मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी! आगरा में बनवाओ एक ऐसा मंदिर ….

कभी खबर आती है कि मुगलों के वंशज इस समय बांग्लादेश में लिखता चला रहे हैं तो कभी अखबारों में फोटो छप जाता है एक तथाकथित मुगल शहजादे प्रिंस तूसी का जो अपने आपको मुगलों का उत्तराधिकारी बताते हैं ।
प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी खुद को मुगलों का वंशज बताते हैं। ताजमहल को अपनी संपत्ति बताकर चर्चा में आए प्रिंस तूसी ने बाबरी मस्जिद पर भी अपना दावा किया था। यद्यपि बाद में उन्होंने बाबरी मस्जिद पर अपना दावा छोड़ दिया था और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए वहां पर राम मंदिर बनाने पर अपनी सहमति दे दी थी ।
आश्चर्य की बात यह है कि यदि प्रिंस तूसी आगरा के ताजमहल की संपत्ति को अपनी निजी संपत्ति बताते हैं तो देश में कोई विवाद नहीं होता ,लेकिन यदि इसी आगरा के ताजमहल के वास्तविक वारिस सवाई राजा जयसिंह के उत्तराधिकारी इस पर अपना दावा करने लगे तो पूरे देश में एक साथ बवाल मच जाएगा। ऐसी सोच हमारे देश में केवल मुस्लिम तुष्टीकरण और अपने इतिहास के साथ सरकारी स्तर पर बरती जाती रही उदासीनता के चलते बनी है। हमारे देश में इतिहास का इस्लामीकरण किया जाना संभव है , परंतु तथ्यों के आधार पर यदि कोई यह कहे कि ताजमहल या ऐसी ही कोई अन्य इमारत किसी मुस्लिम बादशाह के द्वारा न बनवाई जाकर किसी हिंदू शासक द्वारा बनवाई गई है तो यह ‘इतिहास का भगवाकरण’ हो जाएगा । जिस पर अनेकों लोगों को आपत्ति होगी । प्रिंस तूसी का कहना है कि हैदराबाद की कोर्ट ने उनकी डीएनए रिपोर्ट को सही माना है और उन्हें प्रिंस का तमगा दिया है।
प्रिंस ने आगरा के ताजमहल पर अपना अधिकार जताते रहने के साथ-साथ अब एक नया बयान दिया है कि वह आगरा में ही मुगलों का म्यूजियम तैयार करेंगे । ऐसा उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा विगत 14 सितंबर को दिए गए उस बयान के बाद कहा है जिसमें मुख्यमंत्री योगी ने मुगलों के नाम पर बन रहे म्यूजियम को शिवाजी महाराज के नाम करने की घोषणा की थी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब 14 सितंबर को आगरा में सरकारी कार्यों की समीक्षा कर रहे थे तो उनके सामने सपा सरकार के प्रोजेक्ट मुगल म्यूजियम के अधर में लटके होने का मुद्दा उठा था । तब उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं। हम सबके नायक शिवाजी महाराज हैं। उन्होंने मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर रखने की घोषणा कर दी , जिसके बाद से विवाद जारी है।
वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर मुगल म्यूजियम का नाम किए जाने की इस घोषणा में उनका नैतिक साहस छिपा हुआ है। हमारे देश के राजनीतिज्ञों के भीतर राजनीतिक इच्छाशक्ति और नैतिक बल की कमी रही है । जिसके कारण वह हिन्दू इतिहास के साथ की गई छेड़छाड़ को ठीक करने का कभी साहस नहीं कर पाए । हमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस बात के लिए अभिनंदन करना ही चाहिए कि वह डंके की चोट अपनी बात को कहते हैं और हिंदुओं के साथ इतिहास में किए गए अत्याचारों पर खुलकर अपने विचार रखते हैं।
स्वाधीनता के पश्चात देश में वामपंथी और गांधीवादी कॉंग्रेस पंथी इतिहासकारों ने इतिहास के उस गौरवपूर्ण पक्ष को मिटाने का प्रयास किया , जिस पर इस देश का बहुसंख्यक गौरव अनुभव कर सकता था । अब कुछ ऐसे ही वामपंथी और कांग्रेस पंथी इतिहासकार योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिए गए बयान पर अपनी आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं । यह वही लोग हैं जिन्हें तथ्य और सत्य से कुछ लेना देना नहीं है । इन्हें केवल भारत द्वेष की भावना के वशीभूत होकर भारत को मिटाने के षड़यंत्रों में लगे रहने के अतिरिक्त अन्य कुछ सूझता नहीं है ।
ऐसे इतिहासकार अब प्रिंस तूसी के पक्ष में आ गए हैं। इनके समर्थन से उत्साहित और प्रेरित होकर प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी ने कहा है कि हम स्वयं आगरा में एक हजार गज की जमीन पर मुगलों का म्यूजियम बनाएंगे। इन प्रिंस महोदय का कहना है कि संसार में आगरा को केवल उनके पूर्वजों अर्थात मुगलों के द्वारा निर्मित ताजमहल के कारण ही जाना जाता है । बस , इतिहास का यही वह दुर्बल पक्ष है जो अब हमारे लिए एक वास्तविकता बन चुका है । हमारे द्वारा अपने देश के हिन्दू इतिहास के प्रति बरती गई उपेक्षा का ही यह परिणाम है कि लोग खुल्लम-खुल्ला यह कहने में संकोच नहीं करते हैं कि आगरा को मुगलों द्वारा निर्मित ताजमहल के कारण जाना जाता है । यदि यह तथ्य पूर्णतया स्थापित कर दिया जाता कि आगरा का ताजमहल तेजोमहालय मंदिर है, जो कि सवाई राजा जयसिंह के पूर्वजों द्वारा निर्मित रहा है तो आज किसी के द्वारा भी यह सुनने को नहीं मिलता कि आगरा को मुगलों के द्वारा निर्मित ताजमहल के कारण जाना जाता है।
एक झूठ को पढ़ाते – पढ़ाते सत्य के रूप में स्थापित कर दिया गया है जो हमारे लिए जी का जंजाल बन चुका है।
हैदराबाद में रहने वाले प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी ने सीएम योगी के फैसले को गलत बताते हुए यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे बयान देश के सांप्रदायिक परिवेश को दूषित करने के लिए दे रहे हैं। इस फैसले से बस पीएम मोदी का नाम दुनिया भर में खराब हो रहा है। लोग जानते है कि यह फैसला सिर्फ दो समुदायों में आपसी मतभेद फैलाना है। लोग यूएस में, यूके में, खाड़ी देशों में इसी की बात कर रहे हैं। आखिर इससे दूसरे देशों में क्या प्रभाव जा रहा है? यह सोचना चाहिए।
मैं पीएम मोदी को इस बारे में चिट्ठी भी लिखूंगा। मैं उन्हें चिट्ठी में बताऊंगा कि पीएम मोदी की जो इमेज पूरी दुनिया में है, वह ऐसे लोगों की वजह से खराब होती है। मैं भाजपा को सपोर्ट नहीं करता बल्कि मैं पीएम मोदी को सपोर्ट करता हूं। क्योंकि उन्होंने अपने कामों से दुनिया भर में हिंदुस्तान का नाम रोशन किया है।
मुगल शहजादे अपने आपको किस राजनीतिक पार्टी के साथ जोड़ते हैं , किस का समर्थन करते हैं किसका नहीं , यह तो उनका अपना व्यक्तिगत विषय है। पर हम यहां उनसे एक ही बात कहना चाहते हैं कि वे इतिहास को इतिहास के रूप में पढ़ना सीखें। जहां उन्होंने बाबरी मस्जिद के बारे में सही दृष्टिकोण अपनाया था, वहीं उन्हें ताजमहल के बारे में भी सही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और इतिहास के उन छुपे हुए तथ्यों को स्वीकार करना चाहिए जिनके आधार पर ताजमहल एक हिंदू भवन सिद्ध होता है। वह धीरे-धीरे राजनीति की ओर बढ़ते हुए अपने आपको लोगों के बीच चर्चा का विषय बनाने के लिए ऐसे बयान देने के आदी होते जा रहे हैं ,जिससे लोग उनकी ओर आकर्षित हों। इस प्रकार की सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की राजनीति को छोड़कर वह एक ‘बौद्धिक मुस्लिम’ होने का परिचय दें, तो अच्छा रहेगा।
इसके साथ ही हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से भी अनुरोध करते हैं कि वह ताजमहल के बारे इस तथ्य को प्रदेश के विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित कराएं कि यह भवन हिंदुओं द्वारा निर्मित रहा है ना कि किसी मुस्लिम बादशाह के द्वारा अपनी किसी तथाकथित बेगम की याद में बनवाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी की कार्यशैली बहुत ही प्रशंसनीय है। हमने योगी जी को स्वलिखित 6 खण्डों का ‘भारत का 1235 वर्षीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास’ – भेजा था । प्रसन्नता है कि योगी जी अपने एक भाषण के माध्यम से यह तथ्य भी भली प्रकार स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत ने 12 35 वर्ष तक अपना स्वाधीनता संग्राम लड़ा , अब उनसे ही यह अपेक्षा की जाती है कि वह आगरा के ताजमहल के बारे में भी स्थिति स्पष्ट करें। बच्चों को सही तथ्य पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश के गौरवपूर्ण इतिहास को उकेरते हुए एक ऐसे मंदिर भवन का निर्माण आगरा में करवाना चाहिए, जिसमें प्राचीन काल से वर्तमान काल तक के हिंदू वीर वीरांगनाओं, योद्धाओं, क्रांतिकारियों, संत महात्माओं, क्रान्तिकारियों के चित्र हों और उनके द्वारा राष्ट्र निर्माण के किए गए कार्यों का उल्लेख उनके चित्र या मूर्ति के नीचे किया गया हो । जिससे बच्चों को और उस मंदिर को देखने जाने वाले पर्यटकों को प्रदेश के गौरवपूर्ण अतीत और इतिहास का बोध हो सके।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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