राजेश खण्डेलवाल
कभी तेज सर्दी तो कभी भीषण गर्मी, कभी अकाल तो कभी बाढ़, कई बार कीटों का प्रकोप तो कई बार तेज हवाएं। ऐसे ही कारणों से चौपट होती अपनी फसल को देख किसान दु:खी रहता है। कृषि प्रधान भारत में किसान यूं तो अन्नदाता कहलाता है लेकिन वही आज आज भारी कर्ज के बोझ तले दबा है। सरकारें भले ही राहत योजनाओं का ढोल पीटती हों लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ अलग ही नजर आती है। बैंकों के आंकड़े बताते हैं कि देश के 58 फीसदी किसान कर्जदार हैं। साहूकारों और निजी उधारदाताओं से लिए गए कर्जे के ठोस सरकारी आंकड़े ही उपलब्ध नहीं है। सरकार ने 2014 से लेकर 2025 तक कृषि बजट में 8 गुना तक बढ़ोतरी कर विकास का दावा किया लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी किसान की तकदीर व तस्वीर पहले जैसे ही है।
मार्च, 2024 तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कर्जदारी रही जहां 1.46 करोड़ किसान 8.38 लाख करोड़ के कर्ज तले दबे हैं। राजस्थान के 1.05 करोड़ किसान 1.74 लाख करोड़ और मध्य प्रदेश के 93.52 लाख किसान 1.50 लाख करोड़ के कर्जदार हैं। जून 2023 तक राजस्थान के किसानों पर वाणिज्यिक, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीणों बैंकों का 147538.62 करोड़ रुपए कृषि कर्ज बकाया था। राजस्थान में एक किसान परिवार पर औसतन 1.66 लाख का कर्ज है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 18.81 करोड़ किसान परिवारों पर कुल 32,35,747 करोड़ का कृषि ऋण है। यह रकम 2025-26 के कृषि बजट (1,71,437 करोड़) का लगभग 20 गुना है। किसानों को सबसे ज्यादा कर्ज वाणिज्यिक बैंकों से मिलता है। वहीं देश में एक किसान परिवार पर औसतन 1.70 लाख का कर्ज है।
केन्द्र और राज्य सरकारें फिलहाल कर्जमाफी के मूड में नहीं हैं। उनकी प्राथमिकता किसान कल्याण योजनाओं पर अधिक ध्यान देना है। केंद्र सरकार ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। किसानों के लिए उन्नत बीजों का इंतजाम कर रही है। ड्रोन टेक्नोलॉजी लेकर आई है। हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी भी कर रही है और खरीद भी बढ़ा रही है। 2014 में केंद्र सरकार का कृषि बजट 21,933 करोड़ था। 2025-26 में यह बढकऱ 1,71,437 करोड़ हो गया है। अब तक 3.46 लाख करोड़ रुपए किसानों को पीएम किसान योजना के तहत मिल चुके हैं। 100 जिलों में पीएम धन धान्य योजना के तहत कृषि विकास से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के 85.86 लाख किसानों पर कुल 2.20 लाख करोड़ का बैंक कर्ज बकाया है। दक्षिण भारतीय राज्यों में किसानों पर बकाया ऋण की स्थिति अलग-अलग है। ऋणग्रस्तता के मामले में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सबसे अधिक प्रभावित हैं जबकि तमिलनाडु में सबसे अधिक ऋण बकाया है।
राजेश खण्डेलवाल