राजनीति क्षेत्रीय दलों की चुनौतियां August 20, 2012 / August 20, 2012 | Leave a Comment शशांक शेखर असम के कोकराझाड़ में हुई हिंसा और फिर इसके प्रतिक्रिया स्वरुप देश के कई हिस्सों से उत्तर भारतीय लोगों का पलायन सहसा भारतीय संस्कृति और एकता–अखंडता पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है। जो भारत अतीत काल से अनेकता में एकता का दम भरता है वो बस एक अफवाह पर ताश के घरों की […] Read more » regional partied क्षेत्रीय पार्टियां
खेल जगत बीसीसीआई तो देखे केवल धन July 17, 2012 / July 17, 2012 | 1 Comment on बीसीसीआई तो देखे केवल धन शशांक शेखर सोमवार का दिन कट्टर क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक उत्सव की तरह रहा जब बीसीसीआई ने दिसंबर में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के विरुद्ध तीन एक दिवसीय और दो टी20 मुकाबले होने की पुष्टी की। पाकिस्तानी कप्तान मिसबाह उल हक ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर की। एक तरफ जहां दोनो मुल्कों के […] Read more » Cricket
चिंतन देश के विकास में बाधक सांसद June 2, 2012 / June 2, 2012 | 1 Comment on देश के विकास में बाधक सांसद आज़ाद भारत को बहुत कुछ अंग्रेजों से एक अमानत के रुप में मिला , मसलन रेल,डाक,राष्ट्रपति भवन,संसद और साथ में मिली देश को खाने वाली व्यवस्था। एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सब कुछ नेताओं के हाथ में हो। इसमें सत्ताधारी नेताओं की तो पौ बारह हो जाते हैं। पूरे देश की व्यवस्था इन नेताओ के हाथ […] Read more » विकास में बाधक सांसद
राजनीति तार-तार होती राजनीति April 28, 2012 / April 28, 2012 | 1 Comment on तार-तार होती राजनीति शशांक शेखर भारतीय राजनीतिक इतिहास में इससे बुड़ी बात क्या होगी जब कहे जाने वाले स्टाम्प को वास्तविक रॉबोट की तरह खुद सरकार ने दिखाया है। मामला सचिन तेंदूलकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनित होने पर है। फिलहाल, भारतीय संविधान के अनु. 80 (3) के तहत राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा […] Read more » politics राजनीति
समाज संबंध और स्वार्थ April 12, 2012 / April 12, 2012 | Leave a Comment शशांक शेखर मानवता में संबंधो के विशेष असर हुआ है। एक- दूसरे को आपस में जोड़ने में संबंध ने व्यापक पृष्ठभूमि तैयार की है। वहीं यह भी एक कटु सत्य है कि संबंधों के जुड़ाव में स्वार्थ की भूमिका कभी सामने तो कभी परदे के पीछे रहती है। सबसे मधुर संबंध मां का अपने बच्चों […] Read more » relations संबंध स्वार्थ
खेल जगत राष्ट्रीयता से दूर राष्ट्रीय खेल March 2, 2012 / March 2, 2012 | Leave a Comment शशांक शेखर किसी भी देश के लिए राष्ट्र से जुड़े हरेक पहलु का संरक्षण करना एक नैतिक जिम्मेदारी होती है। फिर चाहे वो ऱाष्ट्र ध्वज हो , राष्ट्रीय गान हो , राष्ट्रीय प्रतीक हो, राष्ट्रीय पशु-पक्षी हो, राष्ट्रीय धरोहर हो या फिर राष्ट्रीय खेल हो। भारत का वर्तमान राजनीतिक तंत्र सरकारी नीति और वोट बैंक […] Read more » Hockey national game राष्ट्रीय खेल