कविता

सोनम की शादी पर बोनी के मन के उदगार

सोनम के पवित्र गटबंधन पर
काश!आज तुम जीवित होती
इस घर की खुशियों में अब
अपार चार गुणी वृधि होती

तुम सोनम के हाथ पकड कर
उसके हाथो में मेहँदी रचाती
ऐसी मेहँदी  तुम लगाती
जो कभी छूट नहीं पाती

अनिल,तुम्हे भाभी कह पुकारता
वह तुम्हारे दोनों चरणों को छूता
तुम उसको खूब आशीर्वाद देती
उसको अपने गले से लगा लेती

घर में खुशियों का माहौल होता
जब तुम डांस स्वम खुद करती
उस डांस में खीच कर सबको
अपने तरीके से नाच नचाती

तुम्हारे न होने घर में अब
जाह्न्वी व ख़ुशी उदास है
उनकी उदासी दूर कर देती
जब तुम उनके पास होती

तुम एक अच्छी डांसर थी
तुमको याद किया जा रहा है
चारो तरफ एक सन्नाटा सा
इस माहौल में छाया जा रहा है

नो चूडिया वाला डांस तुम्हारा
वह नागिन वाला डांस तुम्हारा
तुम्हारे उन सब पिक्चरो की
तुम्हारी आज याद दिला रहा

तुम एक सफल अभिनेत्री थी
अब एक ताई का रोल निभाओ
मिले हमारी आत्मा को शांति
इस ख़ुशी के मौके पर चली आओ

घराती छोड़,बाराती सब पूछ रहे है
जो आये दिल्ली आहूजा परिवार से
तुम उनका आकर स्वागत करो
जो तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे है

आर के रस्तोगी