व्यंग्य सिक्के का दूसरा पहलू April 13, 2012 / April 13, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार यों तो शर्मा जी से हर दिन सुबह-शाम भेंट हो ही जाती है; पर दो दिन से मेरा स्वास्थ्य खराब था। अतः वे घर पर ही मिलने आ गये। कुछ देर तो बीमारी, डॉक्टर, दवा और परहेज की बात चली, फिर इधर-उधर की चर्चा होने लगी। – वर्मा जी, कहते हैं कि हर […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य : शामिल बाजा March 2, 2012 | 1 Comment on व्यंग्य : शामिल बाजा विजय कुमार आपका विवाह हो चुका है, तो अच्छी बात है। नहीं हुआ, तो और भी अच्छी बात है; पर आप दस-बीस शादियों में गये जरूर होंगे। नाच-गाने के बिना शादी और बैंड-बाजे के बिना नाच-गाना अधूरा रहता है। बैंड में कई तरह के वाद्य होते हैं, जो समय-समय पर अपने हिस्से का काम करते […] Read more »
धर्म-अध्यात्म अजर, अमर हम अविनाशी February 26, 2012 | 4 Comments on अजर, अमर हम अविनाशी विजय कुमार यूनानी साहित्य में एक मृत्युंजयी पक्षी ‘फीनिक्स’ की चर्चा आती है। उसके बारे में मान्यता है कि अपनी राख में से वह फिर-फिर जीवित हो जाता है। दुनिया के गत लाखों वर्ष के इतिहास पर दृष्टि डालें, तो ध्यान में आता है कि भारत वर्ष और हिन्दू समाज भी मृत्युंजयी है। फीनिक्स पक्षी […] Read more » हिंदू समाज
शख्सियत श्रद्धांजलि – बड़े करीब से उठ कर चला गया कोई February 7, 2012 / February 7, 2012 | 3 Comments on श्रद्धांजलि – बड़े करीब से उठ कर चला गया कोई विजय कुमार जो इस दुनिया में आया है, वह जाएगा अवश्य। यह सृष्टि का अटल सिद्धान्त है। जो भी मित्र, परिचित या निकट सम्बन्धी सदा के लिए जाता है, उसके जाने से दुख होता ही है; पर कुछ लोगों का जाना हृदय पर अमिट घाव छोड़ जाता है। रामनारायण जी के बारे में तो यह […] Read more » ramnarayan रामनारायण
व्यंग्य टीम अन्ना का संगठन शास्त्र February 7, 2012 / February 9, 2012 | 8 Comments on टीम अन्ना का संगठन शास्त्र विजय कुमार अन्ना इन दिनों बीमार हैं। यद्यपि उनका उत्साह कम नहीं हुआ; पर क्या करें, शरीर साथ नहीं दे रहा। उनके साथियों को भी समझ नहीं आ रहा कि इस सरदी के मौसम में अब आगे क्या रास्ता पकड़ें कि आंदोलन में फिर से गरमी आ सके। अन्ना अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि के शांत […] Read more » Team Anna अन्ना हजारे
धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार परिवर्तन का संदेश देती मकर संक्राति January 12, 2012 / January 12, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार भारत एक उत्सवप्रिय देश है। शायद ही कोई दिन बीतता हो, जब किसी पंथ, सम्प्रदाय या क्षेत्र में उत्सव न हो। उत्सव न हों, तो जीने की इच्छा-आकांक्षा ही समाप्त हो जाये। अपने चारों ओर बिखरे संकटों, अव्यवस्थाओं और निराशाओं के बीच उत्सव हमें हंसाकर जीवन में फुलझड़ियां छोड़ देता है। ऐसा ही […] Read more » makar sankranti मकर संक्रांति
व्यंग्य आधार से निराधार तक January 10, 2012 / January 10, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार हर व्यक्ति के जीवन में छात्र जीवन का बड़ा महत्व है। इस समय एक दौर ऐसा भी आता है, जब लोग प्रायः कविहृदय हो जाते हैं। डायरी में गुलाब का फूल रखने से लेकर रोमांटिक शेर लिखना तक उन दिनों आम बात होती है। कविता और शेरो शायरी का रोग बढ़ जाए, तो […] Read more » aadhar card आधार
व्यंग्य सदाखुश बाबू January 10, 2012 / January 10, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी में यों तो कई विशेषताएं हैं; पर सबसे बड़ी विशेषता है कि वे स्वयं भी खुश रहते हैं और बाकी लोगों को भी खुश रखते हैं। अतः लोग उन्हें सदाखुश बाबू भी कहते हैं। जिस दिन विश्व की जनसंख्या सात अरब हुई, उससे अगले दिन मिले, तो खुशी मानो गिलास से […] Read more » sadakhush babu story by vijay kumar सदाखुश बाबू
व्यंग्य व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक December 28, 2011 / December 28, 2011 | 6 Comments on व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक विजय कुमार पजामा एक वचन है या बहुवचन, स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, उर्दू का शब्द है या हिन्दी का, इसका प्रचलन भारत में कब, कहां, कैसे और किसने किया; इस विषय की चर्चा फिर कभी करेंगे। आज तो शर्मा जी के पजामे की चर्चा करना ही ठीक रहेगा। बात उस समय की है, जब शर्मा […] Read more » lokpal लोकपाल
व्यंग्य गरीब दर्शन December 19, 2011 / December 19, 2011 | 1 Comment on गरीब दर्शन विजय कुमार युवराज पिछले काफी समय से बोर हो रहे थे। महारानी जी बीमारी में व्यस्त थीं, तो राजकुमारी अपनी घर-गृहस्थी में मस्त। युवराज की बचकानी हरकतों से दुखी होकर बड़े सरदारों ने भी उन्हें पूछना बंद कर दिया था। युवराज की यह बेचैनी उनके चमचों से नहीं देखी जाती थी। एक बार वे उन्हें […] Read more »
व्यंग्य धनतेरस और धनवर्षा November 17, 2011 / November 28, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार कुछ लोग कहते हैं कि नाम में क्या रखा है; पर सच यह है कि नाम में बहुत कुछ रखा है। विश्वास न हो तो शर्मा जी से पूछ कर देखें। उनका पूरा नाम मक्खन लाल शर्मा है; पर वे यह बताना पंसद नहीं करते। इसकी भी एक कहानी है। बात उस समय […] Read more » Dhanteras Dhanvarsha Diwali धनतेरस
पर्यावरण गाय से गांव और गांव से पर्यावरण की रक्षा November 17, 2011 / November 28, 2011 | 2 Comments on गाय से गांव और गांव से पर्यावरण की रक्षा विजय कुमार इन दिनों पूरा विश्व जिन अनेक संकटों से जूझ रहा है, उनमें पर्यावरण का संकट भी बहुत महत्वपूर्ण है। यों तो पर्यावरण संरक्षण की बात करना इन दिनों एक फैशन बन गया है। भारत में काम करने वाले लाखों अ-सरकारी संगठन (एन.जी.ओ) पर्यावरण के लिए ही काम कर रहे हैं; पर उनके प्रयासों […] Read more » Protection of Environment गाय पर्यावरण