पंजाब मे अकाली भाजपा सहित विपक्षी गठबंधन

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-अनिल अनूप

राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं तो पंजाब में कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन को मात देने के लिए लोकतांत्रिक गठबंधन की घोषणा की गई है। यह गठबंधन कितना स्थाई व सफल होता है यह तो आने वाला समयही बताएगा। लेकिन गठबंधन में शामिल होने वाले दलों के नेताओं की अभी से सुर नहीं मिल रहे।

पटियाला के सांसद डा. धर्मवीर के प्रयासों के फलस्वरूप, शिअद टकसाली, पंजाब एकता पार्टी, लोक इंसाफ पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा डा. गांधी के पंजाब मंच ने मिलकर बैठक की ‘आप’ को भी इस बैठक में आने का निमंत्रण दिया गया था लेकिन ‘आप’ शामिल नहीं हुई। टकसाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने कहा कि मैंने बैठक में सभी सदस्यों के सामने ही भगवंत मान को टेलीफोन किया था पर उनका कहना था कि वह ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हो सकते जिसमें खैहरा और बैंस मौजूद हों। हमारी बातचीत अभी चल रही है और मेरा मानना है कि जो हमारे गठबंधन का हिस्सा नहीं होना चाहता उसका सीधा सा मतलब है कि वह शिअद-भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों का हिमायती है जो बीते कई दशकों से पंजाब को लूटते आ रहे हैं। उनका कहना है हमारे गठबंधन के सहयोगी अगले सप्ताह फिर बैठेंगे और सबकी इच्छा है कि अगला लोकसभा चुनाव इसी के परचम तले लड़ा जाए। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा से भी इस बात के संकेत दिए हैं कि उनकी शिअद टकसाली के साथ बातचीत चल रही है। इसका मतलब यह हुआ कि या तो आने वाले दिनों में आप भी गठबंधन में शामिल होगी या गठबंधन में सहयोगी बदल जाएंगे। आप से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी खड़ी करने वाले खैहरा का कहना है यदि आप भी गठबंधन का हिस्सा बने तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। मैं हर उस शख्स के साथ जाने को तैयार हूं जो पंजाब के हित में बात करे। मुझे ‘आप’ से कोई आपत्ति नहीं पर चूंकि उन्होंने अभी गठबंधन में शामिल होने से इनकार किया जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया है। इस गठबंधन में कई तरह के मतभेद हैं। बसपा पंजाब के अध्यक्ष रछपाल सिंह राजू का कहना है, यदि बहन मायावती को बतौर प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन मिल जाए तो हम इस गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। इस पर सेखवां का कहना है कि पेंच इसी पर फसा है। उधर सूत्रों के मुताबिक कुछ नेताओं का तो यहां तक कहना है कि वह गठबंधन के बावजूद वे अपने चुनाव चिन्ह पर लडऩा चाहते हैं। खैहरा के मुताबिक, हम एक संयुक्त पार्टी चुनाव चिन्ह हासिल करेंगे और चुनाव पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन के परचम तले लड़ा जाएगा।

लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन में कोई जगह नहीं है। बैंस का कहना है कि आम आदमी पार्टी के प्रधान एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान नशे और इसके सौदागरों के विरुद्ध बड़ी-बड़ी बातें की थीं। उन्होंने अपने भाषणों में पंजाब के वरिष्ठ अकाली नेता एवं पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को नशे का सौदागर और उनको कालर से पकड़ कर जेल में बंद करने तक की बातें की थीं। लेकिन चुनाव के बाद मजीठिया ने जब उन पर अदालत में मानहानि का मुकदमा किया तो केजरीवाल ने मजीठिया से न केवल बिना शर्त माफी मांग ली बल्कि अकाली नेता को क्लीन चिट भी दे दी। श्री बैंस ने कहा कि ऐसे नेतृत्व वाली पार्टी को कैसे पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कोई प्रस्ताव गठबंधन की किसी घटक पार्टी द्वारा लाया गया तो उनकी पार्टी उसका डटकर विरोध करेगी। 

पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन ने पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा की है। अपना पंजाब पार्टी के अध्यक्ष सुच्चा सिंह छोटेपुर का कहना है कि कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन को हराना आसान नहीं है। गठबंधन को जनता के सामने एक संयुक्त कार्यक्रम रखना होगा तभी पंजाब की जनता उन पर विश्वास करेगी।

जमीनी सत्य यही है कि पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन अगर अस्तित्व में आया है तो सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और अकाली-भाजपा गठबंधन को मात देने के लिए ही आया है। लेकिन बिना किसी सिद्धांतिक एकता के तथा मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए एकजुट होकर कांग्रेस को मात देना आज के हालात में संभव नहीं है। पंजाब का नागरिक जागरूक है और वह बिना सोचे-समझे अपना मतदान नहीं करता। पंजाब के मतदाता का समर्थन पाने के लिए पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन को अपनी नीतियां व योजनाओं को सार्वजनिक करना होगा। मात्र कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन का विरोध करने से गठबंधन को कुछ विशेष हासिल होने वाला नहीं। हां, कांग्रेस को पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन के आने से राजनीतिक लाभ अवश्य मिलेगा।

अकाली-भाजपा गठबंधन को मात दे सत्ता में आई कांग्रेस से भी पंजाब के लोगों का मोहभंग तो हो रहा है लेकिन कै. अमरेन्द्र सिंह के विकल्प के रूप में लोगों के पास अभी कोई ठोस व गंभीर चेहरा दिखाई नहीं दे रहा। पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन में गरम विचारों वाले नेताओं का एक मंच पर आने के कारण भी पंजाब का हिन्दू वर्ग सहमा सा महसूस करता है। इसी स्थिति का लाभ कांग्रेस व अकाली-भाजपा गठबंधन को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मिलने की पूरी संभावना है। पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन को अपनी कट्टरपंथी व गरम विचार वाली छवि को तोडऩा है तो उसे हिन्दू नेताओं व संगठनों को जगह देनी होगी और साथ ही पंजाब के उज्जवल भविष्य के लिए अपने कार्यक्रम को सार्वजनिक करना होगा। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले गठबंधन को एक सीमा तक ही सफलता मिलेगी।

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