समाज

दधीचि देहदान समिति के माध्‍यम से मृत देह भी अमर हो रही है

-अरुण कुमार सिंह

क्या आप अपनी मृत्यु के बाद भी अपनी आंखों से इस दुनिया को देखना चाहते हैं? क्या आप यह चाहते हैं कि मृत्यु के बाद भी आपका हृदय किसी दूसरे के शरीर को धड़काए? क्या आपकी यह इच्छा है कि देहावसान के पश्चात् आपकी कोई हड्डी किसी के काम आए? यदि हां, तो आप दधीचि देहदान समिति से सम्पर्क कर सकते हैं। यह समिति आपकी उपरोक्त सभी इच्छाएं पूरी कर सकती है। बस आपको केवल इतना करना है कि समिति जो जानकारी आपसे मांगे उसे उसके पफार्म में भरकर दे दें और थोड़ी-सी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर दें। फार्म मंगाने के लिए आप एस.एम.एस. भी कर सकते हैं। अपने मोबाइल सेट पर डीडीडीएस लिखकर अपना नाम व पता लिखें और 9810127735 पर भेज दें। इसके बाद का काम दधीचि देहदान समिति का है।

इसके संस्थापक अध्‍यक्ष हैं वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व विधायक श्री आलोक कुमार। श्री कुमार ने बताया कि इस समिति का मुख्य कार्य है लोगों को देहदान एवं अंगदान के लिए प्रेरित करना। 1997 में समिति की स्थापना के बाद से ही इसके कार्यकर्ता निरन्तर लोगों को समझा रहे हैं कि यह शरीर नश्वर है। मृत्यु के बाद देह मिट्टी हो जाती है। पर अब विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ यह मृत देह भी अमर हो सकती है। मरने के पश्चात् भी आंखें देख सकती हैं, कान सुन सकते हैं और दिल धड़कता रह सकता है। निष्प्राण-जीर्ण शरीर, शिक्षा और विज्ञान की अमूल्य सेवा कर सकता है। कार्यकर्ताओं की ये बातें लोगों पर जबरदस्त प्रभाव छोड़ रही हैं और लोग सहर्ष मृत्योपरान्त अंगदान/देहदान के लिए तैयार हो रहे हैं। यही कारण है कि अब तक 1500 लोगों ने देहदान का संकल्प-पत्रा भरा है। इनमें से 49 लोगों की मृत्यु के उपरान्त देहदान भी की जा चुकी है। 49वां देहदानी बनने का गौरव प्रसिद्ध समाजसेवी स्व. नानाजी देशमुख को 28 पफरवरी, 2010 को उस समय मिला जब उनकी मृत देह नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को सौंपी गई।

समिति के माध्‍यम से 300 लोगों को आंखें दान की जा चुकी हैं। 2 लोगों ने अपनी हड्डियां भी दान की हैं।

अंगदान/देहदान के लिए एक फार्म भरना पड़ता है और एक निकट संबंधी की गवाही देनी पड़ती है। निकट संबंधी में माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या वयस्क बच्चों में से कोई एक हो सकता है। पफार्म भरने के बाद समिति के उत्सव में गवाह के साथ आना पड़ता है। वहीं वसीयत लिखाई जाती है, आवश्यक कागजातों पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं। इसके बाद समिति देहदान या अंगदान का संकल्प पत्र भरने वालों को परिचय-पत्र देती है। ऐसे लोग इस परिचय-पत्र को अपने साथ 24 घंटे रखते हैं, ताकि कोई ऐसी घटना घटने पर तुरन्त संबंध्ति लोगों को सूचित किया जा सके। किसी देहदानी या अंगदानी की मृत्यु राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा में होने पर उनके संबंधियों को समिति की हेल्प-लाइन (9899598598, 9810127735 एवं 9811106331) पर केवल एक फोन करना होता है। इसके बाद देहदान / अंगदान कराने की पूरी जिम्मेदारी दधीचि देहदान समिति की होती है। समिति देहदान या अंगदान किसी सरकारी अस्पताल को ही करती है।

देहदान

मृत्यु के पश्चात् शरीर को मेडिकल कॉलेज को देना ही देहदान है। मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को सीखने के लिए एक मृत शरीर (कैडेवर) की आवश्यकता होती है। बिना कैडेवर के मेडिकल की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकती। 4 छात्रों के अध्‍ययन की आवश्यकता एक कैडेवर पूरी कर सकता है, लेकिन इनके अभाव में मेडिकल कालेजों में 30-35 छात्रा एक ही कैडेवर पर अध्‍ययन करने को मजबूर हैं। इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव उन छात्रों की योग्यता पर पड़ता है।

इसके अतिरिक्त सर्जन, अनुसंधान व नई तकनीक के विकास के लिए भी कैडेवर पर निरंतर प्रयोग करते रहते हैं। इस तरह देहदान न केवल मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए वरन् नई तकनीक की खोज के लिए भी आवश्यक हो जाता है।

आप देहदान का संकल्प करके मानव कल्याण के लिए अपना जीवन सार्थक कर सकते हैं।

अंगदान

मृत्यु के पश्चात् अपने शरीर के ऐसे अंगों का दान, जो किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किए जा सकें, ही अंगदान है।

आज विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि हृदय, लिवर, गुर्दे, पैनक्रियास, आंखें, पफेपफड़े आदि अंग किसी अन्य व्यक्ति में प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं।

आज हजारों रोगी अंगों के अभाव में मृत्यु की राह देख रहे हैं तथा उनके परिवारजन इस पीड़ा को अनुभव कर रहे हैं। यह अभाव हमारे समाज की संकीर्ण दृष्टि की वजह से है।

अंगदान मस्तिष्क- मृत्यु (Brain Stem Dealth) होने पर ही किया जा सकता है। इस प्रकार की मृत्यु में मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है परन्तु अन्य अंग कुछ समय तक काम करते रहते हैं। डॉक्टर द्वारा प्रमाणित मृत्यु के पश्चात् ही उन अंगों को निकाला जाता है।

आंखें किसी भी प्रकार की मृत्यु के पश्चात् दान की जा सकती हैं। मृत्यु के बाद देहदान-अंगदान का संकल्प करके जरूरतमंद लोगों को दृष्टि, जीवन प्रदान कर व योग्य चिकित्सकों के निर्माण में सहयोग देकर आप महादानी बनें, यही दधीचि देह दान समिति का निवेदन है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

दधीचि देहदान समिति

डब्ल्यू-99 (एलजीएफ) ग्रेटर कैलास-1,

नई दिल्ली-110048, फोन : 98101-27735