सेल ! सेल ! पर एक गजल

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सेल लगाकर दुकानदार,ग्राहकों को आकर्षित करते अधिक है
जब ग्राहक दुकान में घुस जाये,उसकी जेब काटते अधिक है

देते है जो डिस्काउंट,चीजो की प्राइस बताते अधिक है 
इस तरह दुकानदार ग्राहकों का,ऊल्लू बनाते अधिक है

लालच करना बुरी बला है,उसमे ग्राहक फसते अधिक है
जो फस जाते है उसमे,बाद में पछताते बहुत अधिक है

सेल लगाकर माल बेचना,फैशन बन गया बहुत अधिक है
फैशन की दुनिया में,कोई गारंटी न देना बहुत अधिक है

कपड़ो की दुनिया में,सेल लगाने का प्रचलन बहुत अधिक है
आज की दुनिया में,रोज रोज फैशन बदलना बहुत अधिक है

रस्तोगी को अब में हर टोपिक पर, लिखना बहुत अधिक है
कम लिखे को ज्यादा समझ ले ये मेरे लिये बहुत अधिक है

आर के रस्तोगी  

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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