भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस 

-रवि श्रीवास्तव-

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भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस,
बन गया इस देश का भक्षक,
हर तरफ है ये तो फैला,
लड़ा नहीं जा सकता अकेला,
बन गया ये तो झमेला,
जायेगा न अब ज्यादा झेला,
मिलकर सभी दिखाओ जोर,
कर तुम इसको कमजोर ,
तोड़ दो इसकी रीढ़ की हड्डी,
बंध न पाए जिसमे पट्टी ,
कर दो यहां से इसकी छुट्टी,
तभी मिलेगी सुकून की रोटी ,
बन जाओ तुम देश के रक्षक ,
भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस।

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