मोदी पर केंद्रित होती भाजपा- अरविंद जयतिलक

2
152

हालांकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए आधिकारिक तौर पर किसी नाम का एलान नहीं किया गया है लेकिन उसके शीर्ष नेताओं के मोदी नाम गुणगान से स्पष्‍ट है कि भाजपा मिशन 2014 को भेदने के लिए मोदी पर दांव लगा सकती है। गत दिवस भाजपा की शीर्ष नेता सुषमा स्वराज द्वारा बड़ोदरा में कहा भी गया कि मोदी प्रधानमंत्री पद के योग्य एवं बेहतरीन उम्मीदवार हैं। कुछ इसी तर्ज पर भाजपा नेता अरुण जेटली एवं कुछ अन्य नेताओं ने भी मोदी की काबिलियत की प्रशंसा की। चूकि सुषमा और जेटली भाजपा के शीर्ष नेता हैं, इस लिहाज से उनके बयानों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उसके गहरे निहितार्थ निकाले जा सकते हैं। फिलहाल उनके बयानों से समझा जा सकता है कि मोदी पर आम सहमति बनाने के लिए भाजपा पर संघ का दबाव बढ़ गया है। या इसे यों कह सकते हैं कि संघ परिवार प्रधानमंत्री पद को लेकर चल रहे घमासान को अब और बर्दाश्‍त करने को तैयार नहीं है। उसका कड़ा संदेश है कि भाजपा को मोदी को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा। आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी अभी तक यह दलील देती रही है कि उसके पास प्रधानमंत्री पद के कई योग्य उम्मीदवार हैं। वह कई बार यह भी कह चुकी है एनडीए के घटक दलों से रायशुमारी के बाद ही उम्मीदवार की घोषणा करेगी। दो राय नहीं कि इस कथन के पीछे उसका उद्देश्‍य एनडीए के घटक दलों को एकता के सूत्र में बांधे रखना और पार्टी के अंदर घमासान पर विराम लगाना है। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी की हैट्रिक की संभावना ने संघ परिवार को उत्साहित कर दिया है। अब वह भाजपा में हावी स्वार्थतंत्र को रौंदकर सबको अर्दब में रखने की गुणा-गणित में जुट गया है। वह अपने तेवर से शीर्ष नेताओं को संदेश दे रहा है कि उसे सहयोगी दलों की बंदरघुड़की में आने की जरुरत नहीं है। संघ परिवार इस कसरत में भी जुट गया है कि मोदी का नाम आगे करने से भाजपा को लाभ होगा या नुकसान। उसके सहयोगी दल उसके साथ रहेंगे या विदा होंगे। बावजूद इसके वह इन सब सवालों से बेफिक्र है। शायद वह मन बना लिया है कि हमेशा डरते रहने से एक बार खतरे का सामना कर डालना अच्छा है। अब संघ परिवार मोदी रुपी तीर को तरकश में रखने को तैयार नहीं है। वह वर्तमान परिस्थितियों को भाजपा और मोदी दोनों के लिए मुफीद मान रहा है।

देखा भी जाए तो केंद्र की यूपीए सरकार सभी मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। उसकी आर्थिक नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को आघात लगा है। देश महंगाई और भ्रष्‍टाचार की चपेट में है। गरीबी, भूखमरी और बेरोजगारी दहाड़ मार रही हैं। आतंकवाद और नक्सलवाद से देश खौफजदा है। अब देष का आमजन ऐसे नेतृत्व के इंतजार में है जो जनता की कसौटी पर खरा उतरे। संघ इसे भलाभांति परख रहा है। कांग्रेस नेतृत्ववाली यूपीए सरकार के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो मिषन 2014 को पार लगाए। क्षेत्रीय दल कांग्रेस की पूंछ पकड़े हैं। हालांकि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। उसकी भी साख गिरी है। उसके राष्‍ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप हैं। नैतिकता के आधार पर उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है। बावजूद इसके आमजन अभी भी उसे ही यूपीए का विकल्प मान रहा है। कारण उसके पास ढेर सारे ऐसे चेहरे हैं जिनपर विष्वास किया जा सकता है। नरेंद्र मोदी पर गुजरात दंगे का आरोप है लेकिने वे विकास का पर्याय भी बन चुके हैं। संघ परिवार और भाजपा का मानना है कि मोदी को आगे करने से उसे राजनीतिक बढ़त मिल सकती है और पार्टी में मचा घमासान भी थम सकता है। लेकिन संघ परिवार की मुराद तब पूरा होगा जब मोदी गुजरात में सत्ता की हैट्रिक लगाने में कामयाब होंगे और भाजपा एनडीए के घटक दलों को एकजुट बनाए रखेगी। विशेष रुप से जेडीयू को जिसे मोदी के नाम पर सख्त ऐतराज है। मोदी के नाम पर मुहर लगवाना आसान कार्य नहीं है। याद होगा कुछ समय पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की छवि धर्मनिरपेक्ष और उदार होना चाहिए। एनडीए का नेता ऐसा होना चाहिए जो बिहार जैसे अविकसित राज्यों के लिए अहसास रखता हो। उम्मीदवार ऐसा नहीं होना चाहिए जो विकसित राज्यों का विकास कर सकता हो, बल्कि ऐसा होना चाहिए जो अविकसित राज्यों का दर्द समझता हो। नीतीश का निशाना मोदी की ओर था। वह अभी भी मोदी को लेकर असहज हैं। उनके पूर्वाग्रह के पीछे बिहार का मुस्लिम मत है जिसे अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए भाजपा को भी छोड़ने को तैयार हैं। जेडीयू कह भी चुका है कि अगर भाजपा मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाती है तो उससे वह नाता तोड़ लेगी। लेकिन अब जब सुषमा स्वराज और अरुण जेटली समेत कई शीर्ष नेताओं ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का योग्य उम्मीदवार बता दिया है ऐसे में जेडीयू और नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया क्या होगी यह देखना दिलचस्प होगा। वैसे पिछले कुछ समय से बिहार में नीतीष कुमार के खिलाफ जबरदस्त माहौल बना है। उनके अधिकार यात्रा के खिलाफ कई बार बवाल हुआ। कई स्थानों पर उन्हें इसे यात्रा स्थगित करना पड़ा। संघ परिवार इस स्थिति का फायदा उठाना चाहता है। उसकी सोच है कि इन परिस्थितियों में जेडीयू और नीतीश कुमार खुलकर मोदी की मुखालफत से बचेंगे। लेकिन इसकी संभावना कम है। हालांकि अभी वह भाजपा के आधिकारिक घोषणा का इंतजार कर रही है। भाजपा के लिए संतोष की बात यह है कि मोदी के नाम पर जेडीयू के अलावा एनडीए के अन्य किसी घटक को ऐतराज नहीं है। लेकिन मोदी राष्‍ट्रीय राजनीति को प्रभावित तब करेंगे जब शानदार तरीके से गुजरात फतह करने में समर्थ होंगे। उन्हें तीसरी बार भी साबित करना होगा कि छः करोड़ गुजरातियों के असली मसीहा वहीं हैं। वैसे माना जा रहा है कि अबकी बार भी गुजरात में उनका डंका बज सकता है। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से उद्घाटित हो रहा है कि भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। कारण मोदी की तरह गुजरात कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे सामने रख जनता को लामबंद कर सके।

कांग्रेस 1998 से सत्ता से बाहर है। आज की तारीख में भी वह कमाल दिखाने लायक नहीं है। 1998 के बाद गुजरात में जितने भी चुनाव हुए हैं उन सबमें वह बुरी तरह पराजित हुई है। ऐसे में मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकना उसके लिए आसान नहीं होगा। हालांकि कांगे्रस चुनावी घोषणा पत्र से गुजरात की 6 करोड़ जनता पर जमकर लासेबाजी कर रही है। उनको लुभाने के लिए मकान, रोजगार और छात्र-छात्राओं को लैपटाप देने का वादा की रखी है। दूसरी ओर मोदी ने भी चुनावी घोषणा पत्र में ढेर सारे वायदे कर कांग्रेस की काट की कोशिश की है। लेकिन जो मजे की बात है वह यह है मोदी सरकार को घेरने की छटपटाहट में कांग्रेस खुद घिरती जा रही है। पहले वह कुपोषण और गरीबी का फर्जी पोस्टर लगाकर मोदी सरकार के खिलाफ सनसनी पैदा की। लेकिन उसमें वह नाकाम रही। अब वह मणिनगर में मोदी के खिलाफ निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्‍वेता भट्ट को मैंदान में उतारी है। लेकिन भाजपा ने उन पर हल्ला बोल दिया है। आरोप लगाया है कि संजीव भट्ट कांग्रेस के मोहरे हैं और मोदी सरकार को बदनाम करने के पुरस्कार के रुप में उनकी पत्नी को टिकट दिया गया है। कांग्रेस किंकर्तव्यविमुढ़ है। जवाब देते नहीं बन रहा है। दूसरी ओर ब्रिटेन की मशहूर पत्रिका ‘द इकानामिस्ट’ ने लोकसभा चुनाव बाद पी चिदंबरम को प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में गिनाकर कांग्रेस को असजहज कर दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि मोदी से जुझ रही कांग्रेस उन्हें घेरने के लिए किस चक्रव्यूह का निर्माण करती है। वैसे यह साबित हो चुका है कि गुजरात में मोदी के नाम का सिक्का ढलता भी है और चलता भी है।

2 COMMENTS

  1. आज भाजपा केवल निम्न सुभाषित स्मरण रखे|
    क्यों? कारण, भाजपा से जनता की अपेक्षाएं अधिक है|

    यत्र सर्वे विनेतार:, सर्वे पंडित मानिन:|
    सर्वे महत्वं इच्छन्ति, सराष्ट्रं ह्याशु नश्यति||

    जहाँ सभी नेता है, सभी अपने को पंडित मानते हैं, सभीको महत्ता(सत्ता) चाहिए, ऐसा राष्ट्र (पक्ष) नष्ट होता है. आप यु पि ए नहीं है,
    ===>आप के लिए निकष ऊँचा लगाया जाता है|
    ध्यान रहे, की, जनता भी आपकी जेब में नहीं है|
    गलती ना करना|

  2. देश के पास मोदी के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। मोदी के मुद्दे पर यदि नीतिश एनडीए छोड़ते हैं, तो उनका यह कदम आत्मघाती होगा और बिहार के लिए दुर्भाग्यशाली। लेकिन पूरे देश के लिए सौभाग्य होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,340 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress