विविधा व्यंग्य व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा May 27, 2013 / May 27, 2013 | 1 Comment on व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा बात अधिक पुरानी नहीं है। शर्मा जी के मोहल्ले में एक जैसी सूरत और कद-काठी की दो जुड़वां बहनें रहती थीं। एक का नाम था शर्म और दूसरी का बेशर्म। ऐसा नाम उनके माता-पिता ने क्यों रखा, ये आप उनसे ही पूछिये। जुड़वां होने से उन्हें कई लाभ थे। दोनों बदल-बदल कर एक दूसरे के […] Read more » व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा
समाज दिन का विवाह: समझदारी भरा एक कदम May 25, 2013 | 5 Comments on दिन का विवाह: समझदारी भरा एक कदम प्रायः लोग शादी-विवाह का निमन्त्रण पत्र तो यथासमय भेजते ही हैं; पर उसका दिन निश्चित होने पर फोन से भी बता देते हैं, जिससे व्यक्ति अपना वह दिन सुरक्षित कर ले। ऐसे फोन आने पर मैं प्रायः पूछता हूं कि विवाह दिन में है या रात में ? लोग आश्चर्य से कहते हैं – विवाह […] Read more » दिन का विवाह
व्यंग्य व्यंग्य बाण : रोग दरबारी May 21, 2013 | 1 Comment on व्यंग्य बाण : रोग दरबारी विजय कुमार लोग समझते हैं कि नौकरी से अवकाश प्राप्त कर लेने के बाद व्यक्ति की मौज ही मौज है; पर इसमें कितनी मौज है और कितनी मौत, यह भुक्तभोगी ही जानता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘‘जाके पांव न पड़ी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।’’ विश्वास न हो, तो शर्मा […] Read more »
विविधा जो तटस्थ हैं…। May 21, 2013 | 2 Comments on जो तटस्थ हैं…। विजय कुमार पिछले दिनों उ0प्र0 शासन के एक मंत्री आजम खान को अमरीका के हवाई अड्डे पर जांच के लिए कुछ देर रोका गया। सुना है इससे पहले शाहरुख खान और पूर्व राष्ट्रपति डा0 कलाम के साथ भी ऐसा हो चुका है। आजम खान वहां उ0प्र0 के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ गये थे। दोनों […] Read more »
विविधा शिक्षा और दीक्षा March 12, 2013 / March 12, 2013 | 2 Comments on शिक्षा और दीक्षा विजय कुमार शिक्षा का व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है; पर इसका अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान तथा उससे मिलने वाली भारी-भरकम डिग्रियां ही नहीं है। यद्यपि इनसे ही आजकल व्यक्ति की योग्यता को नापा जाता है। इनसे ही उसे नौकरी मिलती है। इसलिए इनका महत्व भी है; पर शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री […] Read more »
मीडिया विवाद टाइम्स February 6, 2013 / February 6, 2013 | 2 Comments on विवाद टाइम्स विजय कुमार शर्मा जी खाली बैठे-बैठे अब ऊबने लगे थे। उनकी पत्नी भी चाहती थी कि वे किसी धंधे से लगकर दिन भर बाहर रहें, जिससे वे अपने पड़ोस की महिलाओं के साथ बैठकर बात कर सकें। दो-चार दिन ऐसा न होने पर उनके पेट में दर्द होने लगता था। इधर सेठ चंदूलाल चमचाकर एक […] Read more »
राजनीति लोकसभा चुनाव की बिसात तैयार January 31, 2013 / January 31, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार भारत में 2014 के लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के बावजूद मुख्य दारोमदार कांग्रेस और भाजपा पर ही है। इसलिए इनकी हर गतिविधि पर देश-विदेश के राजनीतिक विश्लेषकों की गहरी नजर है। पिछले दिनों जयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ। इसमें औपचारिक विषय जो भी […] Read more » लोकसभा चुनाव
महत्वपूर्ण लेख राजनीति संघ को गालियां क्यों ? January 26, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार कुछ दिन पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बारे में एक बेहूदा बयान दिया है। उनके अनुसार संघ और भाजपा के शिविरों में आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे पूर्व श्री चिदम्बरम् ने भी गृहमंत्री रहते हुए ‘भगवा आतंकवाद’ का शिगूफा छेड़ा था। राहुल बाबा को […] Read more » भगवा आतंकवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू आतंकवाद
महिला-जगत दिल्ली में दुष्कर्म से दहला भारत January 26, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार 16 दिसम्बर को हम भारत भर में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाते हैं। 1971 में इसी दिन ढाका में हमारे वीर सैनिकों ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया था। पर राष्ट्रीय गौरव का यह दिन वर्ष 2012 में ‘राष्ट्रीय कलंक’ का दिन बन गया। देश की […] Read more » दिल्ली में दुष्कर्म
विविधा व्यंग्य बाण – बयानवीर January 26, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार किसी ने कहा है ‘वीर भोग्या वसुंधरा।’ अर्थात वीर लोग ही इस धरती पर सत्ता सुख भोगते हैं। सत्ता के साथ सभी तरह की भौतिक सुख-सुविधाएं अपने आप ही आ जाती हैं। कुरुक्षेत्र के मैदान में जब अर्जुन दोनों ओर अपने नाते-रिश्तेदारों को देखकर मोह से ग्रस्त हुआ, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उसे […] Read more »
विश्ववार्ता व्यंग्य बाण : शिष्टाचार हमारी परम्परा है January 26, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी के गुस्से की बात न पूछें। भगवान न करे कभी आपको ऐसे में उनके सामने जाने का मौका मिले। गुस्से में उनका चेहरा ऐसा लगता है मानो जून में हीटर जला दिया हो। पर मैं उनका पुराना मित्र हूं, इसलिए मुझे ऐसे माहौल को झेलने का अभ्यास है; पर कभी-कभी बात […] Read more » भारत पाक
विविधा व्यंग्य बाण : करूं क्या आस निरास भयी… January 26, 2013 / January 26, 2013 | Leave a Comment विजय कुमार मुझे बड़ी आशा थी कि कम से कम इस बार तो दुनिया नष्ट हो ही जाएगी। कई दिन से समाचार पत्र छाप रहे थे कि माया कैलेंडर के अनुसार 21 दिसम्बर, 2012 पृथ्वी के जीवन का अंतिम दिन है। दूरदर्शन वाले भी यही कहानी सुना रहे थे; पर कुछ नहीं हुआ। जैसी दुनिया […] Read more »