विधि-कानून स्कूल में सजा की परम्परा और बच्चे December 24, 2014 / December 24, 2014 | Leave a Comment संजय कुमार बलौदिया हमारे यहां स्कूलों में बच्चों को सजा देने या उनसे मारपीट की घटनाएं निरंतर हो रही हैं। सजा देने की प्रवृत्ति सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में दिखती है। उदाहरण के तौर पर यहां तीन घटनाओं को देखा जा सकता है। 8 नवंबर को कानपुर के विजय नगर स्थित राजकीय कन्या […] Read more » child psycology corporal punishment corporal punishment to kids चाइल्ड साइकलॉजी बच्चे स्कूल में सजा की परम्परा
जन-जागरण स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय के आंकड़ों की बाजीगरी October 8, 2014 | Leave a Comment संजय कुमार बलौदिया राष्ट्रीय शिक्षा योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय के आंकड़ों के आधार पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सरकार कह रही है कि कुल सरकारी स्कूल 10,94,431 में से सिर्फ 1,01,443 स्कूलों में ही लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और 87,984 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय काम नहीं कर रहे है। जिन […] Read more » शौचालय
हिंदी दिवस हिन्दी का विकास हो रहा है ! September 22, 2014 | 1 Comment on हिन्दी का विकास हो रहा है ! संजय कुमार बलौदिया आज हिन्दी अखबारों के भले ही करोड़ों पाठक है। हिन्दी अखबारों के करोड़ों पाठकों के आधार पर कहा जाता है कि हिन्दी फल-फूल रही है। लेकिन शायद हम यह भूल जाते है कि आज के हिन्दी अखबार अब सिर्फ हिन्दी के नहीं रहे है, बल्कि वह हिंग्लिश भाषा के हो गए है। […] Read more » हिन्दी का विकास हो रहा है
विविधा सुंदरता के बाजार से जन्मीं नई विषमताएं January 31, 2014 / January 31, 2014 | Leave a Comment -संजय कुमार बलौदिया- पिछले दिनों द इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी का सर्वे प्रकाशित हुआ जिसके मुताबिक कॉस्मेटिक सर्जरी के मामले में अमेरिका, चीन और ब्राजील के बाद भारत चौथे स्थान पर आता है। यह आंकड़ा भारत की कुल आबादी पर आधारित है। सोशल न्यूज नेटवर्क वोकेटिव के अनुसार सर्जरी का बड़ा कारण […] Read more » Beauty Beauty funda सुंदरता के बाजार से जन्मीं नई विषमताएं
हिंदी दिवस हिन्दी को अनूदित भाषा बनाने और अंग्रेजी को बढ़ावा देने की कोशिशि September 14, 2013 / September 14, 2013 | Leave a Comment संजय कुमार iimc भाषा रिसर्च एंड पब्लिकेशन सेंटर की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले पचास सालों में करीब 220 भाषाएं मृत हो गई है और आने वाले दशकों में कुछ और भाषाएं जिनमें हिंदी भी शामिल है, उनके खत्म होने की भी चिंता जताई जा रही है। इस सर्वेक्षण के बाद […] Read more » हिन्दी को अनूदित भाषा बनाने
विविधा हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता और हिन्दी का गिरता स्तर September 25, 2012 / September 25, 2012 | 1 Comment on हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता और हिन्दी का गिरता स्तर एक बार फिर हिन्दी दिवस पर सैकड़ों आयोजन हुए। जिनमें हिन्दी के बढ़ते महत्व पर व्याख्यान दिए गए, तो कहीं हिन्दी की गिरावट पर चर्चा हुई। इसके बाद हम फिर पूरे साल हिन्दी की उपेक्षा करने लगेंगे करेंगे। हम अपनी भाषा की उपेक्षा क्यों करने लग जाते हैं, जबकि पश्चिमी देशों में हिन्दी पढ़ाए जाने […] Read more » हिन्दी का गिरता स्तर
आर्थिकी राजनीति कैसी जल नीति July 6, 2012 / July 6, 2012 | Leave a Comment राष्ट्रीय जल नीति ड्राफ्ट 2012 में सरकार जल का निजीकरण करने और जल को आर्थिक वस्तु बनाने पर तुली है। जल के रख-रखाव और वितरण के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी मॉडल) को अपनाने की योजना बनाई गई है। जल एक प्राकृतिक संसाधन है। जिस पर हर वर्ग का अधिकार है, लेकिन अब यह […] Read more » water policy 2012 राष्ट्रीय जल नीति राष्ट्रीय जल नीति ड्राफ्ट 2012
लेख आधुनिक भारत में किसान हाशिए पर December 4, 2011 / December 6, 2011 | Leave a Comment संजय कुमार कुछ समय पहले राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट आई जिसके अनुसार पिछले 16 वर्षों में 2.5 लाख से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी कर ली है। वहीं महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक में किसानों की दशा ओर भी खराब है। मध्यप्रदेश में हर दिन 4 किसान खुदकुशी कर रहे है। इन आंकडों और […] Read more » Farmers modern india आधुनिक भारत किसान हाशिए पर