उत्तर प्रदेश के घमासान में राहुल गांधी

उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान अपने चरम पर है| प्र्त्येक‌ भ्रष्ट राजनेतिक दल एक दूसरे की तरफ घूंसा ताने अपने आप को साफ सुथरा ईमानदार बताने का प्रयास करता हुआ आम आदमियों को बेबकूफ बनाने में लगा है| लगभग सभी नेता भ्रष्टाचार के कीचड़ में गले तक धसे हैं जाति धर्म और‌ कुनबे के नाम से कैसे भी हो वोट कवाड़ की फिक्र में हैं, कैसे भी हो वोट मिले| धन देना पड़े शराब बांटना पड़े चाहे दंगे भड़काना पड़े सब जायज लग रहा है|कहते हैं युद्ध् और प्रेम में सब जायज होता किंतु आजकल चुनाव में सब कुछ‌ उचित माना जाने है|

जहां एक ओर मायावती अपने गुंडों और धन के बल बूते चुनाव के रण में हुंकार भर रही हैं वहीं मुलायम अपने पचासों बाहुबलियों और मुस्लिम मतदाताओं के कंधे पर सवार होकर चुनाव के नतीज़ों को अपनी झोली में भर लेना चाहते हैं|इधर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर उमा भारती जैसी प्रवचनकारा फायर ब्रांड नेता को मैदान में उतार दिया है| जो कहीं न कहीं हिदु वोटों का ध्रुवीकरण तो करेगा ही|पिछले बाइस बरसों से कांग्रेस सता से बाहर है और जब से वह यू पी से बाहर हुई है तभी से केंद्र में भी उसका जनाधार घटा है|

कांग्रेस की दुर्गती में उसकी अपनी नीतियां और तानाशाही और भ्रष्टाचार ही मुख्य कारण रहा है|जिस कांग्रेस के पास जवाहरलाल जैसा प्रथम प्रधानमंत्री रहा हो जिस कांग्रेस के पास इंदिरा गांधी जैसी लोह सख्शियत लंबे समय तक सता में रही हो उस कांग्रेस‌ की आखिर यह दुर्गति क्यों हुई| इसका कारण साफ तौर यह है कि कांग्रेस इन महान नेताओं की धरोहर को संभाल नहीं पाई| इंद्रिराजी की छबि स्वच्छ‌ एवं दबंग नेत्री की थी तो राजीव गांधी भी साफ सुथरी छबि वाले भोले भाले इंसान थे| न तो इंद्राजी के भीतर

किसी तरह की मक्कारी चालाकी थी और न ही राजीव गांधी के भीतर|हां यह जरूर है कि सत्ता को चलाने की दोनों को ही बिरासत में मिली थी| नेहरू गांधी परिवार को अपने देश से अटूट प्रेम रहा है देशवासियों पर अगाध विश्वास रहा है और संपूर्ण समर्पण भी रहा है|

हालाकि यही अगाध विश्वास उनकी अकाल मृत्यु का कारन भी बना| उत्तर प्रदेश में गैर कांग्रेसीजो भी नेता सत्तासीन रहे लगभग सभी सत्ता के भुखे और भ्रष्ट रहे |सत्ता को रुपये उगलने वाली मशीन समझा अपनी मर्जी से तानाशाही तरीके से चलाया और अपने भाई भतीजे और बाहुबलियों को मजबूत कर ड़ंडे की ताकत से सरकारें चलाईं|इसमें आम आदमी कहीं नहीं था| मंत्रियों ने राजाओं सरीखा शासन किया| मायावती ने तो इंगलेंड की महारानी को भी मात कर दिया|वर्षों से दबे कुचले दलित समाज की आकांक्षाओं ने उन्हें अपने महा पुरुष बन जाने का मिथ्या आभास‌ तक करा दिया| उन्होंने इसी तारतम्य में अपनी सैकडों मूर्तिया खड़ीं करवा दीं|क्या वे यह नहीं जानतीं कि महा पुरुष बनने के अच्छे कर्म होना चाहिये न कि एक घृणित इच्छा| ये तो एक दिन की राजगद्दी पाने पर चमड़े के सिक्के चलाने जैसा है| यह सबको मालूम है कि तानाशाही योग्यता नहीं होती|कौन कह सकता है कि मायावती या हाथी की मूर्तियां कोई अन्य दल या शासक तोड़ नहीं देगा| चुनाव के इस माहोल में राहुल गांधी रजिया फँस गई गुंडों में की कहावत चरितार्थ करते दिखते हैं |दूसरे दलों के शातिर नेताओं के बीच एक भोला भाला इंसान जी जान लगाकर कांग्रेस की नाव डूबने से बचाने के लिये लगा है| उनकी बातों में न तो लटके झटके हैं न ही चालाकी है| जो कह रहा है साफ कह रहें हैं|इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मुलायम और मायावती ने प्रदेश को सौ साल पीछे ढकेल दियाहै,गुंडो बाहुबलियों का राज है किसान भूखा है बिजली है नहीं, सड़कों के पते ही नहीं है |सरकारी कुनबा दोनों हाथों से जेब भरने में लगा है ऐसे में कांग्रेस ही जीवन दायनी बन सकती है| परंतु रुकिये कांग्रेस के दामन भी कांटों से भरे हैं|काश राहुल गांधी जनलोकपाल का खुलकर समर्थन करते ,काश राहुल गांधी काले धन के मामले में बाबा रामदेव का साथ देते ,काश राहुल अन्ना हज़ारे को पितृ तुल्य सम्मान देकर उनके अभियान का समर्थन करते और 2 जी स्पेक्ट्रम‌ घुटाले में स्वयं आगे बढ़कर राजा और चिदंबरम की खुली इंक्वायरी कराने की पहल करते तो आज लोक पूजित होते और कांग्रेस की गाड़ी खींच ले जाते| परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया| अभी भी दिग्विजय सरीखे बदजवान बड़बोले और बदनाम नेता के कंधे पर बैठकर चुनाव की बैतरणी पार करना चाहते हैं|कांग्रेस के ये पतित नेता आखिर कब तक नेहरू गांधी पररिवार की बलि लेते रहेंगे| प्रियंका को लाने का शगूफा क्या मतलब है ,एक मुस्करान और हाथ हिलाने से अब वोटर को नहीं लुभाया जा सकता| आखिर किसी कांग्रेसी में यह दम क्यों नहीं है कि अपनॆ दम पर वोट बटोर सके| सोनियाजी के मात्र कुछ बरस बाहर रहने से ही सीताराम केसरी के जमाने का हाल सबको मालूम है| राहुल इस चुनाव में अपना सब कुछ दाव पर लगाकर मैदान में हैं|इस चुनाव में वह कांग्रेस‌ को कितना लाभ दिला पाते हैं इस पर उनका भविष्य टिका है|शरद पवार वैसे भी कह चुके हैं कि यदि ऊ.प्र में कांगेस ने ठीक परिणाम नहीं दिये तो राहुल जबाबदार होंगे| आज तो राहुल गांधी अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर अथक परिश्रम कर रहे हैं| बेतरतीब बढ़ी हुई दाढ़ी होटलॆ ढाबों में खाना आम जनता के बीछ जाकर संवादा स्थापित करना उनकी कार्यशैली की एक झलक मात्र है| अपने पिता राजीव गांधी की तरह जो जनता के प्रेम में वशीभूत होकर सभी प्रोटोकाल तोड़कर सड़क पर खड़े हाथ ठेलों पर गन्ने का रस पी लेते थे राहुलभी यहां की जनता से आमने सामने रुबरू होकर उनके दुख दर्द बांट लेना चाहते है|देर सबेर उनकी यह महनत अवश्य रंग लायेगी| वैसे भी लोगों ने सभी दलों का शासन देख लिया है शायद कांग्रेस सबसे ठीक हो|

3 COMMENTS

  1. राहुल और कांग्रेस दोनों के लिए उ प्र को चुनाव करो या मरो बन गया है ये तय है कि इस मेहनत का उनको पहले से बेहतर नतीजा मिलेगा देखना सिर्फ ये है कि वेह कितना बेहतर होता है?

  2. भोले भाले राहुल गाँधी का नाम उस मामले में शामिल है जो अमेठी के उच्च सुरक्षा वाले गेस्ट हॉउस में सुकन्या नामक लड़की के गेंग रेप व उसके गायब होने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है. केस का नंबर है क्रिमिनल मिस्लेनिअस पिटीशन संख्या २०६७८/२०११ (एस.एल.पी.क्रिमिनल नंबर २८१७/२०११ किशोरे समरीते बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य.).ये केस पिछले माह नियत था लेकिन किसी मिडिया ने इसकी प्रगति की कोई रिपोर्ट नहीं दी.जनता के बीच जाकर जो नौटंकी हो रही है वह केवल प्रायोजित कार्यक्रम मात्र है.न इंदिराजी निष्कपट थीं और न ही राजीव गाँधी भोले भाले.आखिर सत्ता बचाने के लिए इमरजेंसी इंदिराजी के द्वारा ही लगायी गयी थी जिसके कारन पूरा देश एक बड़ी जेल बन कर रह गया था.क्यू ओएल डील उन्ही के समय हुई थी. नागरवाला कांड भी उन्ह के ज़माने में हुआ था. जयगढ़ के किले के खजाने का क्या हुआ, क्या कोई बताएगा?राजीवजी के ज़माने में ही बोफोर्स कांड, एच डी डब्लू पनडुब्बी कांड हुए थे. और वर्तमान सत्ता संचालकों के कारनामों से तो पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है.मेरे प्यारे देशवासियों, अब तो जागो. अब तो अपनी आँखों पे पड़े परदे को हटाओ. और इन रंगे सियारों की चिंता छोड़ कर देश के बारे में सोचो.

  3. गांधी परिवार का खूब गुणगान कर दिया है आपने श्री श्री चापलूस श्री. बस यह नहीं बताया की राहुल बाबा ने देश और समाज को दिया क्या है. जब आप अगला पुरस्कार लेने जाएँ तो राहुल बाबा से बता दीजिएगा की भारत में अब सच्चा लोकतंत्र आ रहा है, अब खाली हाथ हिलाने से वोट नहीं मिलेंगे.

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