राजनीति

मुकेश कुमार मिश्र की कविता : भेड़िये का प्रायश्चित्त…

download (1)कि इस शहर का

एक भेड़िया प्रायश्चित्त कर रहा है..

कुछ लोग उसके ’साहस’ की

प्रशंसा कर रहे हैं…

कुछ लोग ’इन्टर्नल’

बताकर मामले को दबा रहे हैं

कुछ लोग सेकुलर ढंग से

इस मुद्दे को सुलझा रहे हैं…

क्यों????

क्योंकि भेड़िया “लाल” है

क्यों?????

क्योंकि भेड़िया ’भेदिये’ का काम कर

“किसी को” तख्त दिलायेगा…

लेकिन भेड़िया

लाल भेड़िया

खूनी दरिंदा भेड़िया

नहीं जानता

कि

अब भेड़िये भीड़ में भी पहचाने जायेंगे

अपनी माँद से बाहर निकाले जायेंगे

कि भेड़िया नहीं जानता

कि…

अपनी खाल बचाने के लिए जिस “खोल”

को उसने ओढ़ रखा है….

अब जनता चुन-चुन कर

उन एक-एक धागों को तार-तार करेगी

अब इन लाल भेड़ियों को बेनकाब करेगी….

 

Mukesh Kumar Mishraकवि परिचय : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से संगणकीय भाषाविज्ञान में पी.एचडी कर रहे हैं । “Computational Semantics for Sanskrit :A Case of Amarakośa Homonyms”  पुस्तक प्रकाशित ।