की भूमिका को सम्मान देना और पशु स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण के आपसी संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना है। यह लेख बताता है कि कैसे पशु चिकित्सक सिर्फ जानवरों […] Read more » पशु सेवा पशु सेवा जनसेवा से कम नहीं विश्व पशु चिकित्सा दिवस