महिलाओं के खिलाफ आपराधिक व घिनौनी प्रवृत्तियों पर लगे अंकुश !

सुनील कुमार महला


भारतीय संस्कृति में महिलाओं की भूमिका सदैव से बहुत ही अहम और महत्वपूर्ण रही है। कहना ग़लत नहीं होगा कि महिलाएं परिवार समाज, समाज के बाद देश के विकास में अनेक भूमिकाएं निभाती हैं। वास्तव में ये महिलाएं ही हैं जो हमारे भारतीय समाज की असली रीढ़ हैं और समुदाय के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। भारत में तो महिलाएं सदैव से पूजनीय रहीं हैं। तभी शायद मनुस्मृति के अध्याय तीन में यह संस्कृत श्लोक मिलता है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।’ इसका मतलब है, ‘जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।’ इस श्लोक से यह बखूबी पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बहुत सम्मानजनक स्थान दिया गया है। वैसे भी नवरात्रि आती है तो हम कंजिकाओं का पूजन करते हैं, भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति स्वरूपा माना गया है, लेकिन यह बहुत ही शर्मनाक होने के साथ ही दुखद है कि आज हर रोज महिलाओं को अत्याचारों, अपमान, धमकियों, यौन शोषण और अनेक अन्य हिंसात्मक घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत जैसे देश में जहां की संस्कृति, संस्कारों, महिला सम्मान को वैश्विक स्तर पर एक सकारात्मक व अच्छी दृष्टि से देखा जाता रहा है, वहां महिलाओं के साथ यौन दुराचार के मामले सामने आना  हमारे देश की छवि को धूमिल करने वाला कृत्य ही कहा जा सकता है। सच तो यह है कि आज कुछ बीमार मानसिकता के लोगों ने भारत की छवि को दागदार किया है। वाकई यह बहुत दुखद है कि आज देश में बेटियां अपने को हर जगह असुरक्षित, डर व खौफ के माहौल में महसूस कर रही हैं। पाठकों को याद होगा कि 16 दिसंबर, 2012 को हुए निर्भया कांड को लेकर हर भारतीय उद्वेलित हुआ था।उस समय देश में महिलाओं के प्रति हिंसा, अत्याचारों, यौन अपराधों को रोकने के लिए कानूनों को और कठोर बनाया गया था, फास्ट ट्रैक अदालतों तक की स्थापना की गईं थीं,और समाज व देश में यह उम्मीदें जगीं थीं कि महिलाओं के साथ हिंसा, हैवानियत, अत्याचार , बलात्कार की घटनाएं बंद हो जाएंगी मगर ऐसा नहीं हुआ। तबसे अब तक लगातार बलात्कार और हत्या की घटनाएं बढ़ती गई हैं। हमारे समाज, देश में आज भी असामाजिक तत्वों, दरिदों की अराजकता लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। इसके उदाहरण हमें समय-समय पर अखबारों और मीडिया की सुर्खियों में देखने, पढ़ने को मिलते रहते हैं। वास्तव में आज स्थितियां यहां तक हैं कि देश में महिलाओं पर हिंसा, अत्याचारों, बलात्कार आदि की सूची लगातार लंबी व बड़ी होती चली जा रही है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज राष्ट्रीय राजधानी, बड़े शहरों से लेकर गांवों और कस्बों, आफिस, कहीं पर भी महिलाएं सुरक्षित नजर नहीं आतीं हैं।

कर्नाटक के हंपी में इस्राइली पर्यटक समेत दो महिलाओं के साथ गैंगरेप की घटना का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दिल्ली में एक ब्रिटिश पर्यटक से दुराचार का घृणित मामला सामने आया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस ब्रिटिश युवती की सोशल मीडिया पर एक युवक से दोस्ती हुई थी, जिसके बाद वह उससे मिलने भारत आई थी और दोनों एक होटल में रुके थे, जहां आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती की। यह भी उल्लेखनीय है कि एक अन्य युवक ने भी उसके साथ छेड़छाड़ की हालांकि, पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जानकारी ब्रिटिश हाई कमीशन को भी दे दी गई है। यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि कर्नाटक के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हम्पी में 6 मार्च की रात को तुंगभद्रा नदी के किनारे कैंपिंग कर रहे विदेशी पर्यटकों पर हमला हुआ। तीन अपराधियों ने दो महिलाओं के साथ रेप किया, जिनमें एक इजरायली नागरिक थी‌। जानकारी के अनुसार हमलावरों ने तीन पुरुषों को नदी में धकेल दिया, जिसमें एक ओडिशा के पर्यटक की मौत हो गई। बदमाशों ने न केवल दुष्कर्म किया बल्कि मारपीट व लूटपाट भी की। हालांकि, तीनों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन देश की प्रतिष्ठा को जो आंच आई है, उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं।

यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आज विदेशों में भारत की छवि यौन अपराधियों के चलते लगातार खराब हो रही है। आज हमारे देश में विभिन्न पर्यटक स्थलों पर यौन दुर्व्यवहार की घटनाएं अक्सर मीडिया की सुर्खियों में सुनने को मिलती रहतीं हैं। दिल्ली में ब्रिटिश पर्यटक के साथ हुई बदतमीजी(दुराचार मामले) मामले में ब्रिटिश दूतावास ने संज्ञान लिया है। बहुत संभव है कि विदेशी सरकारें भारत आने वाले पर्यटकों को लेकर कोई नकारात्मक एडवाइजरी जारी करें। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के 51 मामले दर्ज होते हैं; और वर्ष 2022 में 4.4 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले सामने आए।यह 2021 की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है, जिसमें 4,28,278 मामले दर्ज किए गए थे, और 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज किए गए थे।एनसीआरबी के निष्कर्षों से पता चला कि प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर 66.4 है, जबकि ऐसे मामलों में चार्जशीट दर 75.8 है। चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ़ होने वाले ज़्यादातर अपराधों को पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (31.4%) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इसके बाद अपहरण और अपहरण (19.2%), शील भंग करने के इरादे से हमला (18.7%) और बलात्कार (7.1%) का स्थान आता है।

  कहना ग़लत नहीं होगा कि इन दिनों भारत में यौन अपराधों की बाढ़-सी आई हुई है। न केवल विदेशियों बल्कि भारतीय महिलाओं के साथ घृणित यौन अपराधों की तमाम घटनाएं लगातार प्रकाश में आ रही हैं। ये घटनाएं दर्शातीं हैं कि आज भारतीय समाज से नैतिक मूल्यों, संस्कारों का लगातार पतन होता चला जा रहा है। इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने भी कहीं न कहीं महिलाओं के प्रति अपराधों को जन्म दिया है, क्यों कि आज के समय में इंटरनेट और कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री की बाढ़-सी आई हुई है। पाश्चात्य संस्कृति भी ऐसी घटनाओं के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार ठहराई जा सकती है, क्यों कि युवा पीढ़ी आज लगातार भारतीय संस्कृति को भुलाकर पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के रंगों में रंगती चली जा रही है। आज भारतीय समाज भी लगातार एकल परिवारों की ओर अग्रसर हो रहा है, संयुक्त परिवार कम ही बचे हैं। ऐसे में पारिवारिक मूल्यों का लगातार ह्वास हुआ है। हमारी सांस्कृतिक विरासत मूल्यों, आदर्शों की धनी रही है लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के आविर्भाव से आज कहीं न कहीं हमारे नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। बहरहाल, आज हमें इस पर आत्ममंथन करने की महत्ती आवश्यकता है कि आखिरकार यौन अपराधों को लेकर सख्त कानून बनने के बावजूद ऐसी आपराधिक व घिनौनी प्रवृत्तियों पर हम अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहें हैं। जरूरत इस बात की है कि  सरकार, समाज व परिवार इस पर बहुत ही गंभीरता से मंथन करते हुए इसका हल निकाले।

भारतीय जनमानस को भी अब संकल्प लेने की जरूरत है तथा एकजुट होकर ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के खिलाफ खड़ा होना होगा, जो हमारे देश व समाज के लिए कलंक हैं। कानून को और अधिक सख्त बनाना ही होगा। सरकार को  चाहिए कि वह देश के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों, पर्यटन स्थलों पर हर समय सुरक्षा व्यवस्था को कायम, माकूल व मजबूत रखे। ऐसे स्थानों पर सादी वर्दी में महिला पुलिस को तैनात किया जाना आवश्यक है। इतना ही नहीं, दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दी जानी चाहिए। वास्तव में, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।समाज को भी यह चाहिए कि समाज ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की पहचान करें और समय रहते पुलिस व प्रशासन को इस संबंध में सूचित करे। पुलिस, प्रशासन को भी जागरूक होकर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी व निष्ठा से निर्वहन करना होगा। महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की शिक्षा देनी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए हर गांव से लेकर शहर तक जागरूकता शिविर लगाने होंगे, तभी हम अपने देश और समाज में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित कर पायेंगे।

सुनील कुमार महला 

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