राजस्थान में भाजपा का उम्मीदभरा चेहरा

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-ललित गर्ग –

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट के बीच मचे सियासी घमासान ने लोकतंत्र की बुनियाद को गहरा आघात पहुंचाया है। इन दोनों के बीच के संघर्ष ने कांग्रेस की छवि को भी नुकसान पहुंचाया है। एक बड़ा प्रश्न है कि क्या मध्य प्रदेश जैसा उलटफेर राजस्थान में भी हो सकता है? अभी तक गहलोत का राजनीतिक कौशल एवं सुदीर्घ राजनीति अनुभव ऐसी संभावनाओं को झूठा साबित करता रहा है, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है। भारतीय जनता पार्टी-राजस्थान ऐसी संभावनाओं को देखते हुए सक्रिय है। इस पूरे घटनाक्रम में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के भी पर्दे के पीछे सक्रिय होने की बात कही जा रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर गहलोत सरकार गिरती है और बीजेपी की वैकल्पिक सरकार बनाने की नौबत आती है तो मुख्यमंत्री बनने की रेस में शेखावत सबसे आगे हो सकते हैं।
भारतीय राजनीति में सादगी, ईमानदारी एवं राजनीतिक कौशल से अपनी जगह बनाने वाले शेखावत ने वर्तमान घटनाक्रम में अपनी प्रभावी एवं शालीन भूमिका से प्रदेश में भाजपा की एक बड़ी उम्मीद बने हैं। शेखावत एक ऐसा प्रभावी, चमत्कारी एवं राजनीति व्यक्तित्व हैं जिन्होंने एक बार नहीं, बल्कि बार-बार साबित किया है कि वे धैर्य, लगन, आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प, राजनीतिक कौशल के साथ खुद को बुलन्द रखते हंै, जिससेे उनके रास्ते से बाधाएं हटती ही है और संभावनाओं का उजाला होता ही है। चुनौतीभरे रास्तों में प्रदेश भाजपा के लिये उजाले के प्रतीक बनने वाले शेखावत का व्यक्तित्व राजनीति की प्रयोगशाला में तपकर और अधिक निखरा है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में भाजपा की भूमिका जैसे आरोपों पर शेखावत ने सटीक जबाव देते हुए कहा है कि राजस्थान में जो कुछ हो रहा है, वह कांग्रेस पार्टी के अंतर्कलह का नतीजा है। कांग्रेस दो खेमों में बंटी हुई है। गहलोत कांग्रेस पार्टी में नए लोगों को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं। राजस्थान की जनता ने जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी का दावेदार मानते हुए मतदान किया था, उसे दरकिनार करके गहलोत पिछले दरवाजे से सत्ता पर काबिज हो गए। इस बयान में उन्होंने जहां सचिन का नाम लिये बगैर उनके साथ पार्टी में बरती जा रही उपेक्षा को उजागर किया, वहीं भाजपा में इस तरह की राजनीति न होने की बात भी कह दी। उनका स्पष्ट अभिमत था कि भाजपा ने न तो मध्यप्रदेश में सरकार को अपदस्थ किया था और न ही राजस्थान में ऐसा कोई मंतव्य है। न हमने ऐसा कुछ किया है, न हमारा ऐसा करने का विचार है। कांग्रेस अपनी नाकामयाबियों को छुपाने के लिये भाजपा को बदनाम कर रही है।
राजस्थान कांग्रेस के भीतर जो संकट आज दिख रहा है, वह दरअसल भारतीय लोकतंत्र का संकट बन चुका है। इसके लिये कांग्रेस किसी अन्य दल को कैसे दोषी ठहरा सकती है? कांग्रेस के नौजवान जमीनी नेता जिस तरह पार्टी की कमजोर नीतियों के कारण एक-एक कर किनारा करते जा रहे हैं या फिर राजनीतिक रूप से हाशिये पर धकेले जा रहे हैं, क्या इसके बावजूद कांग्रेस बेहतर भविष्य के सपने देख सकती है? कांग्रेस को अपनी कमियों के लिये दूसरों पर दोषारोपण से बचना चाहिए और अपने घर को दुरुस्त करना चाहिए। जब राजस्थान की जनता अपनी सरकार से चरम प्रशासनिक सक्रियता की उम्मीद लगाये बैठी है, तब वह सरकार रिजाॅर्ट एवं राजभवन के बीच परेड कर रही है। जनता सब देख रही है, उसके निर्णय लेने में इन नकारापन स्थितियों की निर्णायक भूमिका बनने वाली है। इस तरह कांग्रेस की डोलती एवं डगमगाती राजनीति का फायदा भाजपा को मिलना स्वाभाविक है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला से संगठन के गुर एवं मूल्यों की राजनीति सीखने वाले शेखावत का जीवन राजनीतिक जज्बों, प्रयोगों एवं संघर्षों से भरा रहा है। ऐसा लगता है वे भाजपा की राजनीति के लिये ही बने हंै, वे राजनीति के महारथि एवं महायौद्धा हैं। वे आधुनिक राजनीति में तेजी से कदम बढ़ा रहे एवं नये कीर्तिमान गढ़ रहे। उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदलने की महारथ हासिल की है। इनदिनों शेखावत कोरोना महासंकट के दौर में लाॅकडाउन समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘हर घर में जल’ एवं ‘नदियों को जोड़ने’ मिशन को लेकर सक्रिय है। उनका मानना है कि लाॅकडाउन के दो महीने में हमने इतने काम कर लिये हैं, जितने आमतौर पर पांच साल में होते हैं। उन्होंने प्रतिदिन एक-एक घंटे की 8 से 10 मिटिंगें की है, इन लगभग 10 घंटों के अलावा मंत्रालय के अन्य काम एवं राजनीतिक घटनाओं के लिये भी वे समय नियोजित करते हैं। अटल विहारी वाजपेयी की सरकार में नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना बनी थी। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान यह ठंडे बस्ते में चली गई। अब मोदी सरकार इस योजना पर अधिक सक्रिय है और इसके लिये शेखावत आधुनिक तकनीक एवं साधनों का प्रयोग करते हुए अपने मंत्रालय को सक्रिय किये हुए है। इन जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए वे राजस्थान में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने के लिये व्यापक संघर्ष कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं को संगठित कर रहे हैं, उनका आत्म-पौरुष पार्टी के कार्यकर्ताओं में जिम्मेदारियों के अहसास जगा रहा है। वे प्रदेश में भाजपा पर होने वाले आघातों का तीक्ष्ण एवं अकाट्य जबाव देते हैं।
गजेन्द्र सिंह शेखावत भाजपा के कद्दावर नेता हैं और मौजूदा नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री के पद पर हैं। वे ऐसी अनूठी एवं विलक्षण शख्सियत हैं जिनके दम पर राजस्थान में भाजपा का नया भविष्य तलाशा जा रहा है। वे कई सालों से राजनीति में हैं और राजनीति के दांव पेच से अच्छे से वाकिफ हैं। उनके सामने चाहे कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज बीजेपी में जो उनका मुकाम है उसे हासिल करने के लिए उन्होंने अपने जीवन में खूब मेहनत की है, अनेक संघर्षों में तपकर-खपकर निखरे हैं। शेखावत भाजपा-राजस्थान के लिये ही एक नया सवेरा, नई उम्मीद और नई प्रेरणा बनकर नहीं उभरे, बल्कि देश के समूचे जनजीवन के लिये भी एक नई प्रेरणा सिद्ध हुए हैं।
 गजेन्द्र सिंह शेखावत ने टेढ़े-मेढ़े, उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए, संकरी-पतली पगडंडियों पर चलकर भाजपा-भावना से भाजपा की शक्ति बने हैं। वे स्वयं को किसी पद या जिम्मेदारी लेने की दौड से स्वयं को दूर रखते हैं, उन्होंने कहा भी है कि हमारे यहां कोई व्यक्ति खुद से किसी दौड़ में शामिल नहीं होता। भाजपा में जिम्मेदारी दी जाती है। वे भाजपा की राजनीति को मूल्यों एवं राष्ट्रीयता से प्रेरित राजनीति मानते हैं। उन्होंने कहा भी है कि हम देश बनाने के लिये काम करते हैं, मातृभूमि का वैभव अक्षुण्ण रखना चाहते हैं। ऐसे पर्दे के पिछे सक्रिय होकर काम करने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से ही भाजपा मजबूत बनी है। ऐसे ही नेताओं के चरित्र एवं साख से देश की अधिसंख्य जनता को पता चला है कि भाजपा की राष्ट्रीयता से प्रेरित राजनीति के मायने क्या-क्या हैं? भले ही शेखावत आज सफल राजनीतिक शख्सियतों में शुमार किये जाते हों, लेकिन राजनीतिक जीवन ने उन्हें कई थपेड़े दिये, कई बदरंग जीवन की तस्वीरों से बार-बार रू-ब-रू कराया और इन थपेड़े एवं भौंथरी तस्वीरों ने उन्हें झकझोरा भी – जीवन को हिला भी दिया लेकिन उतना ही निखारा भी।
राष्ट्रवाद के परिकल्पनात्मक स्वरूप को अगर भाजपा जनता के हृदय तक पहुंचाने में कामयाब रही है तो इसका श्रेय काफी  हद तक नरेन्द्र मोदी एवं अमित शाह के नेतृत्व में गजेन्द्र सिंह शेखावत जैसे नेताओं को भी जाता है। उन्होंने राजस्थान के लोगों में भाजपा के लिये सकारात्मक वातावरण बनाने की दिशा में जो प्रयत्न किये है, निश्चित ही उसके प्रभावी परिणाम देखने को मिलेंगे।  वे राजस्थान में अन्य राजनीतिक दलों के लिये गंभीर चुनौती बने हैं। उनके राजनीतिक कद एवं कौशल के सामने फिलहाल कोई नहीं टिकता हुआ दिखाई दे रहा है। शेखावत ने राजस्थान के भाजपा कार्यकर्ता और आम जनता के बीच संवाद कायम कर यह दिखा दिया कि परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल भरी क्यों न हो, वे हौंसले को कमजोर नहीं होने देंगे। राजस्थान की भाजपा राजनीति में उन्होंने अपना स्थान भाजपा की शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया हैं। अपनी धून में वे राजस्थान में भाजपा की प्रतिष्ठा एवं प्रतिष्ठापना के लिये प्रयासरत है।

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