राजनीति

चाबुक पर चाबुक…

कुलदीप सिंह राघव

केंद्र सरकार जनता पर अपना खूब चाबुक चला रही है। बेचारी जनता जब तक पहले चाबुक के जख्म को भर पाती है तब तक दूसरा चाबुक उसी जख्म को हरा कर देता है। पिछले महीनों में लगातार बढी मंहगाई से तो यही लग रहा है कि सरकार जान- बूझकर जनता को बार-बार दर्द दे रही है। अब तो हद ही हो गई। सिलेंडर मंहगे और डीजल मंहगा। अगर अप्रत्यक्ष रूप से देखें तो सारा भार बेचारी जनता की पीठ पर ही पडेगा। दैनिक कार्यों के लिए हम बस का उपयोग करते हैं, तो बस का किराया मंहगा हो ही गया। व्यापारी लोग सामान ट्रांसपोर्ट के द्वारा मंगाते हैं, तो ट्रांसपोर्ट चार्ज बढने से सामान मंहगे होंगे। सब्जियां मंहगी होंगी वो इसलिए क्यों कि खेतों में लगने वाला पानी डीजल इंजन के माध्यम से ही आता है। इस सब के बाद प्रधानमंत्री का बयान तो बेहद निराशाजनक था। प्रधानमंत्री लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को ही हिदायत दे रहे हैं कि मीडिया इस मामले का ज्यादा तूल न दे, देश कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है। अरे पीएम साहब आपका काम क्या है आपको याद नहीं। आपको केवल घोटाले करने का काम नहीं है अल्कि आपका मुख्य काम देश को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकालना ही तो है। मुझे जहां तक याद है 22 मई 2004 को जब जनता ने आपको सत्ता सौंपी थी तब देश पर कोई कठिन परिस्थिति नहीं थी। इसका मतलब आप ही देश की इस स्‍थिति के जिम्मेदार हैं।

पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही जनता के लिए यह बेहद चौंकाने वाली बात है। आम आदमी कैसे इतनी मंहगाई में गुजारा करेगा। एक साल में केवल छह सिंलेंडर। एक सामान्य परिवार कैसे दो महीने तक एक ही सलेंडर से गुजारा करेगा। वैसे तो प्रधानमंत्री जी कभी कुछ बोलते नहीं हैं फिर भी मैं पूछता हूं प्रधानमंत्री से क्या वो दो महीने तक एक सिंलेंडर को चला सकते हैं। क्या सोनिया जी एक सिलेडर में दो महीने काट सकती हैं। सत्ता सुख भोग रहे इन लोगो को क्या पता कि आम आदमी कैसे सब मैनेज करेगा। इन्हें तो बस अपने मजे से मतलब है।

बीते कुछ सालों में घोटालों को जो धारावाहिक चला और अभी वर्तमान में तूल पर कोल आवंटन घोटाला है, लगता है सरकार इन सब से ध्यान हटाने के लिए और चाल चल रही है। सरकार जनता को मूर्ख समझकर स्वच्छ छवि प्रदर्शित करना चाहती है। मुझे लगता है कि सरकार को दूरदृष्टि से यह प्रतीत हो गया है कि दोबारा सत्ता हमारे हाथ में आनी नहीं है इसलिए जनता का जितना खून चूस सको चूस लो। शायद इसीलिए कांग्रेस सरकार दोनों हाथों से देश को कंगाल करने में लगी है। सरकार का जनता के प्रति ये उदासीन रवैया कतई ठीक नहीं है। सरकार ने जनता के हितों का पिंड दान कर जो फैसला लिया है वो बेहद शर्मनाक है। इस प्रकार की सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। एसी सरकार को उखाड फेंकने के लिए जनता तैयार रहे। केवल हमारी और आपकी गलती की वजह से ही हमारा खून चूसा जा रहा है। अब भी समय है दोस्तो जाग जाओ। आप लोगों ने जिस सरकार के हाथ में सत्ता की कमान सौंपी अब वही सरकार आपको गीदड़ भभकी दिखा रही है। वास्तव में अब समय आ गया है इस भभकी का जवाब देने का।

आज जनता जिन दर्द को झेल रही है अब उस दर्द की दवा की जरूरत है। कोई तो आगे आए जो देश को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाले अब चाहे वो गुजरात का शेर ही क्यों न हो। उठो जागो ओर एक मत हो जाओ । सोचो ओर विचारो क्या इसलिए आपने यूपीए को सत्ता सौंपी थी। आज देश की स्थिति पर मुझे यह पंक्तियां सहज ही याद आ जाती हैं-

हो गई पीर पर्वत सी अब पिघलनी चाहिए

 अब हिमालय के गर्भ से कोई गंगा निकलनी चाहिए 

हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं 

मकसद है ये सूरत बदलनी चाहिए 

मेरे दिल में न सही तेरे दिल में सही 

पर एक आग जलनी चाहिए, इक आग जलनी चाहिए !