विविधा

बर्बरता की पराकाष्‍ठा

मृत्‍युंजय दीक्षित

योगगुरू बाबा रामदेव के साथ रामलीला मैदान में अनशन और अनशन के समर्थन में बैठे भारत के एक लाख नागरिकों को वहां से हटाने और बाबा रामदेव का अनशन तुड़वाने के लिए 4 जून, 2011 की मध्य रात्रि में दिल्ली पुलिस ने जिस प्रकार बर्बरतापूर्वक पुलिस कार्यवाही की वह स्वाधीन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में जलियावाला बाग कांड तो है ही। साथ ही अनशन राजनीति के इतिहास का सबसे काला दिन है। इस घटना को किसी भी प्रकार से माफ नहीं किया जा सकता है।

जब योगगुरू बाबा रामदेव ने काले धन व भ्रष्टाचार के मुददे को लेकर 4 जून से आमरण अनशन पर जाने की घोषणा की थी तभी से सरकार के कान खड़े हो गये थे। 4 जून पास आते ही सरकार के मंत्रियों ने बाबा के साथ वार्ताओं के दौर प्रारम्भ कर दिये थे। दो केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और सुबोधकांत सहाय बाबा के साथ लगातार समझौता वार्ता चलाते रहे तथा कई बार ऐसा लगा कि बीच का कोई रास्ता निकल आएगा। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन 4 जून की रात आते-आते पता नहीं क्या हुआ कि दिल्ली पुलिस रामलीला मैदान को खाली कराने पहुंच गयी। उसने अहिंसक व निहत्थे महिला पुरूषों व बच्चों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू कर दिये और पूरा पंडाल खाली करा लिया।इस घटना की खबर पूरे देश में जंगल की आग की तरह फैल गई्र। उक्त घटनाक्रम से जलियावाला बाग की घटना की याद आ गई। देश के उन नेताओं को जिन्होंने आपातकाल का दौर देखा है वे भी कांप उठे। उन्हें आपातकाल की याद आ गई। उक्त घटना से यह सिध्द हो गया है कि भारत अब विश्व का सर्वाधिक लोकतांत्रिक मान्यताओं को मानने वाला देश नहीं रह गया। योगगुरू बाबा रामदेव व उनके समर्थकों के साथ किया गया व्यवहार पूर्ण रूप से अक्षम्य अलोकतांत्रिक शर्मनाक है। ऐसा लग रहा है कि अब इस देश में केवल कांग्रेसाध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी व उनका बेटा राहुल गांधी ही पूरे देश में आ जा सकते हैं।

महाभारत के आधुनिक भीष्म पितामह देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी तथाकथित ईमानदारी की आड़ में भ्रष्टाचारियो व भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण दे रहे हैं। विगत दो वर्षों में शासनकाल में जितने भी घोटाले हुए हैं वे सब के सब मनमोहन सिंह की जानकारी में ही हुए हैं। उक्त घटना से यह साफ हो गया है। 4 जून की घटना से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पूरी तरह से तार-तार हो चुकी है। उनके कुशल नेतृत्व में देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं व मर्यादाओं का हनन हो रहा है। सभी लोकतात्रिक व्यवस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है। अब अगर यह सरकार इसी प्रकार धोखेबाजी के सहारे चलती रही तो देश का संवैधानिक तंत्र और व्यवस्थागत ढांचा भरभरा कर बैठ जाएगा। यह तो देंश का सौभाग्य है कि आज देश का सर्वोच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतें बेहद सतर्क हो गई हैं नहीं तो पता नहीं अब तक कितने पी. वी. थामसों की नियुक्ति यह सरकार कर चुकी होती। बाबा के साथ घटी घटना यह जलियावाला बाग नरसंहार की याद दिला रही है लोकमान्य तिलक के सिर पर पड़ी लाठियों की। यह घटना याद दिला रही है चीन के थियेनमान चौक में घटी उस घटना कि जिसमें निहत्थे लोकतंत्र समर्थकोें पर इसी प्रकार हमला करके आंदोलन को कुचल दिया गया था। एक समय था जब भारत सरकार ने चीन में घटी उक्त घटना का कड़ा प्रतिवाद किया था। क्या अबभारत सरकार ऐसा कर पाने की स्थिति में रह गई है सम्भवतः नहीं। इस घटना से यह भी सिध्द हो गया है कि अन्न हजारे की टीम के साथ लोकपाल बिल को लेकर जो समझौता किया गया है वह भी मात्र छलावा है। यह सरकार पूरी तरह से धोखेबाज और भ्रष्ट है। 4 जून की घटना का पूरे देश की राजनीति पर प्रभाव अवश्य ही पड़ेगा। एक प्रकर से वर्ष 2011 परिवर्तन कारी राजनीति का सूत्रपात बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। इस घटना के चलते सरकार की विभिन्न आंदेलनकारियों के साथ चल रही वार्ताओं के दौर भंग हो चुके है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले सभी लोग अब लगभग एक मंच पर आ चुके हैं।

इस सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को धोखे में लेने की कोशिश की। टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच कर रही ‘लोक लेखा समिति’ के साथ जो कुछ हुआ उसे भी पूरे भारत ने देखा है। बाबा रामदेव के निहत्थे व अहिंसक समर्थकों को बल प्रयोग कर हटाए जाने के बाद दिग्विजय सिंह बयान दे रहे हैं कि बाबा ठग हैं और उन्होंने देश की जनता को ठगा है व सरकार को ठगना चाहते थे। लेकिन वह यह भूल गए कि वे स्वयं कितने बड़े ठग हैं। वे तथा उनकी सरकार तो देश को 63 वर्षों से ठग रही है। सारे बड़े घोटाले कांग्रेस के शासनकाल में हो रहे हैं तथा सी.बी.आई का खुला दुरूपयोग भी आप ही लोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार इतनी बड़ी धोखेबाज है कि आज तक सर्वोच्च न्यायालय से सजा प्राप्त आतंकियों को फांसी नहीं दे पा रही है लेकिन यही निकम्मी सरकार निहत्थे व अहिंसक अनशनकारियों को बिना कारणवश बलपूर्वक हटाने का साहस रखती है। जबकि सरकार को उक्त जनता से किसी भी प्रकार का खतरा नहीं था। उक्त घटना का देश की राजनीति पर यह असर पड़ने वाला है कि पहले सांप्रदायिकता के आधार पर राजनैतिक ध्रुवीकरण हुआ करता था लेकिन वह अब भ्रष्टाचार पर होगा। यह स्थिति कांग्रेस व सहयोगी दलों के लिए बेहद खतरनाक होने जा रही है।

4 जून की रात्रि को आमरण अनशन का जिस प्रकार से एनकाउंटर किया गया उसके चलते कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब हो गयी है। एक प्रकार से कांग्रेस ने आत्महत्या कर ली है। आने वाला समय कांग्रेस के लिए बेहद कठिन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी छवि बनाने के लिए अब और अधिक विशेष प्रयास करने होंगे। 4 जून की घटना देश के राजनैतिक इतिहास की एक बेहद काली घटना बन चुकी है। लेकिन समय बीतने के साथ सारे नेता व सामाजिक कार्यकर्ता एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ महाभियान छेड़ने के लिए उठ खड़े हुए हैं। आजादी के बाद बाबा रामदेव दूसरे लोकमान्य तिलक की भूमिका में दिखाई देने लग गए हैं। अब सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे व उनके समर्थक भी बाबा रामदेव के समर्थन में आ गए हैं। विगत 4 जून को स्वयं बाबा रामदेव को भी इस बात की आशा नहीं थी कि यहां पर एक लाख समर्थकों की भारी भीड़ एकत्र हो जाएगी। अनशन टूटने बाद बाबा रामदेव ने जिस प्रकार से यह बयान दिया है कि उनके जीवन को यदि किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न होता है तो उसके लिए श्रीमती सोनिया गांधी जिम्मेदार होंगी। बेहद गम्भीर व चिंता में डालनें वाला है। आखिर सोनिया गांधी भी हैं तो विदेशी मूल की ही। पूरे घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री मनमोंहन सिंह ने चुप्पी की चादर ओढ़ ली है। जिससे यह साफ हो रहा है कि पूरी घटना को प्रधानमंत्री व सोनिया गांधी के दिशा-निर्देश में संपन्न हुआ है। 4 जून को रामलीला मैदान में घटी घटना से काले अंग्रेजों की पोल खुल चुकी है। भ्रष्टाचार व काले धन के खिलाफ निर्णायक जंग की शुरूआत हो चुकी है। निश्चय ही सरकार की उक्त कार्यवाही बर्बर आश्चर्यजनक व स्तब्ध कर देने वाली थी।

5 जून की प्रातःउठकर जिसने भी टी वी ख़ोला वह स्तब्ध रह गया। उक्त घटना के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेसाध्याक्षा श्रीमती सोनिया गांधी को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए अन्यथा देश की जनता कांग्रेस व उनके सहयोगी दलों को अपने वोट का अधिकार से सत्ता से बेदखल कर देगी। सावधान हो जाइए प्रधानमंत्री जी देश की जनता में अंदर ही अंदर भयंकर जनाक्रोश पनप रहा है। अब न सताएं। इस देश को नहीं तो आपकी सरकार व पार्टी को पीने का पानी भी अंत समय में नसीब नहीं होगा। वर्तमान में तो आंदोलन अहिंसक व गांधीवादी तरीके से चल रहा है लेकिन यह कब हिंसक हो जाए कोई गारंटी नहीं हैं आखिर उकसाया भी तो आप ही ने है।

लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।