ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे 

एलजाईमर की जद में आला नेता

कहते हैं ढलती आयु के साथ ही मस्तिष्क को शरीर के अंदर से उतपन्न पोषक तत्व मिलने कम हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार यही कारण है कि ब्रेन सिकुडने लगता है और याददाश्त तेजी से घटने लगती है। इस बीमारी को एलजाईमर कहा जाता है। देश की दिशा और दशा निर्धारित करने वाले जनसेवकों की उम्र भी कुछ कम नहीं है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुंबई में आतंक बरपाने वाले ठाकरे बंधुओं को बिहार मूल का बता दिया, 2009 में दिग्गी राजा ने उन्हें एमपी के बालाघाट का निरूपित किया था। कुछ दिनों पहले राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी सदन में अपने वक्तव्य में यह भूल ही गए कि वे यूपीए एक के बारे में बोल रहे हैं या यूपीए दो के बारे में। इसी तरह पिछले दिनों ईद पर राम विलास पासवान ने एक पत्रकार को फोन लगाया और उन्हें होली की शुभकामनाएं दे मारी। जब उस पत्रकार ने आश्चर्य व्यक्त कर पूछा -‘‘होली की?‘‘ पासवान बोले -‘हां, भई होली की, आओ कुछ गुझिया गुलाल हो जाए।‘‘ जब उक्त पत्रकार ने कहा कि आज ईद है तब झेंपते हुए पासवान ने अपनी गल्ति स्वीकारी और ईद की बधाई दी। कुछ इसी तरह का नजारा समाजवादी पार्टी के क्षत्रप नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के साथ अक्सर ही दिखाई दे जाता है।

बिन सोनिया सब सून!

सवा सौ साल पुरानी और इस देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस के पास कोई करिश्माई नेता का ना होना आश्चर्य की ही बात है। नेहरू गांधी परिवार को महिमा मण्डित कर सत्ता की मलाई चखने वाले कांग्रेसी नेहरू गांधी परिवार के काडर के अलावा दूसरा कोई नेता पैदा ही नहीं कर पाए। वर्तमान में सोनिया गांधी के पास लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस की बागडोर है। उनके पुत्र राहुल अपने संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सूबे में ही असफल साबित हुए हैं। सोनिया इन दिनों अपनी रहस्यमय बीमारी के चेकअप के लिए एक सप्ताह के लिए दुनिया के चौधरी अमरीका की शरण में हैं। सरकार विशेषकर कांग्रेस के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह पर कोल गेट का अब तक का सबसे बड़ा संकट होने के बाद भी सोनिया अचानक ही विदेश चली गईं हैं। इसका मतलब साफ है कि वे गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। कांग्रेसी सोनिया के जल्द स्वस्थ्य होने की कामना कर रहे हैं, क्योंकि सोनिया ही हैं जो कांग्रेस को एक सूत्र में पिरोए हैं वरना तो कांग्रेस का एक एक मनका माला में से टूटकर कब का बिखर गया होता।

मतलब फोन टेपिंग में शामिल थे प्रणव!

देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के वित्त मंत्री रहते हुए अनेक आला अधिकारियों के फोन टेप हुए हैं! जी हां, वित्त मंत्रालय के सूत्रों का यही कहना है। सूत्रों की मानें तो जैसे ही पलनिअप्पम चिदम्बरम गृह से अपने पुराने वित्त मंत्रालय पहुंचे तो उन्हें यह जानकर बेहद आश्चर्य हुआ कि प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल में प्रणव के एक विश्वस्त की शह पर साढ़े तीन दर्जन से ज्यादा लोगों के फोन टेप हो रहे थे। कहते हैं चिदम्बरम के आश्चर्य का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा जब उनके संज्ञान में यह बात लाई गई कि ईडी और मंत्रालय के एक विशेष निदेशक का फोन भी टेप हो रहा था। कहते हैं कि प्रणव मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए इस तरह का आदेश दिया था। अब प्रणव ने यह आदेश किस प्रकाश में दिया यह तो प्रणव मुखर्जी ही बेहतर जानते होंगे किन्तु पलनिअप्पम चिदम्बरम ने आते ही उस विवादस्पद आदेश को तत्काल रद्द किया तब कहीं जाकर फोन टेपिंग रूक सकी है।

चाको दीक्षित की आमद रास नहीं आ रही मीडिया प्रभाग को

कांग्रेस के मीडिया प्रभाग में संदीप दीक्षित और पी.सी.चाको की नियुक्ति अन्य नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहा रही है। दरअसल, इन दोनों की नियुक्ति कोल गेट मामले को लेकर हुई है। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित के सांसद सुपुत्र संदीप दीक्षित की अगुआई में संजय निरूपम, दीपेन्द्र हुड्डा, जयोति मिर्घा, अनु टंडन आदि ने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी से भेंट कर उनसे पार्टी प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी की शिकायत की थी कि सरकार का पक्ष मजबूत होने के बाद भी कांग्रेस प्रवक्ताओं द्वारा बचाव सही तरीके से नहीं किया गया। मुलाकात के तत्काल बाद ही दीक्षित और चाको को बना दिया गया प्रवक्ता। अब कांग्रेस के मीडिया प्रभाग में लोग यह पूछते फिर रहे हैं कि पहले तीन थे अब पांच हो गए हैं प्रवक्ता, इनमें से शिकायत के आधार पर नए बने दोनों प्रवक्ता अपने आप को साबित करें कि आखिर कैसे रखा जाए सरकार का पक्ष!

नक्सलवादियों के मार्ग प्रशस्त करते नेता

जहां विकास की किरण नहीं पड़ी है वहां नक्सलवादियों ने अपने पैर जमा लिए हैं। नक्सलवाद की जड़ें इतनी गहरी होती हैं कि उनसे निपटते निपटते सुरक्षा बल के जवानों की सांसे उखड़ने लगती हैं। ब्रितानी हुकूमत के दौरान आए अंग्रेज पत्रकार रूडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक के हीरो मोगली की कथित कर्मभूमि एमपी और महाराष्ट्र की सीमा से लगे पेंच पार्क में है। इस पार्क के मुहाने से जाने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के उत्तर दक्षिण गलियारे का काम 2008 से बंद कर दिया गया है। यह सड़क पूरी तरह जर्जर है। इस पर आवागमन थम सा गया है। यहीं से कुछ किलोमीटर पर बालाघाट जिला है जहां नक्सली वारदातें होती रहती हैं। चूंकि सड़क से यहां का संपर्क लगभग टूट चुका है इन परिस्थितियों में नक्सलवादियों के लिए यह जगह शरण स्थली के बतौर मुफीद हो चुकी है। कांग्रेस भाजपा के साथ ही साथ स्वयंसेवी संगठन अपनी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंककर इस सड़क को चार साल से रोके हुए हैं, पर सरकार भूल जाती है कि अगर यहां के घने जंगलों में अगर नक्सलवादियों ने अपना आशियाना बना लिया तो इस नई मुसीबत से निपटना काफी मुश्किल ही होगा।

चिदम्बरम के यस मेन हैं सीएजी!

वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए ही हुई थी विनोद राय की भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) पद पर नियुक्ति। कैग ने मनमोहन सरकार पर मुश्किलों के पहाड़ खड़े कर दिए हैं। इस पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ मनमोहन सिंह ही आहत नजर आ रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि दरअसल, मनमोहन सिंह की रूखसती और राहुल गांधी की ताजपोशी के बीच एक नेता को देश की बागडोर सौंपी जाने की स्थिति निर्मित हो रही है। मनमोहन सिंह का सक्सेसर कौन होगा इस बारे में कुहासा अभी हट नहीं सका है। उधर, पीएम के सबसे प्रबल दावेदार प्रणव मुखर्जी के रायसीना हिल्स जाने के उपरांत अब वे इस दौड़ से बाहर हो चुके हैं। इसके साथ ही साथ टूजी मामले में देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा क्लीन चिट देने के बाद वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम इसके प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि चिदम्बरम की ही शह पर राय ने पीएम के साथ शह और मात का खेल आरंभ किया है।

एमपी के एक क्षत्रप से खफा हैं युवराज

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता से कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी बुरी तरह खफा नजर आ रहे हैं। जब भी उक्त नेता का नाम आता है तो राहुल गांधी का मुंह कसैला ही हो जाता है। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल को बताया गया कि उनकी ताजपोशी में उक्त नेता ने भी काफी फच्चर फंसाए हैं। उक्त नेता ने यहां तक कह डाला कि हमने राजीव जी के साथ काम किया है, अब कल के छोकरे के सामने जाकर उसे सलाम करना हमें गवारा नहीं। राहुल गांधी सितम्बर माह में ही मध्य प्रदेश के दौरे पर आने वाले हैं। वे नर्मदा नदी के किनारे बसे एक जिले में तशरीफ लाएंगे। जहां वे जाने वाले हैं वहां उक्त नेता का जबर्दस्त प्रभाव है। उनके प्रोग्राम के तय होने के दौरान ही जैसे ही राहुल के सामने उक्त नेता का नाम आया, राहुल का चेहरा देख एसा लगा मानो राहुल के मुंह में कुनैन की कड़वी गोली फूट गई हो। छूटते ही राहुल गांधी ने निर्देश दिए कि चाहे जो हो जाए उक्त नेता को मंच पर स्थान नहीं दिया जाए।

10 तक अवकाश पर है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गड़करी एक पखवाड़े के लिए अवकाश पर चले गए हैं। गड़करी परिवार के साथ विदेश यात्रा पर हैं। सियासी भागमभेड़ के आज़िज आने के बाद गड़करी ने अपने परिवार के लिए पंद्रह दिन का समय निकाला और व्यक्तिगत यात्रा पर इन दिनों वे कनाड़ा पहुंच गए हैं। बताया जाता है कि गडकरी इस ट्रिप कनाडा का रोडमेप दरअसल, गडकरी के भतीजे ने बनाया है जो कनाडा में ही रहते हैं। गडकरी इस यात्रा के दौरान लेक लुईस जाएंगे जहां वे महर्षि महेश योगी के बेहद सुंदर और बहुचर्चित आश्रम देखेंगे। इसके साथ ही साथ गड़करी वैंकूवर, केलीगिरी ओर टोरंटो में भी अनेक स्थानों पर पर्यटन स्थलों का भ्रमण करेंगे। गडकरी की भारत वापसी 10 सितम्बर को संभावित बताई जा रही है। अध्यक्ष बनने के उपरांत गड़करी ने संभवतः पहली बार ही एक पखवाड़े तक अपने परिवार के साथ विदेश में अवकाश का आनंद लिया है। उनके जाते ही भाजपा भी अवकाश पर ही चली गई प्रतीत हो रही है।

साई बाबा को ही टिका दिया घटिया घी!

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में महारत्न कंपनी द्वारा निर्मित घी से बनने वाले शिरडी के फकीर साई बाबा के प्रसाद के लाडू का स्वाद खराब होने के चलते साढ़े लाख से ज्यादा लड्डुओं को जमींदोज कर दिया गया। कहते हैं लोगों की मन्नत साई पल भर में पूरी कर देते हैं। यही कारण है कि साई के दर पर आने वालों की तादाद में तेजी से इजाफा हुआ है। अब तो शिरडी तक रेल की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है। कहा तो यहां तक भी जाता है कि भारत के सबसे अमीर भगवान तिरूमला के तिरूपति बालाजी, त्रिकुटा के पर्वत पर विराजी माता वेष्णो देवी और महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी के साई के पास जाकर लोग जो मांगते हैं उसके पूरा होने पर अपनी स्वेच्छा से उन्हें सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहते हैं। यही कारण है कि इन तीनों स्थानों में धन संपदा का अंबार लगा हुआ है। इन परिस्थितियों में एमपी की महारत्न कंपनी ने थोडे से मुनाफे की चाहत में बाबा के संस्थान को ही घटिया घी टिका दिया।

किसके संपर्क में जनसंपर्क

मध्य प्रदेश का जनसंपर्क विभाग पिछले कुछ माहों से चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कभी यह विदेश में एमपी गर्वर्मेंट को मिलने वाले सम्मान की खबर जारी करना भूल जाता है तो कभी स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के सम्मान में उनके नाम। अब तो जनसंपर्क महकमे द्वारा चुनिंदा मंत्रियों की पब्लिसिटी का काम ही कर रहा है। हद तो उस वक्त हो गई जब शिवराज सरकार के जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा दिल्ली में पत्रकारों से रूबरू थे और मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने इस बारे में अपनी वेब साईट पर कोई खबर ही नहीं डाली। अलबत्ता उस दिन दो मंत्रियों के दौरा प्रोग्राम की खबरें जरूर डाली गईं थी। मीडिया में चर्चा चल पड़ी है कि आखिर किसके संपर्क में आ चुका है जनसंपर्क। कहते हैं कि संघ ने जनसंपर्क पर अपनी पैठ मजबूत कर ली है, यही कारण है कि अब विज्ञापनों की चाबुक से मीडिया को हांका जा रहा है।

10 को मंत्रीमण्डल विस्तार

दिल्ली की सियासी फिजां में यह बात तेजी से उभरकर सामने आ रही है कि अगले सोमवार 10 सितम्बर को मनमोहन सिंह अपनी ताश के पत्ते फेंट सकते हैं। इस फेरबदल में राहुल गांधी की अगर चली तो कुछ मंत्रियों के पर तबियत से कुतरे जाने की संभावना है। पीएमओ के सूत्रों ने बताया कि रिलायंस से पेट्रोलियम पदार्थों के मामले में नाराजगी मोल लेना जयपाल रेड्डी को बेहद भारी पड़ने वाला है। रेड्डी का मंत्रालय बदला जा सकता है। उन्हें गुलाम नबी आजाद के स्थान पर देश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा सकता है। उधर, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को पेट्रोलियम मंत्रालय अथवा शिंदे के गृह मंत्री बनने से रिक्त उर्जा मंत्रालय का प्रभार का अतिरिक्त भार वायलर रवि से वापस लेकर आजाद को इसकी जवाबदारी सौंप दी जाए। विलास राव देशमुख के निधन से भारी उद्योग मंत्रालय तो दयानिधि मारन के कारण कपड़ा मंत्रालय रिक्त है। जिस पर डीएमके की नजर है। एमपी के एक वरिष्ठ सांसद को भी लाल बत्ती से नवाजने की खबर है।

पुच्छल तारा

क्या देश का मीडिया बिकाउ है? इस पर जब तब बहस होती रहती है। कभी पेड न्यूज के रूप में कभी किसी और रूप में। अब तो मीडिया के विज्ञापनों के बिल भी सांसद विधायकों द्वारा फर्जी नामों से अपनी निधि से दिए जाने की खबरें आने लगी हैं। मीडिया की गिरती साख पर भोपाल से यतीश बड़ोनिया ने एक ईमेल भेजा है। सतीश लिखते हैं -‘‘भारतीय मीडिया के दलालों का वैश्विक स्तर पर सम्मान करना चाहिए, क्योंकि

1. भारतीय मीडिया स्वर्ग की सीढ़ी खोज लेती है।

2. भारतीय मीडिया हिम मानव खोज लेती है।

3. भारतीय मीडिया दुनिया की आखिरी तारीख खोज लेती है।

4. भारतीय मीडिया हरकुछ हरकुछ खोज लेती है।

पर लानत है भारतीय मीडिया पर कि वह सोनिया गांधी की बीमारी और अस्पताल का पता तक नहीं खोज पाती। जय हो।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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