सागर व नदी का वार्तालाप

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भले ही तुम गहरे हो !
मेरा भी रिश्ता तुमसे गहरा है
सदियों से तुम्हारे पास आ रही हूँ
अपना रिश्ता तुमसे निभा रही हूँ
सोचा!कितनी दूर से यहाँ आती हूँ
तुम्हारी,मै प्यास बुझाती हूँ मै
बस तुमसे मिलने आती हूँ मै

मेरा उद्गम झरने से है
तुम्हारा उद्गम मेरे से है
मै ही तुमको जन्म देती हूँ
तुम्हारा लालन-पोषण करती हूँ
तुम्हारे लिए कितनी मेहनत करती हूँ
तुमको कितने अथाह जल से भरती हूँ
तुम्हारी प्यास बुझाती हूँ मै
तुमसे मिलने ही आती हूँ मै

तुम्हारा पानी कितना खारा है
मेरा पानी कितना मीठा है
तुम्हारा पानी नहीं कोई पीता है
मेरा पानी सब कोई पीता है
तुम ठहरे मेरे प्रियतम प्यारे
इसलिए तुम्हारे पास आती हूँ मै
तुम्हारी प्यास बुझाती हूँ मै

मालूम है कौन हूँ मै ?
कहाँ से आती हूँ मै ?
वैसे तो मेरा रूप एक है
हर जगह मेरे नाम अनेक है
मुझे गंगा,यमुना,गोमती कहते
मुझे सरस्वती कावेरी भी कहते
मंदाकनी,भागीरथी भी मेरा नाम है
रावी,चिनाव,झेलम मेरा नाम है
सतलज व्यास भी मेरा नाम है
इन पांचो नदियों को मिलाकर
मै तेरे लिए पंजाब बनाती हूँ मै
बस तुमसे मिलने यहाँ आती हूँ मै

आर के रस्तोगी

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जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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