राजनीति

कश्मीरी पंडित ना समझो जाटों को।

copy of meerutमुजफ्फरनगर की हिंसा ना तो पहली है ना आखिरी ये तो अब हमारे देश में आम हो चला है, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत मे साल भर के अंदर ५०० से ज्यादा दंगे हो चुके हैं जिसमे १०० से ऊपर दंगे अकेले यूपी मे हुए हैं, जबकी यहां पर कथित महासेकुलर सरकार है और साम्प्रदायिक(?) शक्तियां सत्ता से दशको से दूर हैं, फिर भी दोष उनपर ही लग रहे हैं, क्योंकि उन्होने सरकार द्वारा कराये जा रहे पुलिसिया पक्षपात का विरोध किया। अभी तो सारी खबरे बाहर आयी नही हैं फिर भी जितनी भी आ रही हैं उससे जाहिर है हमारे देश के सेकुलर बुद्धिजीवियों और मानवाधिकारियों को हिंदुत्व और हिंदूवादियों को कोसने का भरपूर राशन मिल गया है, जबकी सारी कहानी सबको मालूम है कि इस दुखद घट्ना की शुरुवात कैसे और किसने की, जिस समय एक संदिघ्ध छेड्छाड के आरोप मे आसाराम जैसे बडे नाम को जेल भेज दिया गया किंतु दुसरी तरफ मुजफ्फरनगर मे ऐसी ही घट्ना की पुलिस द्वारा रिपोर्ट तक दर्ज नही की गयी, जिससे दुखी होकर जब लडकी के भाई उस मुस्लिम लड्के के परिवार वालो से खुद ही बात करने पहुंचे तो उन्हे घेर कर मार दिया गया हालांकी इसमे उन्होने आरोपी की जान भी ले ली, जो की स्वाभाविक ही है क्योंकि आज भी कोई भाई अपनी बहन से बद्तमीजी बर्दास्त नही करता और करना भी नही चाहिये क्योंकी हर हिंदू अपनी बहन की रक्षा के लिये ही हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं। और आज भी समाज कितना ही गिर गया हो किंतु भाई बहन का रिश्ता पवित्र माना जाता है। अत: उन भाइयों ने तो भाई होने का अपना फर्ज अपनी जान देकर पूरा कर दिया किंतु अगर पुलिस और प्रसाशन या कहें की सरकार मे बैठे लोग भी अपना फर्ज पूरा करते तो क्या ऐसी घटना हो पाती?

आज खुलेआम उत्तर प्रदेश की अखिलेश या कहे की आजम खान सरकार एकतरफा कार्यवाही  कर रही है और सिर्फ हिंदुवों और हिंदू नेतावों को जेल भेजकर प्रताडित कर रही है और उनपर गम्भीर धारावों मे मुकदमे दर्ज कर रही है तथा दूसरी तरफ के आरोपी नेतावों को विशेष विमान से लखनऊ बुलाकर उनकी आवभगत की जा रही है जो इतने सम्वेदनशील मसले पर ऐसे दोषियों का मनोबल बढाना ही है तो सारे दोगले सेकुलर खामोश हैं। कुछ एक मीडिया चैनलो ने तो फिर भी सच्चायी दिखायी किंतु राष्ट्रीय मीडिया खामोश ही है और कथित बुद्धिजीवी वर्ग की बुद्धि भी शायद गुजरात तक ही सीमित है, जब की मुजफ्फरनगर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अभी भी भयानक तरीके से सुलग रहा है। एकतरफ आये दिन संदिग्ध बांग्लादेशी किसी ना किसी की हत्या कर रहे हैं और दूसरी ओर निर्दोष हिंदू जेल भेजे जा रहें हैं, ऐसे हालात मे सरकार और प्रशासन हिंदू आक्रोश का अंदाजा नही लगा रहा जिसकी झलक मेरठ की महापंचायत मे महिलाओं की भागीदारी से दिखती है, सरकार और प्रशासन सायद इन्हे भी शांतिप्रिय काश्मीरी पंडित समझने की भूल कर रहा है जो अपना सब कुछ लुटाकर मुस्लिमो से अपनी जान बचाकर काश्मीर से भाग आये थे, पर यहां की परिस्थिति अलग है यहां जाट और गूजर जैसी लड़ाका और जुझारू कौम रहती है जो आन बान शान के लिये मर मिट्ना पसंद करती है।

अगर शासन ने इनका गुस्सा और दर्द पहचानने और उसे दूर करने मे ऐसे ही लापरवाही करती रही और उसे बंदूक के बल पर दबाने का प्रयास करती रही तो आने वाले दिनो मे पश्चिम यूपी अगर दूसरा गुजरात बन जाय तो किसी को आश्चर्य नही होना चाहिये। गुजरात मे भी मोदी राज से पहले कांग्रेस शासन मे ऐसे ही होता था जब हिन्दू मुस्लिम दंगे होते और शहर मे कर्फू लगता तो कर्फू मे कब ढील दी जाएगी इसकी जानकारी प्रशासन द्वारा मुस्लिमो को पहले ही दे दी जाती थी और वो पूरी तैयारी करके हिन्दुवों पर हमला करते थे किन्तु जब मोदीराज मे दंगे हुये तो ऐसा नही हुआ और वर्षों से दबा आक्रोश जब फूट पड़ा तो उसका परिणाम सबके सामने है।

ऐसे ही मुलायम सिंह ने गोलियां चलवाकर निहत्थे कारसेवकों की हत्या करवाकर बंदूक के बल पर आक्रोश दबाने की कोशिश की थी जिसका परिणाम बाबरी ढांचे के ध्वंश के रूप मे सामने आया। हिन्दू स्वभाव से सहिष्णु होते हैं इसका अंदाजा भी गुजरात को ही देख के लगाया जा सकता है जहां कथित हिंदूवादियों की सरकार है किन्तु पिछले 12-13 सालों से वहाँ शांति है और किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों को परेशान नही किया गया बल्कि वो दूसरे राज्यों की तुलना मे ज्यादा खुशहाल हैं, जबकि पिछले डेढ़ साल मे यूपी के एक मुस्लिम मंत्री ने पूरे राज्य मे आग लगा रखी है। जो बहुत ही खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है जिसपर अगर समय रहते काबू ना किया गया तो आने वाले समय मे बहुत ही भयानक विस्फोट होगा।