कविता साहित्‍य

भारत के  वे “लाल” यशस्वी,सचमुच बड़े “बहादुर” थे ।

भारत के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री जी को *
सादर समर्पित श्रद्धा-सुमन
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भारत के  वे “लाल” यशस्वी,सचमुच बड़े “बहादुर” थे ।
क़द  छोटा, इंसान बड़े  थे ,  देश-प्रेम  हित आतुर थे ।।
पले अभावों में थे लेकिन,मन से बड़े उदारमना ।
कर्त्तव्यों में निष्ठा थी,निज कष्टों को नहीं गिना ।।
काशी विद्यापीठ में  शिक्षा पाई , वे  थे सच्चे ज्ञानी ।
त्याग-तपस्या में थे आगे,संस्कृति भारत की ही जानी ।।
स्वतन्त्रता हित जेल गए,पर धैर्य न छोड़ा ,शान्त रहे।
बढ़ा मनोबल ललिता जी का, उनसे ऐसे वचन कहे ।।
यू.पी. के गृह-मंत्री थे वे ,पर घर में खादी चलती थी ।
बड़ी सादगी से जीवन में, उनकी संतति भी पलती थी ।।
बने  केन्द्र में रेल-मिनिस्टर, सावधान थे बड़े सजग ।
दुर्घटना जब घटी रेल  की, त्यागपत्र दे हुए अलग ।।
गाँधी के सच्चे अनुयायी, मितभाषी प्यारे थे सबको ।
प्रधान मंत्री बन कर भी तो, गर्व नहीं छू पाया उनको ।।
देख देश में कमी अन्न की, एक समय का किया उपवास ।
मानी  बात सभी  ने उनकी , उन्हें  दिलाया  था  विश्वास ।।
था  अभिमान  नहीं  उनको  पर , स्वाभिमान  प्यारा   था ।
“जय जवान और जय किसान” ही, उनका नूतन नारा था ।।
किया पड़ोसी  ने  जब  हमला, भेजी  सेना जोश  भरी ।
सेना लाहौर तक जा पहुँची, विजयपताका भी फहरी।।
“ताशकन्द समझौते” ने ,शास्त्री जी का दिल तोड़ दिया ।
देश-रत्न उस  वर्चस्वी  ने , अपना जीवन  त्याग  दिया ।।
अमर  रहेंगे  शास्त्री जी  तो , भारत  के  इतिहास  में ।
याद रहेगी युगों युगों तक , भारतीय जन के मानस में।।
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शास्त्री जी के                               – शकुन्तला बहादुर
जन्मदिवस पर-