कविता कविता-सुदर्शन प्रियदर्शिनी June 29, 2011 / December 9, 2011 | Leave a Comment सुदर्शन प्रियदर्शिनी चेहरा इस धुन्धिआये खंडित सहस्त्र दरारों वाले दर्पण में मुझे अपना चेहरा साफ़ नही दीखता . . . जब कभी अखंडित कोने से दीख जाता है तो ….. कहीं अहम तो कहीं स्वार्थ की बेतरतीब लकीरों से कटा- पिटा होता है . . . चलचित्र चलचित्र तेरे हवा में छल्लेदार धुएं […] Read more » poem कविता
कविता सुदर्शन ‘प्रियदर्शिनी’ की पांच कविताएं January 16, 2010 / January 16, 2010 | Leave a Comment औल कल मेरी औल कट जायेगी इतने बरसों बाद। जब मिट्टी से टूटता है कोई तो औल कटती है बार बार। कल मै बनूँगी नागरिक इस देश की जिस को पाया मैने सायास पर खोया है सब कुछ आज अनायास़। कल मेरी औल कटेगी भटकन इतना मायावी तांत्रिक जाल इतना भक भक उजाला इतना भास्कर […] Read more » कविताएँ प्रियदर्शनी सुदर्शन