नशा नाश का प्रमुख कारण है। आज के समय नशा हमारे देश की जड़ों को लगातार खोखला कर रहा है। युवा पीढ़ी आज नशे के गर्त में डूबती चली जा रही है। इस संबंध में, कुछ समय पहले ही पंजाब हाइकोर्ट ने भी यह बात कही है कि नशे की तस्करी न सिर्फ व्यक्ति बल्कि समाज और फिर देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रही है। वास्तव में, नशे से देश की जड़ों को खोखला करने वालों से सख्ती से निपटना जरूरी हो गया है। आज भी विशेषकर पंजाब में नशाखोरी अपने चरम पर है। बताना चाहूंगा कि कुछ समय पहले पंजाब के सीएम भगवंत मान ने ट्वीट कर यह बात कही थी कि नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। होना भी यह चाहिए क्यों कि नशे से व्यक्ति के स्वास्थ्य की तो बर्बादी होती ही है,धन की बर्बादी के साथ ही समाज में नशाखोरी के कारण क्राइम भी बढ़ता है। आज क्राइम की घटनाओं में वृद्धि का एक प्रमुख कारण नशाखोरी को कहा जा सकता है। पंजाब ही नहीं राजस्थान के हनुमानगढ़, गंगानगर जिले में नशाखोरी का धंधा चल रहा है और नशा तस्कर जमकर चांदी कूट रहे हैं। आज आए दिन अखबारों की सुर्खियों में हमें यह पढ़ने को मिलता है कि हनुमानगढ़ और गंगानगर जिला मुख्यालय से लेकर गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक नशे और तस्करों की घुसपैठ हो चुकी है और आए दिन नशीली गोलियों, शराब, अफीम, हेरोइन,चिट्ठा,गांजा की खेप कहीं न कहीं पर पकड़ी जाती है। राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़ में तो सस्ते से लेकर महंगे से महंगा हर तरह का नशा कमोबेश आज प्रचलन में है। सच तो यह है कि नशे की गोलियां, चिट्टा, पोस्त, स्मैक, गांजा और हेरोइन का नशा युवाओं के बीच घुस चुका है। इसके अलावा हथकड़ और अवैध शराब भी इसमें शामिल है। नशे के लिए इन नशीली चीजों की मांग बढ़ने से जिले में इनकी तस्करी भी तेजी से बढ़ रही है। शायद यही कारण भी है कि आज इन क्षेत्रों में विभिन्न नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या भी यकायक बढ़ गई है। कुछ समय पहले इतने अधिक नशा मुक्ति केंद्र यहां मौजूद नहीं थे। आज एनडीपीएस एक्ट में अनेक लोग पुलिस द्वारा पकड़े जाते हैं लेकिन राजनीतिक हथकंडे, साम- दाम -दण्ड -भेद अपनाकर तस्कर, माफिया आसानी से छूट भी जाते हैं।पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई तो करती है लेकिन वो ज्यादातर मामलों में बड़ी मछलियों (बड़े तस्करों) तक नहीं पहुंच पाती है और ऐसे में नशा तस्करों का यह खेल रूकने के बजाए अनवरत चलता ही रहता है। बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि अधिकांश लोगों का यह मानना हैं कि पंजाब ही इकलौता ऐसा राज्य है जहां हर तरह के नशे ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली हैं और वहां की युवा पीढ़ी को नशे ने बर्बाद करके रख दिया है। काफी हद तक ये सही भी है और इसीलिए इस मुद्दे पर काफी समय पहले एक फ़िल्म भी बनी थी- “उड़ता पंजाब”, ताकि लोग जान सकें कि भारत के एक अत्यंत समृद्ध माने जाने वाले सूबे की युवा पीढ़ी को नशा कैसे लगातार बर्बाद कर रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि बहुत बार न केवल हरियाणा और पंजाब में नशे की बड़ी खेप पकड़ी जाती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से भी बड़े पैमाने पर तस्करी होती है।यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पंजाब और राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश,केरल, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, कर्नाटक, हरियाणा के अंबाला, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा पूर्वोत्तर राज्यों में भी नशे का जाल फैला हुआ है। केरल और तमिलनाडु तो समुद्री इलाके वाले राज्य हैं और यहां नशा तस्कर इसलिए सक्रिय हैं, क्यों कि पाकिस्तान से लाए जाने वाले नशीले पदार्थों के ये सबसे महफूज़ केंद्र इसलिए हैं, क्यों कि इनकी समुद्री सीमाएं काफी लंबी हैं और पुलिस की पहुंच उन तक नहीं हो पाती है। जानकारी मिलती है कि पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका और मालदीव से भी नशा तस्करी की जाती है। आदमी ही नहीं यहां तक कि नशा तस्करी में महिलाएं, लड़कियां तक शामिल हैं। वास्तव में, जल्द अमीर बनने के लालच में महिलाएं तस्करी कर रहीं हैं। यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि तस्करी करने के लिए नशा तस्कर विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां तक कि बहुत बार तो नशा तस्करों की कार्यशैली से पुलिस तक हैरान रह जाती है। आज वेश बदलकर तस्करी की जाती है। यहां तक कि ईंटों में भरकर भी नशा बेचा जाता है। कोल्डड्रिंक की बोतलें भी नशा तस्करी में काम में ली जाती हैं। उल्लेखनीय है कि आजकल नशा तस्कर पैदल ही नशे की तस्करी करने को अधिक तरजीह दे रहे हैं। दरअसल, नशा तस्कर कम मात्रा में विभिन्न नशीले पदार्थ बेच रहे हैं ताकि पकड़े जाने पर भी पुलिस उनके मामले को व्यापारिक नजरिए से न देखें ,समझे। नशा तस्कर छापे के दौरान बरामदगी से बचने के लिए अपने घरों में नशीले पदार्थों की खेप छिपाने के बजाय, इसे छप्परों और खेतों में छिपाने को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। टिफिन में छुपाकर भी तस्कर नशा तस्करी करते हैं।आजकल नशा तस्करों ने सप्लाई का अपना तरीका बदलते हुए लग्जरी गाड़ियों में नशा सप्लाई करना शुरू कर दिया है। इनमें होंडा सिटी, वर्ना जैसी महंगी व लक्जरी गाड़ियां तक तस्करों से मिली हैं। आज नशे की तस्करी पुलिस की आंखों में धूल झोंककर अफगानिस्तान, म्यांमार, नेपाल और ईरान द्वारा भारत में की जाती है। अखबारों से पता चलता है कि राजस्थान में जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर में भी अच्छी खासी संख्या में नशा तस्कर सक्रिय हैं। बार्डर इलाकों से यहां तस्करी की जाती है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में भी पाकिस्तान की तरफ से नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती है।मीडिया के हवाले से यह भी जानकारी में आया है कि देशभर में नशे का कारोबार करने वाले माफिया, नशा तस्कर लोगों में नशे की लत को बढ़ाने के लिए खतरनाक प्रयोग तक करने लगे हैं। वे कोकीन, चरस, गांजा, अफीम को और अधिक नशीला बनाने के लिए इसमें विभिन्न केमिकल (जहर) मिलाकर नशेड़ियों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह जहर चरस, अफीम जैसे नशीले पदार्थों में आसानी से मिल जाता है और देखने में पता भी नहीं चलता, जिसका फायदा तस्कर उठा रहे हैं। आज शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए शराब में नशीले कैप्सूल तक मिलाए जाते हैं। शराब बनाने वाले लोग इसे और ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें यूरिया, ऑक्सीटॉसिन और मेथेनॉल की मात्रा तक मिलाते हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि कच्चे आइटम्स को सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है। यहां यह भी बताता चलूं कि कच्ची या नकली या जहरीली शराब का कोई मानक तापमान नहीं होता और न ही इसे बनाते वक्त किसी भी नियम या मानकों का पालन किया जाता है।इसी वजह से इसमें नुकसानदायक मिथाइल और प्रोपाइल एल्कोहल जैसी चीजें मिला दी जाती हैं। मिथाइल एल्कोहल सीधे दिमाग और आंखों को नुकसान पहुंचाता है, मात्रा ज्यादा होने पर इंसान की मौत भी हो जाती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नशा तस्कर अपने स्वार्थ और फायदे के लिए यूरिया, आयोडेक्स, सांप, छिपकली, डीजल, मोबिल, गुड़ या शीरा और इस तरह की कई और चीजें मिलाकर जहरीली शराब बनाते हैं और उन्हें महंगे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं। आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ड्रोन के जरिए भी तस्करी की जाती है।हमारा पड़ौसी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है लगातार भारत में ड्रोन के जरिए नशीलें पदार्थों की खेप भेजी जा रही है। हालांकि बीएसएफ सतर्कता के साथ सभी साजिशों को नाकाम कर रही है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तस्कर कोड वर्ड का इस्तेमाल कर तस्करी को अंजाम देते हैं। वर्ष 2021 में ऑनलाइन ड्रग तस्करी के 5,000 मामले सामने आए थे। नशीले पदार्थों के लेन-देन के लिए अब मुख्यधारा के चैट सिस्टम से परे ख़ास सोशल टूल्स, सेकेंड-हैंड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, गेमिंग वेबसाइट और डार्क नेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले ही बीएसएफ ने अमृतसर में वाघा-अटारी अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास नशीले पदार्थ ले जा रहे एक अन्य पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर, गुजरात और राजस्थान में भी ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन की मदद से ही आतंकी भी अपने गोला-बारूद, अवैध हथियार और नशीले पदार्थ सीमा पार से भारत लाते हैं। जासूसी भी इन ड्रोन से की जाती है। बीते कुछ महीनों में सीमा पार से आने वाले ड्रोन की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। कई बार बीएसएफ इन ड्रोन को मार गिराती है तो कई बार ये पैकेट गिराकर लौट भी जाते हैं। इनमें से ज्यादातर ड्रोन ऐसे होते हैं जो पाकिस्तान की ओर से आते हैं और सीमा से सटे इलाके में ड्रग्स या हथियार गिराते हैं। वास्तव में, आज भारत ही ड्रग उत्पादक और ड्रग तस्कर देशों की पहली पसंद बना हुआ है, क्यों कि ड्रग उत्पादक देशों को भारत और उसके युवा इसके लिए सबसे ज्यादा मुफीद मालूम पड़ते हैं। आज ड्रग्स तस्करों, माफियाओं के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर ड्रग्स तस्करी को रोकने की जरूरत है। समय समय पर पंजाब में ड्रोन के जरिए ड्रग्स तस्करी को रोका गया है, यह काबिलेतारिफ है। नशे की तस्करी को रोकने के लिए आज विभिन्न फार्मा से जुड़ी कंपनियों पर भी नजर रखने की जरूरत है।नशे के खिलाफ लड़ाई और कारगार साबित हो सके इसके लिए समय समय पर नशे को रोकने के लिए बैठकों का, विभिन्न जागरूकता सेमिनारों, संगोष्ठियों आदि का आयोजन किया जाना चाहिए। बैठकों आदि में स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय विभाग को भी शामिल किया जाना चाहिए। वास्तव में, नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में और अधिक तेजी लाकर जनसहयोग से नशा तस्करों पर शिकंजा कसा जा सकता है।
नशे को जड़ से खत्म करने के लिए राज्य सरकारों को भी सख्त कदम उठाने की जरूरत हैं। वास्तव में,नशा तस्करी में शामिल जो भी लोग हों, उन पर कानूनी रूप से सभी प्रकार की कार्रवाई की जानी चाहिए और उनकी अवैध संपत्तियों को भी चिह्नित कर उन्हें तोड़ा जाना चाहिए, ताकि वे भविष्य में ऐसा करने से पहले सौ बार सोचें। नशा मुक्त भारत के लिए नशा तस्करी को गैर जमानती अपराध बनाने का संकल्प भी लिया जा सकता है।इसके अलावा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आपूर्ति पर अंकुश तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता द्वारा आउटरीच और जागरूकता बढ़ाने एवं मांग में कमी का प्रयास करके भी भारत को नशामुक्त बनाया जा सकता है।