कविता साहित्‍य

कुत्तों को बिस्किट

leaderखिलवाते कुत्तों को बिस्किट, लाखों भूखे सो जाते हैं |

जनता के पैसे से नेता,  जीवन भर मौज उड़ाते  हैं |

भारत में भूखे-नंगों को, दे नहीं पा रहे  पानी तक ,

पाकिस्तानी जल प्लावन में, लाखों डालर दे आते हैं |

घर अपना सिंगल कमरे का,सूनी आँखों का सपना है,

मंत्री जी पच्चिस  लाख मगर,पर्दों पर खर्च कराते हैं |

रोटी के टुकड़े को बचपन,जब तरस रहा है भारत में,

ये मुफ्तखोर `निर्धन नेता`,लाखों वेतन बढ़वाते  हैं |

बिक रही अस्मतें कौड़ी में, ये खुद क्रेता-विक्रेता  हैं ,

कमरे से बाहर आते ही,   ये ‘गंगाजल’ हो जाते हैं |

रखते हम चौकीदारी को, ये घर में लेते सेंध  लगा ,

अरबों डकार लेते रिश्वत, स्विसबैंक जमा कर आते हैं |

होते हैं जब हम खड़े कभी, अब शठे-शाठ्यम कर देंगे,

ये पीछे सी.बी.आई.लगा, ‘भगवा’ कहने लग जाते हैं |

करो सुरक्षा `राज` स्वयं, मरती जनता तो मरने दो,

नक्सल,  आतंकी छोड़ खुले, खुद बुलेट प्रूफ में जाते हैं |