विविधा

भ्रष्टाचार की जड़ हैं 500 और 1000 के नोट

आज देश भर में अफसरों, नेताओं और उद्योगपतियों के घर पड़ रहे छापों से एक बात साफ उभर कर सामने आ रही है, भ्रष्टाचार की जड़ में कहीं न कहीं हमारे देश की कैश संस्कृति है। जब एक आदमी कैश में पेमेंट करता है, तो वह न सिर्फ देश का नुकसान करता है, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है। चाहे छत्तीसगढ़ के पूर्व कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल की बात हो या मध्यप्रदेश के आईएएस दंपति की। आंध्रप्रदेश विधानसभा के सचिव हो या राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का सचिव। ये सभी इस कैश संस्कृति की एक बानगी भर हैं। इस संस्कृति में इतनी ताकत है पूरे देश की दशा और दिशा को तहस-नहस कर सकती है।

इसके खिलाफ देश में किसी ने आवाज उठाई है, तो वह योग गुरू बाबा रामदेव हैं। उनका मानना है कि 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाएं तो भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। वर्तमान सूचना और तकनीकी के बढ़ते दखल से यह असंभव नहीं लगता। मैं उनके तर्क से पूरी तरह सहमत हूं, इसलिए नहीं कि मैं रामदेव बाबा का अनुयायी हूं, बल्कि इसलिए कि इससे न केवल सरकार को अरबों रूपए टैक्स के रूप में मिलेगा, बल्कि भ्रष्टाचार रूकने से आम आदमी का पैसा आम आदमी के विकास के लिए लग सकेगा। यह सिस्टम न केवल फायदेमंद है, बल्कि आसान और हर आदमी की पहुंच में भी है। यदि आपके मन में कोई शंका है, तो मैं इसे साबित करके बताना चाहता हूं।

सबसे पहले आप जरा अपने आसपास देखें, आज हर छोटे-बड़े शहरों में एटीएम की सुविधा है। गांव में तो वैसे भी रोज-रोज पैसों की जरूरत नहीं होती है। जब से एटीएम आया है, अधिकांश लोगों ने पर्स या घर के लाकर में रूपए रखना बंद कर दिया है। वे जरूरत के मुताबिक एटीएम से पैसे निकालकर खरीदारी कर लेते हैं। अब उसकी जरूरत भी नहीं है। किसी भी दुकान में जाकर खरीदारी करिए, पैसे देने के बजाए बस सामान्य एटीएम कार्ड दीजिए, आपका पैसा दुकानदार के एकाउंट में चला जाएगा। इस सिस्टम से आप 500 रूपए से अधिक की खरीदारी कर सकते हैं। होटल में दोस्तों को पार्टी देना हो या ट्रेन या हवाई जहाज की टिकट, हर जगह केवल एटीएम कार्ड से काम चल सकता है। तो बताइए, कहां पड़ी 500 और 1000 रूपए के नोटों की जरूरत।

नौकरीपेशा लोगों की बात करें तो 90 फीसदी लोगों की सैलरी चैक से आती है। सब्जी-भाजी की खरीदारी वह एटीएम से 50 और 100 रूपए के नोट निकालकर कर सकता है। बड़ी खरीदारी के लिए एटीएम कार्ड से स्वायपिंग करने का फार्मूला तो है ही। जहां तक बिजनेसमैन का सवाल है, वह भी हर पक्का काम चैक से करता है। होल सेलर या बड़े बिजनेसमैन को कैश की जरूरत नहीं पड़ती। जबकि सभी रिटेलर या दुकानदार स्वाइपिंग मशीन लगा लें तो उन्हें ग्राहकों से कैश मिलना बंद हो जाएगा। रही बात प्राइवेट फर्म में कर्मचारियों को सैलरी या किसी छोटे काम के लिए पैमेंट देने की, तो 100 से 50 हजार रूपए तक का पैमेंट बड़े आराम से 100-100 रूपए के नोट से किया जा सकता है।

अब सरकारी कामकाज पर भी एक नजर डाल लेते हैं। नरेगा जैसे सुदूर ग्रामीण अंचल में चलने वाली योजना के लिए भी चैक से पेमेंट होने लगा है। चाहे धान खरीदी हो या पंप खरीदी, हर काम के लिए सरकार ने चैक से पेमेंट देना शुरू कर दिया है। जहां यह सिस्टम नहीं है, वहां सरकार तत्काल लागू कर सकती है। अब आप बताइए, 500 और 1000 के नोट की किसे जरूरत है।

छोटे नोट होंगे तो भ्रष्टाचार से मिलने वाला पैसा भी आसानी से दिखेगा। आज दो-तीन लाख रूपए आसानी अपने जेब में रखकर घुम सकते हैं, जबकि छोटे नोट होने पर यह संभव नहीं होगा। वहीं रिश्वत देना भी काफी कठिन हो जाएगा। आज टेबल के नीचे 1000-1000 के दस नोट देकर सरकारी बाबू को आसानी से शीशे में उतारा जा सकता है, लेकिन यही नोट जब 100-100 के होंगे, तब इसी बाबू को 10 हजार लेना और आपको देना महंगा पड़ जाएगा। अब आप तय करिए कि 500 और 1000 रूपए के नोटों की जरूरत किसे है, आम आदमी को या फिर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नेताओं व चंद गद्दार अफसर और उद्योगपतियों को।

इस सिस्टम से केवल बैंकों को कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन जब करोड़ों फायदें हो तो एक नुकसान उठाने में कोई बुराई नहीं है। बाबा रामदेव ने जनजागरण की शुरूआत कर दी है। अब हमें चाहिए कि इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि जल्द ही भारत भ्रष्टाचार से मुक्त होकर विश्व के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सके।

-दानसिंह देवांगन