डॉ.सतीश कुमार

आओ बैठें मिल जुलकर हम,
प्रेम-प्यार की बात करें।
कुछ कहें-सुने हम सब की,
अपना भी इजहार करें।
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
सब कुछ हो हमारा,
आओ कुछ ऐसा काम करें।
देखे जो सपने सुनहरे भविष्य के,
उन्हें हकीकत में बदल,
सफलता की निरंतर सीढ़ियां चढ़,
अपने, सबके जीवन को
खुशियों के सागर से लबालब,
आओ हम सब मिल भरें।
जब कभी किसी बात पर
वे हमसे रूठ जायेंगे,
तो बाहों में भर, गले लगाकर
हम ही उन्हें मनाएंगे।
क्योंकि हैं हम सदा समर्पित,
यूँ एक दूजे को पुनः वरें।
जब जीवन के मूल मुद्दों पर,
होगा मंथन हमारे बीच,
तब पक्ष-विपक्ष में हम-तुम,
आ सकते हैं नज़र खड़े।
पर निकलेगा बेहतर हल
जीने का यह ज़िन्दगी,
हर मन में यह विश्वास भर, बढ़ चलें।
आओ कुछ ऐसा काम करें।