कहानी मैं तो आपकी हूं पापा May 23, 2013 / May 23, 2013 | Leave a Comment अरे! सुनती हो निक्को की मम्मी, लड़के वालों ने अपनी निक्को को पसंद कर लिया है। कितना परेशान से थे दो साल से। चलो भगवान ने हमारी सुन ली।’ घर के बड़े दरवाजे से दीनानाथ तेज कदमों और चेहरे पर ढेर सारी खुशियों को समेटे बाहर से ही यह खुशखबरी सुनाते हुए आए। क्या बात […] Read more » story by shikha srivastav मैं तो आपकी हूं पापा
टॉप स्टोरी दिल्ली रेप वालों की … April 21, 2013 | 3 Comments on दिल्ली रेप वालों की … डरी और सहमी, दर्द से भरी, खुद को कोसती अब यही रह गई है,महिलाओं की पहचान। अब कहेंगे कि वो डरी सहमी क्यों है? उन्होंने तो पहले से बहुत तरक्की कर ली है, हर क्षेत्र में लड़को हरा रही हैं। वो भी देश के दिल दिल्ली में तो महिलाओं के लिए बहुत ही मौके हैं […] Read more »
गजल छलकते जज्बात April 16, 2013 | Leave a Comment लोगों के बीच में आंखे चुराते हुए मुझे देखना और जब मैं मुस्कराऊं तो तुम्हारी आंखों की चमक गालों की लालिमा, कह जाती है तुम्हें हमसे प्यार है हमारी जरूरत है… मुझे देखते हुए जब लोगों ने शुरू की तुम्हारी खिंचाई , तो बड़ी बहादुरी से आपका यह कहना हां, मैं देख रहा था और […] Read more »
कविता शिखा श्रीवास्तव की कविता : कितनी अजीब है रिश्तों की कहानी… December 13, 2012 / December 13, 2012 | Leave a Comment ऐसी है बेईमान रिश्तों की कहानी, ताउम्र बंधन का दंभ भरने वाले रिश्ते, एक ही पल में बदल देते हैं अपना रंग और रूप कितनी अजीब है रिश्तों….। जिन मां-बाप ने पाला-पोसा बेटी को, विवाह की बेला आते ही क्यों कम हो जाता है, उनका हक और अधिकार कितनी अजीब है रिश्तों ….। जिस आंगना […] Read more »