कब तक खून चूसेंगे परदेसी और परजीवी

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– आशुतोष

दुनियां की सर्वाधिक लोमहर्षक औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी का मुख्य आरोपी और यूनियन कार्बाइड का निदेशक वारेन एंडरसन घटना के चार दिन बाद भोपाल आया और औपचारिक गिरफ्तारी के बाद 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उसे छोड़ दिया गया।

15 हजार से अधिक लोगों की मौत और लाखों लोगों के जीवन पर स्थायी असर डालने वाले इस आपराधिक कृत्य के आरोपी ऐंडरसन को केन्द्र और राज्य सरकार की सहमति से भोपाल से किसी शाही मेहमान की तरह विदा किया गया। उसके लिये राज्य सरकार के विशेष विमान की व्यवस्था की गयी और जिले का कलक्टर और पुलिस कप्तान उसे विमान तल तक छोड़ने के लिये गये। इस कवायद को अंजाम देने के लिये मुख्यमंत्री कार्यालय भी सक्रिय था और दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय भी।

8 दिसंबर 1984 के सी आई ए के दस्तावेज बताते हैं कि यह सारी प्रक्रिया स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की देख-रेख में चली। निचली अदालत द्वारा दिये गये फैसले में भी केन्द्र सरकार का उल्लेख करते हुए उसे लापरवाही के लिये जिम्मेदार माना है। जानकारी हो कि बिना उपयुक्त सुरक्षा उपायों के कंपनी को अत्यंत विषैली गैस मिथाइल आइसोसायनेट आधारित 5 हजार टन कीटनाशक बनाने का लाइसेंस न केवल जारी किया गया अपितु 1982 में इसका नवीनीकरण भी कर दिया गया।

घटना की प्रथमिकी दर्ज कराते समय गैर इरादतन हत्या (धारा 304) के तहत मामला दर्ज किया गया जिसकी जमानत केवल अदालत से ही मिल सकती थी किन्तु चार दिन बाद ही पुलिस ने मुख्य आरोपी से उपरोक्त धारा हटा ली। शेष बची हल्की धाराओं के तहत पुलिस थाने से ही उसे निजी मुचलके पर इस शर्त के साथ रिहा कर दिया गया कि उसे जब और जहां हाजिर होने का हुक्म दिया जायेगा, वह उसका पालन करेगा। मजे की बात यह है कि जिस मुचलके पर एंडरसन ने हस्ताक्षर किये वह हिन्दी में लिखा गया था।

राज्य में उस समय तैनात रहे जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि सारा मामला मुख्यमंत्री कार्यालय से संचालित हुआ। प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर का अनुमान है कि राजीव गांधी और अर्जुन सिंह के बीच इस मामले में विमर्श हुआ होगा। चर्चा यह भी चल पड़ी है कि एंडरसन ने दिल्ली आ कर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से भी भेंट की थी । इस सबके बीच कांग्रेस प्रवक्ता

का बयान आया है कि – मैं इस मामले में केन्द्र की तत्कालीन सरकार के शामिल होने की बात को खारिज करती हूं।

पूरे प्रकरण से राजीव गांधी का नाम न जुड़ने पाये इसके लिये 10 जनपथ के सिपहसालार सक्रिय हो गये हैं। उनकी चिन्ता भोपाल के गैस पीड़ितों को न्याय मिलने से अधिक इस बात पर है कि राजीव गांधी का नाम जुड़ने से मामले की आंच कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी तक न जा पहुंचे। गनीमत तो यह है कि अर्जुन सिंह ने अभी तक मुंह नहीं खोला है। किन्तु जिस तरह से अर्जुन को बलि का बकरा बना कर राजीव को बचाने के संकेत मिल रहे हैं, अर्जुन सिंह का बयान पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर सकता है।

दिक्कत एक और भी है। क्वात्रोच्चि का मामला भी लग-भग इसी प्रकार से अंजाम दिया गया था। सीबीआई की भूमिका क्वात्रोच्चिके मामले में भी संदिग्ध थी। न तो सीबीआई उसका प्रत्यर्पण करा सकी और न ही विदेश में उसकी गिरफ्तारी के बाद भी उसे भारत ला सकी। बोफोर्स घोटाले में आज तक मुख्य अभियुक्त को न्यायालय से सजा नहीं मिल सकी । किन्तु जनता की अदालत में राजीव अपने-आप को निर्दोष साबित नहीं कर सके। जिस जनता ने उनकी जवानी और मासूमियत पर रीझ कर ऐतिहासिक बहुमत प्रदान किया था उसी ने उन्हें पटखनी देने में भी देर नहीं की।

कांग्रेस के रणनीतिकारों की चिन्ता है कि मामला अगर आगे बढ़ा तो राहुल बाबा का चेहरा संवारने में जो मशक्कत की जा रही है वह पल भर में ढ़ेर हो जायेगी। वे यह भी जानते हैं कि उनकी निपुणता कोटरी में रचे जाने वाले खेल में तो है लेकिन अपनी लोकसभा से चुनाव जीतने के लिये भी उन्हें गांधी खानदान के इस एकमात्र रोशन चिराग की जरूरत पड़ेगी। इसलिये हर आंधी से उसकी हिफाजत उनकी जिम्मेदारी ही नहीं धर्म भी है।

उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस कांड जब हुआ तब राजीव को प्रधानमंत्री बने दो महीने भी नहीं हुए थे। उनकी मंडली में भी वे सभी लोग शामिल थे जो आज सोनिया और राहुल के खास नजदीकी और सलाहकार है। राजीव और सोनिया के रिश्ते या सरोकार अगर क्वात्रोच्चि या एंडरसन के साथ थे, अथवा संदेह का लाभ दें तो कह सकते हैं कि अदृश्य दवाब उन पर काम कर रहा था तो भी, उनके कैबिनेट के वे मंत्री जो इस देश की मिट्टी से जुड़े होने का दावा करते हैं, क्यों कुछ नहीं बोले ?

कारण साफ है। कांग्रेस में नेहरू-गांधी खानदान के इर्द-गिर्द मंडराने वाले राजनेताओं से खानदान के प्रति वफादारी की अपेक्षा है, उनकी सत्यनिष्ठा की नहीं। रीढ़विहीन यह राजनेता उस परजीवी की भांति ही व्यवहार करते हैं जिसका अपने-आप में कोई वजूद नहीं होता। दूसरे के रक्त से अपनी खुराक लेने वाले इन परजीवियों को रक्त चाहिये। यह रक्त राजीव का हो, सोनिया का हो, राहुल का हो या एंडरसन का ।

देश की दृष्टि से देखा जाय तो चाहे परदेसी हो या परजीवी, उसका काम सिर्फ खून चूसना है और अपना काम निकल जाने के बाद उसका पलट कर न देखना नितांत स्वाभाविक है। यही क्वात्रोच्चि ने किया, यही एंडरसन ने। जो क्वत्रोच्चि के हमदर्द थे, वही एंडरसन को भी सहारा दे रहे थे। जिनके चेहरे बेनकाब हो चुके हैं, उनकी चर्चा क्या करना। निर्णय तो यह किया जाना है कि इन परदेसियों और परजीवियों को कब तक देश के साथ छल करने की इजाजत दी जायेगी।

7 COMMENTS

  1. Thanks Ashutosh Ji for raising this issue but we all have not learning from Three idiots’s message which says that we should not remain indulge in following a line and we should think on some different angle.

    Now we are weaping on the tragedy of Bhopal Gas Case but are sleeping on the policy are being fixed for the disaster may be happen in … और देखेंfuture from the nuclear power plant to be established in India under the recent nuclear power agreement with America. They are compelling that our monetary liability should be fixed and we should be released from any criminal liability, if caused in future by any reasons.

    This will be a great great disaster then the Bhopal tragedy, and we will not be in a possition to say anything to any foreign agency involved in this agreement.

    Please see and discuss the criminal liability matter & policy regarding nuclear power plant.

  2. ॥भारतके शासक और अमरिकाके शासक॥ —-दोनोमें आपही अंतर देख लिजिए॥
    आजके वॉशिंग्टन से प्रसृत समाचार का सारांश।
    अमरिकाके राष्ट्रपति ओबामा ने मैक्सिको की खाड़ी में हुए (पेट्रोलियम) तेल के रिसाव के लिए, ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) पर सुरक्षाकी अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा; कि वे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक बीपी नुकसान की पूर्ति नहीं कर देती।(हम २५ वर्ष सोए) आगे ओबामाने कहा, कि, वे, बुधवार को, बीपी के चेयरमैन से मिलने जा रहे हैं, और आगे बोले, कि उनसे कहेंगे, कि बी पी मेक्सिको की खाड़ी के तट्वासी और वहां काम करने वालों को हुए नुकसान की पूर्ति के लिए एक फंड बनाए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस फंड पर किसी तीसरे पक्ष का नियंत्रण हो, जो स्वतंत्र हो।
    ओबामा ने यह बात अपने ओवल मुख्यालयसे से दिए अपने पहले राष्ट्र के नाम, संबोधन में कही।
    ओबामा ने करीब दो महीने से चल रहे इस तेल रिसाव को अमेरिकी इतिहास में “सबसे बड़ी पर्यावरणीय त्रासदी” बताया। उन्होंने समुद्र में बह रहे लाखों गैलन तेल को ऐसी आपदा बताया जिसकी हानि अमेरिकी जनता कई महीनों ही नहीं पर कई वर्षॊं तक झेलनी पडेगी।
    ————————————————-
    टिप्पणी: भोपाल पीडितोंके लिए हमारा शासन २५ वर्षॊसे सोता रहा, इस तथ्यको, अमरिकाके राष्ट्रपतिने दिए हुए भाषण से तोलिए। हमारी जनता बुद्धु ना बने, हम सज्जन भले हो, मूरख नहीं।

  3. पटना में भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारणी मीटिंग में भोपाल गैस कांड के मुख्य रूप से जिम्मेदार व्यक्ति को कांग्रेस के तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह द्वारा देश के बाहर जाने से रोक पाने में असफल और लगभग १५००० लोगों की मौत,हज्जारों लोगों की अपंगता ,गर्भस्त स्त्रियों की कोख उजड़ने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के सन्दर्भ में गंभीर चिंतन प्रस्ताव पारित करा कर सिद्ध कर दिया है,की भाजपा केवल वोटों की राजनीत नहीं बल्कि देश के आम आदमी के लिए सोचती है ,समय समय पर सार्थक आन्दोलन ,प्रदर्शन कर जनता के बीच जाकर समस्याओं के निदान के बारे में भी निर्णय लेने की ताकत रखती है ,यूनियन कार्बाईट एक हत्यारी कंपनी है जिसे आज तक सजा दिलाने में कांग्रेस की सरकार असफल रही,विश्व के इतिहास में इस त्रासदी को गंभीरतम त्रासदी के रूप में दुनिया याद रखेगी ,इसके लिए लापरवाह -जिम्मेदार को फाँसी की सजा अब तक हो जानी चाहिए ..ताकि मौत के सौदागरों को भी हमेशा हमेशा के लिए मिटा कर उदाहरण स्थापित किया जा सके -VIJAY SONI ADVOCATE-DURG-CHHATISGARH.

  4. भोपाल त्रासदि के न्याय की खोज अमरिका पहुंची।
    समाचार सार १५ जून-
    भोपाल विषाक्त वायु त्रासदिके, न्यायकी खोज अब अमरिकाके तटपर पहुंची है।(अचरज है कि) भारतीय (शासन नहीं) पर भारतीय अमरिकन, न्याय याचनाके लिए निदर्शन , न्यूयोर्क और वॉशिंग्टन में कर रहे हैं।
    अमरिकाकी राजधानी वॉशिंग्टनमें, भोपाल त्रासदिके निदर्शकोने, अपना विरोध प्रदर्शन, भारतीय दूतावासके सामने किया था। घोषणा फलक से सज्ज निदर्शक टोली, डॉव केमिकल और युनियन कार्बाइड के विरोधमें घोषणाए करती थी।
    १२ वर्षीय आकाश विश्वनाथ मेहता ने भूतपूर्व युनियन कार्बाइड के प्रमुख, वॉरन एंडर्सन के लिए, कंपनीके अधिवक्ता(Law firm) मुख्यालयसे समन निकलवानेका प्रयास किया।
    अपने १५ वर्षीय भाई गौतम मेहताके साथ पार्क एवॅन्यु के बहु मंज़िला (Sky Scraper) नभस्पर्शी मकान के सामने खडे होकर, मेहताने कहा, “आज हम वॉरन एंडरसन से प्रार्थना करते हैं, और उसे भारतीय न्यायालयमें उपस्थित होनेके लिए समन करते हैं, जहां वह मानव हत्त्याकांड का दोषारोपित है।एक ज्ञापन पत्र भी “भोपाल में न्याय याची अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन” –“International Campaign for Justice in Bhopal,” (I C J B)– की ओरसे भारतके प्रधान मंत्री के नाम भारतीय दूतावासको समर्पित किया गया।
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    टिप्पणी: अचरज है, कि एंडर्सन के प्रत्यर्पण के लिए याचना, जो वास्तवमें भारतके शासन ने अमरिकन शासनसे करनी चाहिए थी,वह तो की गयी नहीं।उससे उलट,– एक-“भारतीय अमरिकन”–भारतके– दूतावास– को –प्रधान मंत्री– मन मोहन सिंह के– लिए ज्ञापन देकर —
    कर– रहा– है।यदि भारतीय शासन भारतीयोंके हितमें काम नहीं करेगा, तो कौन करेगा? इसे ही उलटी गंगा, शायद कहा जाएगा, जो गंगा सागर से हिमालयमें गंगोत्री में जाकर मिलेगी? Truth is Stranger than fiction, इसेही कहते हैं।

  5. ye to sahi hain ki yah ghatna arjun singh ke samai hui he aur puri tarh unke aur rajivgandhi ke apradhik karyvahi se andarsn ko bhga diya gaya.
    ab chunki ye ghtna atal ji ke samai hui nahi to NDA ko bhi amerka ki hajri bajana jaruri tha to unhone is kand ke mukhya abhukt mahendra ko pdamshri se nawaj diya,laga ki kahi congress amreca se apni najdiki na badha le,
    bhai sahab sarkar UPA ki ho ya NDA ki amreca ke samne dono hajri hi bajate hain.

  6. अटकल :दोष किसके माथे मढा जाएगा?
    उत्तर: जो (१) नेहरू-गांधी परिवारसे संबध रखता ना हो। (२) यदि ऐसा नहीं हो सके, तो जिसका बडा दूरका संबंध हो। (३) और जो पहलेसे ही स्वर्गवासी (?) हो चुका हो। (४) या, तो फिर जिसके नाम के साथ दूरी बनाना प्रारंभ हो चुका हो।(कौन है?) (५) अंतमें नेहरू-गांधी परिवारके हर सदस्यको क्लीन-चीट दे दी जाएगी।—यह सारा नहीं बन सकता, तो, और एकाध समिति रची जाएगी, जिसकी अवधियां बढाते बढाते सारे संभाव्य अपराधी मर जानेके बाद उसका निर्णय आएगा, और कतिपय मृत व्यक्तियोंके माथे वह अपराध मढा जाएगा। हां- यह टिप्पणी समझनेके लिए आपको इकॉनोमिक्स की Ph. D. होनी चाहिए। जब हमारा मिडीया “अकर्मण्येवाधिकारऽस्ते, और सर्व फलेषु सदाचन” (कोई गलत उद्धरण नहीं है) में विश्वास करता है,और जनता अपने पैरोंपर हर चुनावमें कुल्हाडी मारती है, तो साक्षात अवतार भी हमें कैसे बचाएं?
    हां, यदि यह N D A के शासन काल के बाद की घटना होती तो “अटलजी” के नाम के साथ जोड दी जाती।

  7. कब तक खून चूसेंगे परदेसी और परजीवी जवाब आसान है “जब तक अपने देश के ताक़तवर लोगों को देश से अधिक माया प्रेम रहेगा”

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