व्यंग्य छुट्टी का हक तो बनता ही है.. February 25, 2015 | Leave a Comment शर्मा जी बहुत दिन से घूमने नहीं आ रहे थे। न सुबह, न शाम। बाकी मित्र तो ज्यादा चिन्ता नहीं करते; पर मेरा मन उनके बिना नहीं लगता। बहुत दिन हो जाएं, तो बेचैनी होने लगती है। सो मैं उनके घर चला जाता हूं। मिलना का मिलना, और साथ में भाभी जी के हाथ के […] Read more »
व्यंग्य आलेख : संतन के मन रहत है… December 17, 2014 | Leave a Comment पिछले कुछ दिनों से कई साधु और संत विभिन्न कारणों से चर्चा में हैं। मीडिया के बारे में आदमी और कुत्ते की कहावत बहुत पुरानी है। अर्थात कुत्ता किसी आदमी को काट ले, तो यह खबर नहीं होती, क्योंकि यह उसका स्वभाव है; पर यदि आदमी ही कुत्ते को काट ले, तो यह मुखपृष्ठ की […] Read more »
जरूर पढ़ें सत्य पथ की ओर.. December 9, 2014 / December 9, 2014 | 1 Comment on सत्य पथ की ओर.. सत्य पथ की व्याख्या कई तरह से हो सकती है। सूर्य की ओर मुंह करके खड़े व्यक्ति के लिए सूर्य सामने होगा, जबकि उधर पीठ करके खड़े व्यक्ति के लिए सूर्य पीछे माना जाएगा। अपनी जगह दोनों ही ठीक हैं। बस, बात इतनी है कि कौन व्यक्ति कहां खड़ा है ? सूर्य कहीं भी हो; […] Read more » towards the devine light सत्य पथ की ओर..
धर्म-अध्यात्म बच्चों का पन्ना शहरी माहौल में संस्कार के पांच सूत्र November 30, 2014 / December 8, 2014 | Leave a Comment किसी भी बालक को शिक्षा भले ही विद्यालय से मिलती हो; पर उसकी संस्कारशाला तो घर ही है। महान लोगों के व्यक्तित्व निर्माण में उनके परिवार, और उसमें भी विशेषकर मां की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है। छत्रपति शिवाजी का वह चित्र बहुत लोकप्रिय है, जिसमें वे जीजामाता की गोद में बैठे कोई कथा […] Read more » संस्कार के पांच सूत्र
व्यंग्य व्यंग्य बाण : अराउंड दि वर्ड, बैकवर्ड November 26, 2014 | Leave a Comment पाठक अंग्रेजी शीर्षक के लिए क्षमा करें; पर आज मैं मजबूर हूं। आप जानते ही हैं कि कई लोगों को कीर्तिमान (रिकार्ड) तोड़ने या नये बनाने का जुनून होता है। वे इसके लिए किसी भी सीमा तक चले जाते हैं। ये रिकार्ड काम के भी हो सकते हैं और बेकार भी। फिर भी ये […] Read more » बैकवर्ड
व्यंग्य व्यंग्य बाण : पार्टी उत्थान योजना November 10, 2014 / November 15, 2014 | Leave a Comment चिरदुखी शर्मा जी इन दिनों कुछ ज्यादा ही दुखी थे। अधिकांश लोगों का दुख आंखों से टपकता है; पर उनका दुख स्पंज की तरह शरीर के हर अंग से टपकता रहता था। इस चक्कर में उनका रक्तचाप सोने और चांदी के दामों की तरह लगातार गिरने लगा। दिल की धड़कन मुंबई के स्टॉक एक्सचेंज की […] Read more » party uthan yojna sattire on party uthan yojna पार्टी उत्थान योजना
व्यंग्य व्यंग्य बाण : आधार कार्ड वाले हनुमान जी September 14, 2014 | 1 Comment on व्यंग्य बाण : आधार कार्ड वाले हनुमान जी लीजिए साहब, सचमुच देश में अच्छे दिन आ गये। अच्छे दिन क्या, रामराज्य कहिए। लोग अपने अगले दिनों की चिन्ता में घुलते रहते हैं; पर हमारे महान देश के अति महान सरकारी कर्मचारियों ने पूर्वजों की देखभाल शुरू कर दी है। दुनिया भर के इतिहासकार और अभिलेखागार वाले सिर पटक लें; कम्प्यूटर से लेकर नैनो […] Read more » आधार कार्ड वाले हनुमान जी