धर्म-अध्यात्म यम नियमों का पालन किये बिना भक्ति व उससे लाभ होना असम्भव December 24, 2020 / December 24, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य ईश्वर का बनाया हुआ एक चेतन प्राणी है जिसके पास पांच ज्ञान एवं पांच कर्म इन्द्रियों से युक्त मानव शरीर है। शरीर में मन, बुद्धि, चित्त व अहंकार नाम वाला अन्तःकरण चतुष्टय भी होता है। बुद्धि का कार्य ज्ञान प्राप्ति व उस ज्ञान का उपयोग करने में सहायक होना होता है। बुद्धि […] Read more » It is impossible to gain devotion and benefit from following Yama rules ईश्वर
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का आत्मा ही ईश्वर प्राप्ति व प्रार्थनाओं की पूर्ति का धाम है December 23, 2020 / December 23, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य की अपनी अपनी आवश्यकतायें एवं इच्छायें हुआ करती हैं। वह उनकी पूर्ति के लिये प्रयत्न भी करते हैं। मनुष्य जिस सामाजिक वातावरण में रहता है वहां उसे अपने बड़ों से जो शिक्षा मिलती है उसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति हो जाती है। वह बिना छानबीन व विवेक से उन्हें स्वीकार कर लेता है। […] Read more » ईश्वर प्राप्ति
धर्म-अध्यात्म ईश्वर में आस्था सत्य व ज्ञान से युक्त होने पर ही सार्थक होती है December 22, 2020 / December 22, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम एक बहु प्रचारित विचार को पढ़ रहे थे जिसमें कहा गया है ‘ईश्वर में आस्था है तो मुश्किलों में भी रास्ता है।’ हमें यह विचार अच्छा लगा परन्तु यह अपने आप में पूर्ण न होकर अपूर्ण विचार है। इसको यदि ठीक से समझा नहीं गया तो इससे लाभ के साथ कभी कभी […] Read more »
धर्म-अध्यात्म पृथिवी आदि लोकों का आकाश में भ्रमण का सिद्धान्त वेदों की देन है December 20, 2020 / December 20, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने ईश्वर प्रदत्त ज्ञान चार वेदों की भूमिका स्वरूप जिस ग्रन्थ का निर्माण किया है उसका नाम है ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द जी ने चार वेदों के मन्त्रों के प्रमाणों से अनेक ज्ञान विज्ञ़़ान से युक्त विषयों को प्रस्तुत किया है। सृष्टि विद्या विषय भी इस ग्रन्थ […] Read more » आकाश में भ्रमण का सिद्धान्त
धर्म-अध्यात्म ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक तथा सर्वान्तर्यामी सत्ता है December 18, 2020 / December 18, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, अनादि, नित्य तथा सर्वशक्तिमान सत्ता से बना है। ईश्वर में अनन्त गुण हैं। उन्हीं गुणों में उसका सत्य, चित्त व आनन्द गुण सहित सर्वव्यापक तथा सर्वान्र्यामी होना भी सम्मिलित है। अनादि व नित्य होने से वह काल से परे है। उसका आरम्भ व अन्त नहीं […] Read more » God is a true universal and omnipotent entity ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने वेदोद्धार सहित अन्धविश्वास एवं कुरीतियों को दूर किया था December 17, 2020 / December 17, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य प्रकाश करने की आवश्यकता वहां होती है जहां अन्धकार होता है। जहां प्रकाश होता है वहां दीपक जलाने वा प्रकाश करने की आवश्यकता नहीं होती। हम महाभारत काल के उत्तरकालीन समाज पर दृष्टि डालते हैं तो हम देखते हैं कि हमारा समाज अनेक अज्ञान व अविद्यायुक्त मान्यताओं के प्रचलन से ग्रस्त […] Read more » Rishi Dayanand had overcome superstition and evil practices including Vedodhar. अन्धविश्वास एवं कुरीतियों को दूर
धर्म-अध्यात्म देवयज्ञ अग्निहोत्र करने से मनुष्य पाप से मुक्त व सुखों से युक्त होते हैं December 16, 2020 / December 16, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य चेतन प्राणी है। चेतन होने के कारण इसे सुख व दुख की अनुभूति होती है। सभी मनुष्य सुख चाहते हैं, दुःख प्राप्त करना कोई मनुष्य नहीं चाहता। ऐसा होने पर भी अनेक कारणों से हमें सुख व दुःख दोनों ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य को सुख प्राप्त करने के लिये प्रयत्न व […] Read more » By performing Agnihotra people are free from sin and full of happiness. देवयज्ञ अग्निहोत्र
धर्म-अध्यात्म चतुर्वेद संहिताओं का प्रकाशन एवं इनका अग्रिम ग्राहकों को प्रेषण आरम्भ December 16, 2020 / December 16, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोन सिटी के द्वारा चार वेदों की मूल संहिताओं का चार खण्डों में प्रकाशन होकर इसे ग्राहकों व पाठकों को प्रेषण करना आरम्भ कर दिया गया है। हमने भी वेद संहिताओं का एक पूरा सैट प्रेषित करने के लिये निवेदन किया था। कल की स्पीड पोस्ट डाक से हमें चार […] Read more » Publication of Chaturveda Codes and dispatch of these to customers in advance चतुर्वेद संहिताओं का प्रकाशन
धर्म-अध्यात्म मनुष्य को अपने सभी शुभ व अशुभ कर्मों का फल भोगना पड़ता है December 15, 2020 / December 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हमारा मनुष्य जन्म हमें क्यों मिला है? इसका उत्तर है कि हमने पूर्वजन्म में जो कर्म किये थे, उन कर्मों में जिन कर्मों का भोग हम मृत्यु के आ जाने के कारण नहीं कर सके थे, उन कर्मों का फल भोगने के लिये हमारा यह जन्म, जिसे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म भी […] Read more » Man has to bear the fruits of all his auspicious and inauspicious deeds. कर्मों का फल
धर्म-अध्यात्म वेद के सिद्धान्तों एवं मान्यताओं का प्रचारक प्रमुख ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश December 15, 2020 / December 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यवेद सृष्टि के आदि ग्रन्थ होने सहित ज्ञान व विज्ञान से युक्त पुस्तक हैं। वेद जितना प्राचीन एवं सत्य मान्यताओं से युक्त अन्य कोई ग्रन्थ संसार में नहीं है। वेद से मनुष्य के जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। वेदों के सत्यार्थ को जानकर हम न […] Read more » Principal book Satyarth Prakash propagator of Vedic principles and beliefs वेद के सिद्धान्तों एवं मान्यताओं का प्रचारक प्रमुख ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म वेदों के प्रचार से अविद्या दूर होने सहित विद्या की प्राप्ति होती है December 14, 2020 / December 14, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य अल्पज्ञ प्राणी है। परमात्मा ने सब प्राणियों को स्वभाविक ज्ञान दिया है। मनुष्येतर प्राणियों को अपने माता, पिता या अन्य किसी आचार्य से पढ़ना व सीखना नहीं पड़ता। वह अपने स्वभाविक ज्ञान के सहारे अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं। इसके विपरीत मनुष्य के पास स्वाभाविक ज्ञान इस मात्रा में नहीं […] Read more » The attainment of knowledge including the removal of ignorance from the propagation of Vedas वेदों के प्रचार
धर्म-अध्यात्म हमारा यह संसार इससे पहले अनन्त बार बना व नष्ट हुआ है December 14, 2020 / December 14, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम इस संसार में जन्में हैं व इसमें निवास कर रहे हैं। हमारी आंखें सीमित दूरी तक ही देख पाती हैं। इस कारण हम इस ब्रह्माण्ड को न तो पूरा देख सकते हैं और अपनी अल्पज्ञता के कारण इसको पूरा पूरा जान भी नहीं सकते हैं। सभी मनुष्यों में यह इच्छा होती है […] Read more » This world of ours has been built and destroyed forever before संसार