बजरंग बली: आदिवासी व गैर-आदिवासी के सम्मिलित आराध्य देव

—विनय कुमार विनायक
आज आदिवासी समाज का विदेशी धर्म में बहुत तेजी से धर्मांतरण
हो रहा है। विदेशी मिशनरी आदिवासियों के सीधेपन से नाजायज
लाभ उठा रहे हैं। मिशनरी भोले भाले आदिवासियों को उनके मूल
धर्म से विरत करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
आदिवासी समाज में शिक्षा एवं धन की कमी के कारण उनके
आराध्य देवों के धर्म स्थल का समुचित उत्थान नहीं हो पाता।
आज की तिथि में भी आदिवासी समाज का धर्म स्थल किसी
पेड़ के नीचे होता है। अर्थाभाव के कारण उनके धर्मस्थल भव्य
मंदिर के रूप में नहीं बन पा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह
होता है कि युवा आदिवासी चर्च के तड़क भड़क को देखकर
उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। दूसरी बात यह होती है कि
मिशनरी लोग उनके देवताओं और धर्मस्थल की घृणा व उपेक्षा
भाव से आलोचना करते हैं। जिसका निर्धन आदिवासी समाज
तार्किक जवाब नहीं दे पाता है और उसके दिखाए गए सब्जबाग
और लोभ के कारण अपना मूल धर्म छोड़कर धर्मांतरण स्वीकार
कर लेते हैं। तीसरी बात यह होती है कि गैर आदिवासी समाज
के लोग आदिवासी समाज के देवताओं की उपासना भव्य
मंदिर बनाकर करते हैं जिसमें संकोच वश आदिवासी समाज
के लोग उपासना करने नहीं जाते। बजरंगबली और महादेव
मौलिक रूप से आदिवासी समाज के देवता हैं। फादर कामिल
वुल्के ने हनुमानजी को प्रामाणिक रुप से मुण्डा जनजाति से
सम्बद्ध बतलाया हैं। हनुमानजी की माता अंजनी मुंडा
सरदार की कन्या थी। झारखंड के गुमला में माता
अंजनी के नाम से अंजनीग्राम पहाड़ी तीर्थ स्थल है
जो बजरंग बली हनुमान के जन्म स्थान के रूप में
आदिवासी एवं गैर आदिवासी समाज के आस्था का
केन्द्र है। हनुमान जी की आराधना बिहार झारखण्ड
सहित समस्त भारत में की जाती है। हनुमान जी को
महादेव का रुद्रावतार कहा जाता है। ऐसे महादेव भी
मूल रूप से आदिवासी देवता हैं। जिनकी आराधना
गैर आदिवासी हिन्दू समाज में अधिक होने लगी है।
झारखंड के संथाल आदिवासी महादेव को मरांग बुरु
के नाम से आराधना करते हैं। आज गैर आदिवासी
समाज का कर्तव्य है कि वे अपने वनवासी आदिवासी
भाईयों के उपासना स्थल के विकास में योगदान करें
तथा महादेव एवं बजरंग बली के बड़े-बड़े मंदिरों में
उन्हें प्राथमिकता के साथ पूजा आराधना में शामिल
करे। इससे एक समरस समाज का निर्माण होगा तथा
गरीब आदिवासी समाज का विदेशी धर्म में धर्मांतरण
स्वत: रुक जाएगा। आज धर्मांतरण भारत के लिए बहुत
बड़ी समस्या बनकर उभरी है। आज धर्मांतरण का साफ-
साफ मतलब है राष्ट्रीयान्तरण। विदेशी धर्म में धर्मांतरित
भारतीयों की राष्ट्रीयता और आस्था बदल जाती है। उनकी
आस्था का केन्द्र विदेशी पूजा स्थल और उपास्य विदेशी
आक्रांता हो जाते हैं। वो हमेशा काबा और रोम के प्रति
आस्थावान तो होता ही है साथ ही उनके आदर्श विदेशी आक्रांता
व लुटेरे हो जाते हैं। यहां तक कि सद्य धर्मांतरित हिन्दू अपनी
संतान का नाम बर्बर लुटेरा तैमूर या जहांगीर का रखने
से तनिक नही हिचकिचाते। जबकि तैमूर ने लाखों हिन्दुओं
का कत्लेआम किया था और जहांगीर ने सिखों के पांचवें
गुरु अर्जुन देव को गर्म तवे पर तड़पा-तड़पा कर प्राण
त्यागने के लिए मजबूर किया था। भारतीय मुस्लिमों में
औरंगजेब, ओसामा,लादेन, सद्दाम जैसे कुख्यात नाम रखने
की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। आज के धर्मांतरित
लोगों का हाव-भाव, वेश भूषा बेहद आक्रामक होता जा रहा
है। उनमें तनिक भी भारतीयता नहीं झलकती है। ऐसा
प्रतीत होता है जैसे वे किसी अघोषित युद्ध की तैयारी में हो।
जहां तक नकल की बात है तो अच्छे चरित्र की नकल
होनी चाहिए। सच्चरित्र पात्र चाहे किसी भी धर्म का हो उसके
चरित्र को ग्रहण करना चाहिए। लेकिन वे ऐसा नहीं करते।
जबकि हिन्दू धर्मावलंबियों में ऐसी बात नहीं है। हिन्दू अपने
धर्म के अताताईयों जैसी चाल ढाल तो क्या उनके नाम तक
नहीं रखते। रावण,कंश, दुर्योधन, दुशासन यहां तक कि पुत्र
मोहग्रस्त धृतराष्ट्र तक के नाम रखने की परंपरा नहीं है।
अस्तु विदेशी धर्म में धर्मांतरण को रोकना और धर्मांतरित
हो चुके भारतीयों की मूल धर्म में गृह वापसी आज के
समय की मांग है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,668 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress