खुली आंखों का सपना ….!!

तारकेश कुमार ओझा

सुबह वाली लोकल पकड़ी
पहुंच गया कलकता
डेकर्स लेन में दोसा खाया
धर्मतल्ला में खरीदा कपड़ा – लत्ता
सियालदह – पार्क स्ट्रीट में निपटाया काम
दोस्तों संग मिला – मिलाया
जम कर छलकाया कुल्हड़ों वाला जाम
मिनी बस से हावड़ा पहुंचा
भीड़ इतनी कि बाप रे बाप
लोकल ट्रेन में जगह मिली तो
खाई मूढ़ी और चॉप
चलती ट्रेन में चिंता लगी झकझोरने
इस महीने एक बारात
और तीन शादी है निपटाने
नींद खुली तो होश उड़ गया अपना
मैं तो खुली आंखों से देख रहा था सपना

Previous articleमनुष्य जीवन की सार्थकता वेदाध्ययन एवं उनके आचरण में है
Next articleहे मातु नर्मदे …..
तारकेश कुमार ओझा
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ हिंदी पत्रकारों में तारकेश कुमार ओझा का जन्म 25.09.1968 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। हालांकि पहले नाना और बाद में पिता की रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शुरू से वे पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर मे स्थायी रूप से बसे रहे। साप्ताहिक संडे मेल समेत अन्य समाचार पत्रों में शौकिया लेखन के बाद 1995 में उन्होंने दैनिक विश्वमित्र से पेशेवर पत्रकारिता की शुरूआत की। कोलकाता से प्रकाशित सांध्य हिंदी दैनिक महानगर तथा जमशदेपुर से प्रकाशित चमकता अाईना व प्रभात खबर को अपनी सेवाएं देने के बाद ओझा पिछले 9 सालों से दैनिक जागरण में उप संपादक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress