सियासत और सेक्स की कॉकटेल-कथा : 3

एक फूल, दो माली…

चण्डीदत्त शुक्ल

एक था गुल और एक थी बुलबुल…ये नग्मा तो बहुत ख़ूबसूरत है पर गुल एक हो और बुलबुल, बल्कि भौरें दो हो जाएं, तो मुश्किल खड़ी हो ही जाती है। अमिता मोदी के भी दो चाहने वाले थे। एक तो उनके हमसफ़र, हमनवां और नेशनल बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी और दूसरे यूपी की सियासत के जाने-माने नाम—संजय सिंह। सैयद मोदी उन दिनों उत्तर प्रदेश के खेल जगत में चमकते हुए सितारे के रूप में पहचाने जाते थे। उन्होंने आठ बार राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। इसी तरह संजय सिंह भी अपनी ऊर्जा व वक्तव्य की नई शैली के चलते नाम कमा रहे थे। कहते हैं, संजय और अमिता की नज़दीकियां गहराईं और यही अंतरंगता सैयद के लिए जान जाने का सबब बन गई।

23 जुलाई 1988 की सुबह सैयद मोदी लखनऊ के केडी बाबू स्टेडियम से देर तक एक्सरसाइज करने के बाद बाहर निकल रहे थे, तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनका मर्डर कर दिया था।

शक की सुई जनमोर्चा नेता और यूपी के पूर्व ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर डॉ. संजय सिंह पर उठी और फिर सीबीआई ने उन्हें आईपीसी की धारा-302 के तहत गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने क़त्ल के दो दिन बाद पुलिस से मामला अपने पास ले लिया था और डॉ. संजय सिंह, सैयद मोदी और अमिता मोदी के बीच प्रेम त्रिकोण की जांच शुरू कर दी थी। सीबीआई को शक़ था कि प्रेम के इस ट्रांइगल की वज़ह से ही सैयद का क़त्ल हुआ है।

दस दिन बाद सीबीआई ने दावा किया कि मामले का खुलासा हो गया है और उसने पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया। इनमें अखिलेश सिंह, अमर बहादुर सिंह, भगवती सिंहवी, जितेंद्र सिंह और बलाई सिंह शामिल थे। अखिलेश पर आरोप था कि उसने हत्यारों को सुपारी दी थी और अमर, भगवती व जितेंद्र गाड़ी लेकर सैयद की हत्या कराने पहुंचे थे। बलाई सिंह को रायबरेली से गिरफ्तार किया गया। सीबीआई ने संजय सिंह और अमिता मोदी के घरों पर छापे मारे और अमिता की डायरी से इस खूनी मोहब्बत के सुराग तलाशने लगी। यही डायरी थी, जिसने बताया—श्रीमती मोदी और संजय सिंह के बीच `क्लोज रिलेशनशिप’ है। संजय सिंह को मामले का प्रमुख साज़िशकर्ता बताया गया। दो दिन बाद अमिता भी गिरफ्तार कर ली गईं। 26 अगस्त को उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। इसके बाद 21 सितंबर को डॉ. संजय सिंह भी लखनऊ की ज़िला और सेशन अदालत के निर्देश के मुताबिक, दस हज़ार के निजी मुचलके पर जमानत हासिल कर जेल से बाहर आ गए।

इसके बाद सैयद मोदी के कत्ल के पीछे की कथा इतिहास के पन्नों में कैद होकर रह गई। आज तक इसका खुलासा नहीं हो सका है कि मोदी का मर्डर किसने किया और किसने कराया? चंद रोज बीते, संजय और अमिता की शादी हो गई। संजय बीजेपी से राज्यसभा के सांसद बने और अमिता अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीतीं। अब दोनों साथ-साथ हैं। चुनाव लड़ते हैं, जीतते हैं। सैयद की आत्मा अब भी इंसाफ़ का इंतज़ार कर रही है। अदालत में ये साबित नहीं हुआ कि संजय का कोई गुनाह है। अमिता भी बरी हो गईं…बस सैयद ज़िंदा नहीं हैं…।

1 COMMENT

  1. मेरे मन में भी ठीक ऐसा ही कुछ्लिखने का मन कर रहा था लेकिन मैं चाहता था की कोई अच्छा मंच मिले तो लिखूं जिस से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ये बात पहुंचा सकूँ . ये लेख पढ़ कर लगा जैसे किसी ने मेरा काम कर दिया हो. साधुवाद .

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