मधुमेह (डायबेटिज)

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आर. सिंह

सर्वप्रथम मैं यह बतलाना चाहूँगा कि मधुमेह एक भयंकर रोग है और इसका नियंत्रण पीडि़त व्यक्ति के इच्छाशक्ति पर निर्भर है.

मधुमेह के बारे मे यहाँ जो जानकारी दी जा रही है, वह एक सामान्य जानकारी है और मधुमेह के रोगियों को एक दिशा निर्देश देने के लिये है.अतः आगे कुछ भी लिखने के पहले मैं यह बताना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि मधुमेह से यहाँ उस बीमारी को समझा जाये जिसे मधुमेह के द्वितीय श्रेणी में गिना जाता है जिससे साधारणतः व्यस्क पीडित होते हैं और जिसकी रफ्तार दिनों दिन बढती जा रही है.

मधुमेह की बीमारी मे दवा से ज्यादा नियन्त्रित आहार और व्यायाम का महत्व है.नियन्त्रित आहार मधुमेह चिकित्सा का एक महत्व पूर्ण अंग है. मधुमेह के नियंत्रण के लिये नियन्त्रित आहार या तो अकेले या आवश्यकतानुसार दवाओं के साथ व्यवहार में लाया जाता है. यह प्रायः देखा गया है कि जिन लोगों ने मधुमेह की प्रारंभिक अवस्था में नियंत्रित आहार और उचित व्यायाम पर ध्यान दिया उन्हें वर्षों तक दवाओं का सेवन नहीं करना पडा और वे स्वस्थ जीवन बिताने में कामयाब रहे.उनलोगों को एक अतिरिक्त लाभ यह हुआ कि वे सामान्यतः अन्य रोगों से भी पीडित नहीं हुए,इसलिये उन्हें किसी भी प्रकार की दवा का यदा कदा ही सेवन करना पडा. इसके विपरीत मधुमेह के जिन रोगियों ने आरम्भ से ही इस बीमारी को गम्भीरता से नहीं लिया उन्हें बहुत परेशानियाँ उठानी पडी.

मधुमेह के रोगियों के लिये नियंत्रित आहार के मामले में कुछ बातें महत्व पूर्ण हैं;

1.क्या खाना है और क्या नहीं खाना है?

2.कब खाना है?

3.कितना खाना है?

इसमें यह भी जोडा जा सकता है कि कहाँ खाना है?

उपरोक्त बातें ऐसे तो सबके लिए महत्व पूर्ण हैं,पर मधुमेह नियंत्रण में इनका बहुत ज्यादा महत्व है.एक खास बात यह है कि मधुमेह से कभी भी छुटकारा नहीं पाया जा सकता है,पर इसे नियंत्रित कर एक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है.

मधुमेह का आहार निर्धारित करते समय पहले ध़यान रखना है,शक्ति की आवश्यकता का(Calorie requirement),दूसरा ध्यान रखना है कि कितना कIर्बोहाइड्रेट,कितना प्रोटीन,कितना फाइवर भोजन में होना चाहिए. नियंत्रित आहार के लिए इनकी निश्चित मात्रा निर्धारित करना आवशयक है.

मधुमेह के साथ या उससे पहले भी अन्य उलझने भी पैदा हो जाती हैं,जैसे मोटापा,उच्च रक्त चाप इत्यादि.इन सबके लिये खास ध्यान आवश्यक है.

मधुमेह के रोगियों के लिए कुछ खाद्य पदार्थ वर्जित हैं.कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं,जिन्हें सीमित मात्रा में लिया जा सकता है और कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिन्हें असीमित मात्रा में लेने में भी कोई हानि नहीं है.

A.वर्जित खाद्य पदार्थ

1.जमीन के अंदर पैदा होने वाली कोई भी सब्जी जैसे आलू, शकरकंद,जिमीकंद इत्यादि,पर मूली,प्याज और गाजर अपवाद हैं.ये तीनों बिना रोक टोक के खाये जाने वाले पदार्थों में गिने जाते हैं. आलू और शकरकंद को चावल या रोटी के बदले खाया जा सकता है.ऐसे तो नवीनतम शोध के अनुसार शकरकंद(sweet potato) को भी मधुमेह के रोगियों के द्वारा सीमित मात्रा में लिए जाने वाले पदार्थों में गिना जाने लगा है, पर अभी यह सर्वमान्य नहीं है.

2.केला,आम,चिक्कू,शरीफा,अनानाश,अंगूर,तरबूजे(पहले यह वर्जित फल नहीं था,पर इसमें ग्लूकोज के सघनता के कारण इसे अब वर्जित फल की श्रेणी में कर दिया गया है)इत्यादि.

3.चीनी,गुड या इनसे बनी हुई कोई भी मीठी चीज यानि विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ,शहद,क्रीम बिस्कुट,ओवल्टीन,हारलिक्स,मलाई वाला दूध इत्यादि.

4. कोई भी तला या छना हुआ पदार्थ चाहे वह नमकीन हो या मीठा.इस श्रेणी में पुए,पूडी,कचौडी,भटूरे इत्यादि आएंगे.

B.सीमित मात्रा में खाए जाने वाले पदार्थः

1.रोटी,चावल,ब्रेड,चिउडा,दलिया इत्यादि.

2.ताजे फल–सेव,नासपाती,अमरूद,पपीता(कच्चा या पका),संतरा,बडा नींबू( Grape Fruit),खरबूजे

3.सूखे फल–बादाम, अखरोट.

4. बिना मलाई का दूध, दही, पनीर.

5.मीठा या नमकीन बिस्कुट (क्रीम बिस्कुट नहीं)

6. 6.मछली,मुर्गा,अंडा

7.सब तरह की दालें.

8.तेल और घी(बहुत सीमित मात्रा में).

C.बिना रोक टोक के खाये या पीये जाने वाले पदार्थः

1.पानी या नींबू पानी,छाछ(सादा या नमकीन)

2.बिना चीनी और दूध की चाय

3.विभिन्न प्रकार के मसाले (स्वादानुसार)

4.सब हरी सब्जियाँ जैसे सब प्रकार के साग(पालक ,सरसो,बथुआ,चौलाई इत्यादि),ब्रौकली,घीया,कद्दू,तोरी,पेठा,परवल,बीन,सेम,ककदी,खीरा,करेला,फूल गोभी,पत्ता गोभी,गाँठ गोभी,प्याज,टमाटर,मूली,गाजर,हरी मिर्च,शिमला मिर्च,बैगन इत्यादि.

5.फलों में,जामुन

उपर्युक्त सूची उदाहरण के तौर पर तैयार की गयी है.इसमें श्रेणी अनुसार अन्य चीजें भी जोडी जा सकती हैं.

ये तो रहा कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है.अब प्रश्न उठता है कि कब खाना है और कितना खाना है?

जहाँ तक कब खाने का प्रश्न है तो यह ध्यान रखना है कि मधुमेह के रोगियों को भूख और प्यास ज्यादा लगती है.अतः खाने पीने के मामले में मधुमेह के रोगी बषुत तत्पर दिखाई देते हैं.जहाँ तक पीने का प्रश्ना है मधुमेह के रोगी के लिये शराब इत्यादि पर तो पूर्ण प्रतिवंध है हीं, उनके लिये किसी तरह का साफ्ट पेय भी हानिकारक है.मधुमेह का रोगी असीमित मात्रा में पानी,नींबू पानी, बिना दूध और चीनी का चाय और सादा या नमकीन छाछ पी सकता है.खाने में उबली हुई हरी सब्जियाँ और साग,कच्चे खीरा और ककडी असीमित मात्रा में ले सकता है. पर केवल ऐसा करने से आहार का संतुलन नहीं बनेगा और न आवश्यक शक्ति ही मिल पायेगी.अतः अन्य भोजन भी आवशयक है.इसमें दो बातों का ध्यान रखना है,एक तो आहार सीमित मात्रा में होना चाहिए,दूसरा उसके बीच का अंतराल ( Interval) भी ज्यादा नहीं होना चाहिए.सीमित मात्रा में कम अंतराल में भोजन करने से और नियमित रूप से व्यायाम करने से खून में चीनी की मात्रा का संतुलन बना रहता है.ऐसे तो अधेड या अधिक उम्र वाले रोगियों के लिए दिनभर में साधारणतः 1400 से 1600 किलो कैलोरी का भोजन होना चाहिए,पर इसकी सीमा निर्धारण डाक्टरों का काम है,अतः इस पूरे प्रोग्राम को अपने डाक्टर को दिखा कर हीं व्यवहार में लाना चाहिए.

संतुलित शाकाहारी भोजन का एक उदाहरण.

(सुबह से शाम तक)

सुबह नाश्ते से पहले (6 बजे से 7 बजे)-एक या दो कप चाय बिना चीनी और थोडे दूध के साथ या 1 कप बिना मलाई वाला दूध.

सुबह का नाश्ता(8 बजे);- 2 चपाती या 2 ब्रेड,1कप हरी सब्जी,1 कप दही.

अगर आवश्यकता महसूस हो तो बिना चीनी के चाय या काफी पी जा सकती है.पानी या नींबू पानी प्यासानुसार असीमित मात्रा में लिया जा सकता है.अगर भूख न मिटे तो बिना रोक टोक खाये या पिये जाने वाले श्रेणी से कुछ भी लिया जा सकता है.

दोपहर के भोजन से पहले(10 से 10.30 के बीच); 1कप पका पपीता,या 1 कप खरबूजा,एक सेव या एक अमरूद या नासपाती या अन्य मौसमी फल इसी अनुपात में

दोपहर का भोजन(12 से 1 बजे के बीच);

2 चपाती या 1कप चावल.

1कप बैगन,फूल गोभी या बंद गोभी की सब्जी

1 कप साग,भिंडी या इसी तरह की कोइि अन्य सब्जी.

किसी भी सब्जी को बनाने में ध्यान यह रखना है कि तेल बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाये पर स्वाद के अनुसार कम या ज्यादा मसालों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

1 कप दाल.

टमाटर,खीरा,ककडी ,मूली या अन्य सब्जियाँ सल्लाद के रूप में असीमित मात्रा में

शाम का नाश्ता(4 से 5 बजे);

1 कप कटा हुआ फल( खरबूजे पपीताया अन्य मौसमी फल),पोहा या अन्य कोई कम कैलोरी वाली चीज.

बिना चीनी के चाय.

शाम का भोजन(रात्रि 8 बजे); करीब करीब उसी तरह का भोजन जिस तरह दोपहर का.सब्जियों की मात्रा बढाई जा सकती है.पेट नहीं भरे तो ज्यादा मात्रा में सलाद लिया जा सकता है.

सोने के समय(रात्रि 10 बजे);1 कप मलाई रहित दूध ,बिना चीनी के.

उपर्युक्त तालिका एक सांकेतिक तालिका है.इसमें सीमा के अंदर रह कर बदलाव किया जा सकता है.ध्या रखने की बात यही है कि रोटी या चावल की मात्रा सीमित रखनी है.अगर आलू,शकरकंद इत्यादि खाने का मन करे तो रोटी या चावल के बदले उसी अनुपात में उनको लिया जा सकता है.

भोजन हमेशा एक ही समय लेने की कोशीश करनी चाहिए. आहार इस तरह का हो कि उसमें प्रत्येक पौष्टिक तत्व निर्धारित मात्रा में मौजूद हो.रोटी या चावल की मात्रा सीमित रखनी है.दाल,सब्जी,दूध या दही की मात़रा में थोडा फेर बदल किया जा सकता है.छाछ या सत़तू का पतला घोल ज्यादा से ज्यादा लिया जा सकता है.पानी या नींबू पानी पीने पर कोई रोक टोक नहीं है.

एक बात और.मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हुए भी यह मधुमेह की चिकित्सा और नियंत्रित भोजन से अलग है. वह है मेथी दाना ( fenugreek seeds) और दालचीनी( cinnamon) का नियमित प्रयोग.मेथी खाने का एक अच्छा तरीका यह है कि चाय के चम्मच से पाँच या छः चम्मच ( करीब 25 या 30 ग्राम) मेथी को रात में पानी में भिंगो दिया जाए,फिर उसमें से आधा भाग दोपहर के भोजन के 10 मिनट पहले खा लिया जाए.बचा हुआ आधा मेथी उसी तरह रात्रि भोजन के दस मिनट पहले खा लिया जाए.पानी अंदाज से इस तरह लेना चाहिए कि मेथी के फूलने के लिए काफी हो.ऐसे भी मेथी के साथ अगर पानी भी पी लिया जाए तो लाभकरी ही होगा. दूसरी वस्तु है दालचीनी. पीसा हुआ दालचीनी एक चाय के चम्मच(4 या 5 ग्राम) सुबह में खाली पेट या नाश्ते के साथ लेना लाभदायक होता है

नियमित व्यायाम और दवा का सेवन भी आवश्यक है .मधुमेह के रोगियों के लिए नियमित व्यायाम उतना ही आवश्यक है जितना नियंत्रित भोजन.व्यायाम के लिए दिन में कम से कम तीन किलोमीटर तीव्र गति से चलना आवश्यक है.टहलने का काम सुबह या शाम कभी भी किया जा सकता है,नियमितता आवश्यक है.प्रति दिन के कार्यक्रम में नियमितता आने से दवा की आवश्यकता कम हो सकती है,अतः उसकी मात्रा चिकित्सक से परामर्श के बाद कम या ज्यादा की जा सकती है.

15 COMMENTS

    • यह आलेख मेरे निजी जीवन और दिन चर्या पर आधारित है। मुझे प्रसन्नता हो रही है कि इतने वर्षों बाद भी लोग इसे पढ़ रहे हैं।मुझे 1989 के सितंबर में मधुमेह से पीड़ित बताया गया था। तब से 30 वर्ष गुजर चुके हैं,पर मुझे कभी भी दवा का सेवन नहीं करना पड़ा।आज भी साल में एक या दो बार जांच अवश्य करा लेता हूँ। मेरे विचार से मेरे निरोग रहने की वजह मेरा संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम है। आज 78 वर्ष की उम्र में भी मुझे किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ती।

  1. Mai kevl 22sal ka hu mujhe bhi chini ho gya jbki mere privar me kisi ko nhi hai.
    Or to or mai kafi dubla ptla hota ja rha hu.
    Abhi chini control hai fir bhi chehra nhi bnta hai

  2. मुझे उच्च रक्तचाप की बीमारी हो गई जिस पर डाक्टरों ने मुझे बीटा-ब्लॉकर (एटोनोलोल) दिया जिसके लम्बे सेवन से मुझे मधुमेह उपहार में मिल गया. एलोपैथी में एक इलाज दुसरी बीमारी को जन्म दे रहा है।

    • aap apne daktar se salaah lekar apni life style badaliye,jisme yah aalekh aapke liye guide line ho sakta hai.Better to yah rahega ki ise bhi aap apne daktar ko dikha den.

      • Aap phla toh apna speeling thik Kore (doctor)daktar) nhi hota hai ok ans Dena ya likhna k bad ekbar check jarur kar lana thanks

        • डॉक्टर राज,इतने वर्षों बाद आप जगे भी,तो आपको इस आलेख में कुछ नहीं मिला. आप मेरी टिप्पणी में स्पेलिंग चेक करने लगे और स्वयं स्पेलिंग शब्द लिखने में भी भूल कर बैठे लगता है कि आप खाली बैठे हुए हैं,अतः बाल की खाल निकालने लगे. कोई बात नहीं ,कभी कभी ऐसा भी होता है. .

  3. मेरी उम्र 28 वर्ष है, मुझे पिछले महीने पता चला की मुझमें मधुमेह के लक्षण हैं, मेरे पिता भी मधुमेह से पीड़ित हैं। मेरी शर्करा का स्तर सुबह हुयी जांच में 130 था। में मधुमेह को लेकर चिंतित हूँ। चूँकि मुझे अभी कोई लक्षण मधुमेह के दिखाई नहीं देते तो क्या इस स्थिति में मधुमेह का इलाज सम्भव है? कृपया निसंकोच खाये जा सकने वाले भोजन एवं फलों के नाम बताएं।एक बार में कितनी रोटी अधिकतम खानी चाहिए? बाजार में मिलने वाले फ़ास्ट फ़ूड का में बहुत प्रेमी हूँ, जैसे बर्गर, पिज़्ज़ा, नूडल्स, डोसा। इनमे से कौन से फ़ास्ट फ़ूड कम खतरनाक हैं, और कौन से अधिक?

    • Manish ji,mujhe roman lipi men hindi likhne men achchha nahin lagta,par majbooran likh raha hoon. kyonki kuchh dinon se prawakta.com par main copy paste nahin kar pa raha hoon.aapki umr abhi bahut kam hai.is umr men madhumeh ke shkaar hone ka matlab aapki apni laaparvahi hai,khaskar jab aapke pita ji iske rogi hain,tab to aapko jyada savdhan rahne kee aavshykta hai.EK BAAT YAAD RAKHIYE MADHUMEH KAKOI LAKSHAN NAHIN HOTA.PATA TAB CHALTA HAI,JAB AAPKA KOI GHAV YA KATA JALD THEEK NAHIN HOTA.Aise abhi bhi kuchh nahin bigda hai.Aap apne daktar se salaah lekar is guide line ko aapnaaiye.Aise main agale mahine svadesh laut raha hoon.Bad men aap is par mujhse detail advice le sakte hain.Chunki mere pitaji bhi madhumeh ke shikar the,atah main pahle se bhi savdhan tha,par accident ke chalte mujhe karib ek sal tak vistar par rahna pada tha,usase yah bimari develop kar gayi thi.Jis samay merablood sugar check huaa tha,us samay meree haalat aapse jyada khatarnak thi,fir bhi apne life style ke chalte aaj 26 varshon se jyada samay beet jaane par bhi mujhe kisee dava kee aavshykta nahin padi.Atirikt laabh yah huaa ki chauhatar varsh se jyada umr hone ke bavjood aaj bhi main kisee dava ka istemal nahin karta.

  4. श्री तिवारी जी को टिप्पणी के लिए धन्यवाद .असल में मै स्वयं १९८९ से मधुमेह का रोगी हूँ. १९८८ में एक जानलेवा दुर्घटना का शिकार हो गया था ,जिसके चलते मुझे करीब करीब एक साल तक निष्क्रिय जीवन व्यतीत करना पड़ा और उसी बीच मैं मधुमेह रोग का शिकार हो गया,जिस डाक्टर ने मेरा इलाज किया उसने दो रास्ते बताये या तो मैं नियमित रूप से दवा का सेवन आरम्भ कर दूं या छ: महीने नियंत्रित भोजन और व्यायाम के डाक्टर के बताये हुए रास्ते पर चलूँ और अगर छ: महीने में मेरे खून में चीनी की मात्रा सामान्य हो जाये तो मैं आसानी से १० वर्ष तक बिना दवा के केवल अपने नियमित रूटीन के बल पर खून में चीनी की मात्रा सामान्य रख सकता हूँ ,पर उसके बाद तो दवा का सेवन आवश्यक हो जाएगा,पर मेरी नियमितता मुझे दवा से २२ सालों के बाद भी दूर रखे हुए है. मैं केवल एक सावधानी अवश्य वर्तता हूँ की हर छ: महीने में अपने खून में चीनी की मात्रा की जांच अवश्य करा लेता हूँ.

    • महोदय, इतने लम्‍बे समय से आप इस बीमारी से बिना दवाईयों के कैसे निपट रहे हैं। अन्‍य लोगों को भी बतायें। ताकि दूसरे लोग भी लाभ ले सकें।

      • विजय शुक्ल जी,आपने आलेख को शायद पूरी तरह पढ़ा नहीं।उसमे मैंने वही सब कुछ बताने का प्रयत्न किया है जो मेरी दिन चर्या के अंग हैं यानि संतुलित और सीमित आहार और नियमित व्यायाम।ऐसे व्यक्तिगत रूप से मेरी व्यायाम की अवधिउससे ज्यादा है जितना मैंने सुझाया है .माना यह जाता है कि अगर रोग के प्रारंभ में ही आपने सावधानी वर्ती तो कोई कारण नहीं कि आप बहुत दिनों तक दवा के सेवन से न बचे रहें,पर उसके लिए यह आवश्यक है की आप अपने जीवन शैली को पूर्ण रूप से बदल डालें,पर कोई भी कदम बिना डाक्टर के सलाह के न उठायें।इस आलेख की प्रतिलिपि भी आप अपने डाक्टर को दिखा सकते हैं।

    • Sir,
      Abhi lagbhag 1 hafte pahle mujhe madhumeh ki shikayat hui hai. kya uprokta vidhi ko apnane se main bina dawa theek rah sakta hoon.

  5. मधुमेह के रोगियों को यह आलेख काफी लाभप्रद होगा.श्री आर सिंह साहब को धन्यवाद.

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